'दूसरे से नजर' पति-पत्नी का तोड़ रहा करार
-शहर में तेजी से बढ़ रहे एक्ट्रा मैरिटल अफेयर्स और शक के मामले
-आशा ज्योति केन्द्र में हर माह पहुंच रहे ऐसे 75 से 80 मामले -मोबाइल की लत भी पति-पत्नी के बीच खड़ी कर रही दीवार Case-1 आदमपुर निवासी एक दम्पती का शादी के आठ साल बाद एक दूसरे पर शक की वजह से रिश्ता टूटने की कगार पर पहुंच गया। पत्नी का किसी अन्य मर्द से लंबी बाते करना पति को नागवार गुजरा। इस पर पति का एतराज करना पत्नी को न भाया और उसने अलग रहने का मन बना लिया। महिला हेल्प डेस्क पर मामला पहुंचा लेकिन बात नहीं बनी। दोनों अलग हो गए। ष्टड्डह्यद्ग-2शिवपुर में रहने वाली एक महिला कुछ दिन पहले पति की शिकायत के लिए आशा ज्योति केन्द्र पहुंची। वहां उसने पति पर रात में छिप-छिपकर किसी अन्य महिला से बात करने का आरोप लगाया। दोनों को केन्द्र में बुलाकर काउंसलिंग की गई, लेकिन इसके कुछ ही दोनों बाद दोनों ने फिर से अलग-अलग रहने का फैसला कर लिया।
ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्ढ्ढये दोनों केसेज तो सिर्फ एग्जाम्पल भर हैं। अग्नि के सामने लिए गए सात फेरों के दौरान पति-पत्नी के बीच जीवन भर एक-दूसरे के साथ रहने के हुए करार पर दूसरे से नजर मिलाना दोनों को भारी पड़ रहा है। शहर में एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स व शक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। पांडेयपुर स्थित आशा ज्योति केन्द्र में हर माह इस तरह के 70 से 80 मामले पहुंच रहे हैं। इनमें से ज्यादातर मामलों में पति-पत्नी के बीच आए तीसरे शख्स की वजह से रिश्ता टूटने का कारण बन रहा है।
ताकि न टूटे रिश्ता आशा ज्योति केन्द्र की मनोवैज्ञानिक साफिया की मानें तो यहां आने वाले केसेज में सबसे ज्यादा मामले शक के बीच फंसे होते हैं। पति-पत्नी के रिश्ते सबसे ज्यादा शक के चलते टूटते हैं। 50 प्रतिशत से ज्यादा मामले ऐसे हैं जिनमें पतियों को पत्नी का गैर मर्दो के साथ ज्यादा बातचीत करने पर ऐतराज होता है। यही नहीं कई पतियों की शिकायत रहती है कि पत्नी सारा दिन फोन लेकर बातें या चैट करती है। इस दौरान वो बच्चों पर भी ध्यान नहीं देती। ऐसे केसेज में महिला पुलिस और काउंसलर द्वारा रिश्ते जोड़ने की काफी कोशिश की जाती है। फिर भी ज्यादातर रिश्ते जिद की वजह से टूट जाते हैं। बड़ी मुश्किल है डगरआशा ज्योति केन्द्र की केस वर्कर की मानें तो काउंसलिंग के माध्यम से पति-पत्नी को हर तरह से समझाने की कोशिश की जाती है। कई बार बात बन जाती है, लेकिन कई मामलों में दोनों कुछ नहीं सुनते। ऐसे में दोनों को अलग-अलग रहने की सलाह दी जाती है।
फैक्ट फाइल (अगस्त 2016 से अब तक) 1400 मामले आए घरेलू हिंसा के 100 मामले केन्द्र में आते हैं हर महीने 80 से ज्यादा मामले पहुंच रहे एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स के 30 से ज्यादा मामले होते हैं मोबाइल की लत से जुड़े वर्जन-- पति-पत्नी के बीच हुए विवाद के जितने भी केस आते हैं सभी को काउंसलिंग के माध्यम से सुलझाने का प्रयास किया जाता है। ज्यादातर रिश्ते शक की वजह से टूट जाते हैं। रश्मि दूबे, प्रबंधक, आशा ज्योति केन्द्र पति-पत्नी एक दूसरे को पूरी तरह से समझें। बदलता लिविंग स्टैंडर्ड और मॉल कल्चर रिश्ते तबाह होने का कारण बन रहे हैं। लोगों की जरूरतें बढ़ती जा रही हैं। इसे पूरा करने के लिए लोग किसी भी हद को पार करने की कोशिश कर रहे हैं। इसमें चाहे पति-पत्नी के रिश्ते ही क्यों न हो। डॉ। संजय गुप्ता, मनोवैज्ञानिक, बीएचयू