मानव श्रृंखला निकालकर करते हैं अवेयर घाटों कुंडों और तालाब किनारे की जाती सफाई


वाराणसी (ब्यूरो)जल संरक्षण की जब-जब बात होती है। तब-तब रेमन मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त राजेंद्र सिंह का नाम आता है। पर आज हम काशी के उन नामों से भी आपको रूबरू कराएंगे, जो जल संरक्षण के क्षेत्र में काम कर रहे हैं या यूं कहें कि काशी के जल पुरुष हैं और पब्लिक को अवेयर कर पानी को बचाने की मुहिम छेड़ रखी है। विंटर सीजन हो या समर सीजन। कभी मानव श्रृंखला बनाकर तो कभी स्कूल और कॉलेज में कैम्पेन चलाकर लोगों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक कर रहे हैं। भूगर्भ जल को बचाने के लिए लोगों में अलग जगा रहे हैं। आज ही हमारी इस स्टोरी में जानिए कि कौन हैं काशी के जल पुरुष

संकट मोचन फाउंडेशन

40 साल से कर रहे अवेयर

संकट मोचन फाउंडेशन जल संरक्षण के लिए आज से नहीं बल्कि 40 साल से लोगों को अवेयर कर रहा है, ताकि गंगा में जल बना रहे और भूगर्भ का जलस्तर भी कम न हो। इसके लिए वह हर महीने कैंपेन चला रहे हैं। लोगों के बीच जाकर जल संरक्षण के बारे में बता रहे हैं। साथ ही जो सबमर्सिबल वगैरह लगा रहे हैं। इसके प्रति भी जागरूक कर रहे हैं। संकट मोचन फाउंडेशन के अध्यक्ष विशम्भर नाथ मिश्र ने कहा, गंगा और जल संरक्षण के लिए सभी को बचाने का प्रयास करना होगा। गंगा में मल-जल न बहे, शोधन का इंतजाम हो, ताकि गंगाजल आचमन और पीने योग्य हो। जल संरक्षण के लिए अब तक 200 से अधिक बार कैंपेन चलाया गया है। घाट पर मानव श्रंखला बनाकर लोगों को जागरूक किया गया। तालाबों और कुंडों की सफाई के लिए दर्जनों बार मानव श्रृंखला बनाई गई।

जल संरक्षण को समर्पित नमामि गंगे

भारत की शाश्वत पहचान आजीविका का उपक्रम जल संरक्षण एवं मां गंगा के स्वच्छता अभियान से दस वर्षों से जुड़ी नमामि गंगे की स्वयं सेवी टीम वाराणसी के पौराणिक कुंडों व तालाबों के संरक्षण के लिए भी निरंतर कार्य कर रही है। नियमित तौर पर नमामि गंगे टीम काशी क्षेत्र के संयोजक राजेश शुक्ला के संयोजन में लक्ष्मी कुंड, पुष्कर तालाब, मणिकर्णिका चक्रपुष्कर्णी कुंड, धनेसरा तालाब इत्यादि पौराणिक महत्व वाले जल स्रोतों पर स्वच्छता अभियान चलाकर जल संरक्षण का कार्य किया जा रहा है। संस्था के राजेश शुक्ला ने कहा, ध्वनि विस्तारक यंत्र से लोगों को जागरूक करना भी नियमित प्रक्रिया में शामिल है। सबका साथ हो। जल स्रोत साफ हों। इस लक्ष्य को केंद्रित कर जल की बूंद-बूंद बचाने के लिए कार्य किया जा रहा है। इस कार्य में मातृ शक्तियों का भी योगदान है। इनमें सारिका गुप्ता, पुष्पलता वर्मा, बीना गुप्ता समेत एक दर्जन महिलाएं हर महीने कुंड, तालाब की न सिर्फ सफाई करती हैं। बल्कि जल दोहन के प्रति भी लोगों को माइक लेकर अवेयर करती हैं। अब तक 50 से अधिक मोहल्लों और कालोनियों में कैंप लगाकर लोगों को जल संरक्षण के प्रति अवेयर किया है। नमामि गंगे की पदाधिकारी सारिका गुप्ता ने कहा, बूंद-बूंद पानी जब तक लोग नहीं बचाएंगे। जल का संरक्षण नहीं हो सकता। आज के समय में सबमर्सिबल पंप लगाकर जल का दोहन किया जा रहा है। जोकि आने वाली पीढ़ी के लिए बड़ा खतरा है।

सुबह--बनारस

गर्मी में बढ़ाते जल संरक्षण की गतिविधि

वाटर हीरो में एक नाम मुकेश जायसवाल का भी आता है। इनकी खासियत है कि गर्मी का तापमान बढ़ते ही पानी की बचत के लिए मैदान में उतर जाते हैं और स्कूलों में जाकर छात्रों के बीच जल संरक्षण के लिए न सिर्फ अवेयर करते हैं। बल्कि पानी बचाने के लिए सभी छात्रों को संकल्प भी दिलाते हैं। जल संरक्षण के प्रति यह कार्य पिछले एक दशक से कर रहे हैं। मुकेश जायसवाल के साथ 50 लोगों की टीम है, जो जल संरक्षण का काम करती है। उनका कहना है कि जल संरक्षण के प्रति अवेयर करना आज से नहीं बल्कि दस साल पहले से यह कार्य कर रहे है। बूंद-बूंद बचाएंगे। तभी आने वाली पीढ़ी को जल मिल सकता है.

Posted By: Inextlive