Varanasi news: नई पीढ़ी के लिए बचाना होगा पानी, जल संरक्षण के लिए उठे हाथ
वाराणसी (ब्यूरो)। रीतिका नाम की एक महिला परिवार के साथ फ्लैट में रहती है। ऑफिस जाने की जल्दी में वह अक्सर नल खुला छोड़कर भूल जाती है या टंकी भरने के बाद भी समर्सिबल बंद न करने के कारण पानी गिरता रहता है। शायद रीतिका सोचती है कि उनके घर में समर्सिबल लगा है। पानी बर्बाद भी होगा तो उनके घर में पानी की कमी नहीं होगी। लेकिन, वह इस बात से अंजान है कि आने वाले सालों में आने वाली हमारी नई पीढ़ी को पानी के लिए मोहताज होना पड़ सकता है। सिर्फ रीतिका ही नहीं, काशी के ज्यादातर घर इस बात से अंजान हैं। इस बात की गंभीरता को समझते हुए दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने 'पानी बड़ी चीज हैÓ कैंपेन के तहत मंगलवार को नदेसर स्थित कार्यालय में टॉक शो का आयोजन किया। इसमें जल संरक्षण के लिए कार्य करने वाले लोग, महिलाएं एवं यूथ ने अपने विचार रखे। इस दौरान जल संरक्षण के लिए कई अहम मुद्दों पर बात हुई। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट वाराणसी के सम्पादकीय प्रभारी शिशिर के। मिश्र ने टॉक शो की रूपरेखा रखी। टॉक शो में आए लोगों ने जल को संरक्षित करने के लिए शपथ भी ली।
आने वाली पीढ़ी न हो मोहताज
अपनी सुख-सुविधाओं और आलस के चलते हम पानी को बर्बाद कर रहे हैं, लेकिन आने वाली पीढ़ी पानी के लिए मोहताज होगी, हम इस बात से अंजान हैं। एक व्यक्ति परडे 135 लीटर पानी यूज करता है, जिसको वह अलग-अलग कार्यों के लिए उपयोग में लाता है। नमामि गंगे के अध्यक्ष मुकेश जायसवाल ने कहा कि अगर पानी बचाना है तो खुद में बदलाव जरूरी है। अगर हम उपयोग किए हुए पानी को यूज में लाएं, जैसे पेड़-पौधों में उपयोग या सफाई में या फिर गाड़ी धोने में उपयोग कर लें तो काफी हद तक हम पानी को बचा सकते हैं। इसके साथ ही ज्यादा से ज्यादा वाटर हार्वेस्टिंग का सिस्टम होना चाहिए। इससे भी हम अधिक जल को बचा सकते हैं.
महिलाओं ने रखी अपनी बात
टॉक शो में महिलाओं ने कहा, हमें पानी को री-सायकल करना बहुत जरूरी है। जैसे खाना बनाते समय चावल धोने में उपयोग किया पानी दाल बनाने में भी यूज कर सकते हैं। साथ ही उस पानी से घर की साफ-सफाई भी कर सकते हैं। पानी बचाने के लिए अवेयर करने की शुरुआत स्कूल से करनी चाहिए। क्योंकि बच्चे जब सीखेंगे तो वह अपने माता-पिता को भी पानी बर्बाद करने के लिए टोकेंगे। अपने बच्चों से ही माता-पिता सीखेंगे।
युवाओं ने रखी अपनी बात
काशी विद्यापीठ के छात्रों ने भी जल संरक्षण को लेकर अपनी बात रखी। फातिमा खातून ने कहा कि अगर हम अपनी छोटी -छोटी आदतों को सुधार लें तो काफी हद तक पानी को बचा सकते हैं। जैसे सुबह उठ कर नहाते समय ज्यादा पानी बर्बाद न करें। गाडिय़ों को धोने में अधिक पानी न व्यर्थ न करें। ब्रश करते समय उतनी देर ही नल को खोलें, जितनी आवश्यकता हो। इससे जल का एक बड़ा हिस्सा हम बचा सकते हैं.
गंगा को फूल की जरूरत नहीं
काशी आस्था की नगरी है। लाखों लोग रोज बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने के लिए वाराणसी आते हैं और काशी के तमाम घाटों पर फूल अर्पित करते हैं। पर इससे गंगा मां को हम खुश नहीं बल्कि निराश कर रहे हैं। क्योंकि गंगा में फूल अर्पित करने से जल दूषित होता है। इसलिए गंगा में फूल न अर्पित करें। ऐसा कहना है चर्चा में शामिल हुए गंगा सेवकों का। उन्होंने कहा कि जो इसे बेच रहे हैं, उन्हें भी समझाएं कि वह कोई और कार्य कर लें। घाट में फूल बेचेंगे तो लोग खरीदेंगे। गंगा में स्नान न करें और जो कर रहा हो, उसे भी इसको लेकर समझाएं। जल ही जीवन है हम बचपन से पढ़ रहे है पर सिर्फ पढऩे तक ये बात सीमित नहीं है। हमें इसको अपने जीवन में उतारना होगा। अक्सर हम पानी की टंकी बहती हुई छोड़ देते हैं और घंटों पानी बर्बाद होता है। इस पर गंगा सेविका सारिका गुप्ता ने कहा कि पानी की टंकी में वाटर अलार्म लगाएं जिससे टंकी भरने पर उसकी जानकारी हो सके।
हमें जागरूक होना पड़ेगा
भूगर्भ जल विभाग के सहायक अभियंता राहुल शर्मा ने कहा, काशी में 13 परसेंट जनसंख्या बढ़ी है। एक व्यक्ति एक दिन में 135 लीटर पानी यूज करता है। आने वाले समय में पानी के लिए न्यू जनरेशन को न परेशान होना पड़े इसके लिए हमें जागरूक होना होगा। काशी विद्यापीठ, संपूर्णानंद विश्वविद्यालय, बीएचयू समेत कई बड़ी संस्थाओं में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा हुआ है, जिससे पानी संरक्षित होता है। इसलिए सभी को वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाना चाहिए। अगर आप अपने अपार्टमेंट में वाटर हार्वेस्टिंग नहीं लगवा पाए हैैं तो आपको स्कूल, कॉलेज, हॉस्पिटल समेत कई ऑप्शन भी दिए गए हैं। वहां आप जल को संरक्षित रखने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग लगवा सकते हैं। बीते 10 सालों में काशी का वॉटर लेवल इंप्रूव हुआ है। अगर हम और ज्यादा जल को संरक्षित करेंगे तो इसमें और सुधार हो सकता है।
बनारस का हाल बेंगलुरू जैसा न हो जाए। स्थिति विकराल है। ऐसे में पानी को बचाने के लिए सबसे पहले खुद की आदतों में सुधार करना होगा। अवेयरनेस लानी होगी।
मुकेश जायसवाल
गंगा में फूल अर्पित न करें। इससे जल दूषित होता है। गंगा में स्नान करने से भी बचें। जो ऐसा करता है उसे भी रोकें। बच्चों को अवेयर करें।
पूजा दीक्षित
पानी को बचाने के लिए यूथ को अवेयर करना जरूरी है। स्कूल में बच्चों को सिखाया जाना चाहिए कि जल कितना महत्वपूर्ण है.
फातिमा खातून
खाना बनाने के लिए हम जो पानी अनाज धोने में उपयोग करते है। उसे बचाकर पेड़ पौधे में डालकर यूज कर सकते हैैं। मैं अपने घरों में आरओ वॉटर से निकलने वाले पानी को रीयूज करती हूं।
सारिका गुप्ता
लोगों को ज्यादा से ज्यादा जल संरक्षण के उपयोग के फायदे स्कूल, कॉलेज में बताने होंगे। जल को बचाना आवश्यक है। साथ ही सरकारी मशीन को पानी के दुरुपयोग को रोकने के लिए सख्त होना होगा।
सनी जौहर
गाडिय़ों को धोने में हम पानी बर्बाद करते हैं। यूज किया पानी गाड़ी धोने के लिए उपयोग में लाएं तो जल को बचा सकते हैं। यदि आधा ग्लास पानी की जरूरत हो तो उतना ही लें।
राजेश शुक्ला, नमामि गंगे समिति
जल का सदुपयोग कैसे करना है, इस दिशा में जन जागरूकता बढ़ाई जाए। वर्षा के जल को संग्रहित करना चाहिए। कई शहरों से फ्रेश वॉटर खत्म हो रहा है।
ममता सिंह
जल भी धन जैसा है। इसका संरक्षण करें। जल संरक्षण के लिए वीडीए ने रेन वॉटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था की है, लेकिन कई बार विभागीय उदासीनता भी देखने को मिलती है। जन संरक्षण के नए तरीके इजाद करने होंगे।
प्रमोद अग्रहरि
जल बिना जीवन की कल्पना भी मुश्किल है। यह बात सिर्फ जानने भर तक नहीं, हमें जल को बचाने के लिए कदम भी उठाने होंगे। पानी बर्बाद करने वाले किरायेदारों पर निगरानी रखनी होगी।
कन्हैया प्रजापति
दुनियाभर में 75 परसेंट से ज्यादा लोग पानी की कमी से जूझ रहे हैं। हमें अब पानी की अहमियत को समझना होगा। पानी को बचाने के लिए वॉटर अलार्म लगाने होंगे।
बीना गुप्ता
एक बूंद प्रति सेकेंड पानी गिरने से हर वर्ष 10,000 लीटर पानी बर्बाद हो सकता है। इसलिए नल का रिसाव ठीक कराएं। पानी को बचाकर हम अपना कल सुरक्षित कर सकते हैं।
अनिल केशरी
जल को अधिक मात्रा में संरक्षित करें और तालाबों में वर्षा का जल एकत्रित करने से भी जल को बचाया जा सकता है। जल के साथ जैव विविधता को बचाना होगा और प्लास्टिक का यूज बंद करना होगा।
दशरथ निषाद
अपनी आदतों को सुधारें, पानी को बर्बाद न करें और न होने दें। अगर कोई कर रहा है तो इसके खिलाफ आवाज जरूर उठाएं। पानी को बचाने के लिए जन सहभागिता जरूरी है।
मनोहर
घंटों तक स्नान करके पानी को नष्ट न करें। बच्चे अपने माता पिता से सीखते हैं इसलिए बच्चों को भी ये आदतें सिखाएं।
निधि अग्रवाल
टॉक शो के इम्पॉर्टेंट फैक्ट
वाराणसी का ग्राउंड वॉटर लेवल इम्प्रूव हुआ है.
यूपी ग्राउंड वॉटर एक्ट को लागू करने वाला 22वां राज्य है।
हरहुआ और आराजी लाइन में पानी का अति दोहन हो रहा है.
जल संरक्षण के लिए 4 वेटलैंड वाराणसी में चिह्नित किए गए हैं.
एक घर में 7 से 8 लीटर पानी रोज बचाया जा सकता है.