बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल की आइसीयू में मृत्यु दर घटाने के लिए कई कदम उठाए जाएंगे. विभागों में अभियान चलेगा. रेजिडेंटों को प्रेरित करेंगे कि न्यूनतम मरीजों को ही इंटेंसिव केयर यूनिट आइसीयू के लिए रेफर करें क्योंकि काफी हद तक वार्ड में ही सुविधाएं उपलब्ध हैं.

वाराणसी (ब्यूरो)। बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल की आइसीयू में मृत्यु दर घटाने के लिए कई कदम उठाए जाएंगे। विभागों में अभियान चलेगा। रेजिडेंटों को प्रेरित करेंगे कि न्यूनतम मरीजों को ही इंटेंसिव केयर यूनिट (आइसीयू) के लिए रेफर करें क्योंकि काफी हद तक वार्ड में ही सुविधाएं उपलब्ध हैं। मरीजों को सही वक्त पर अस्पताल में इलाज शुरू कर दिया जाए। कंसल्टेंट डाक्टर की तरफ से ही रेफर की संस्तुति की जाए। अभी तक जूनियर रेजिडेंट ही मरीज को रेफर करने का अंतिम निर्णय लेते हैं, जबकि अधिकांश बार वह अपनी ÓगेंदÓ दूसरे के पाले में डालने की मंशा से ऐसा करते हैं। आइसीयू में 32 बेड होने की वजह से 50 से अधिक लोगों की वेङ्क्षटग रहती है। अधिकांश लोगों को बेड नहीं मिल पाता है। इस समय 50 प्रतिशत लोगों की मौत हो जा रही है, जबकि अब 80 प्रतिशत लोगों को बचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस दिशा में कई प्रयास किए जा रहे हैं। हर महीने औसतन सवा सौ मरीजों को आइसीयू में भर्ती करते हैं, लेकिन 50 प्रतिशत लोग ही बच पाते हैं। ऐसे में अधिक लोगों को जीवित रखने की चुनौती एनेस्थिसिया विभाग ने स्वीकार की है। बताते चलें कि आइसीयू में बेड बढ़ाने की फाइल धूल फांक रही है। कुछ माह पहले ही सर सुंदरलाल अस्पताल की पुरानी बिङ्क्षल्डग में कायाकल्प परियोजना का कार्य पूर्ण होने के बाद दावा हुआ था कि आइसीयू के बेड बढ़ाए जाएंगे, लेकिन इस दिशा में कोई पहल नहीं की गई। सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक और पुरानी बिङ्क्षल्डग में पहले की तरह ही आज भी 32 बेड हैं। एसएसबी की आइसीयू में पहले 32 बेड की व्यवस्था थी। तीन महीने पहले पुरानी बिङ्क्षल्डग का कार्य पूर्ण होने पर 12 बेड यहीं शिफ्ट कर दिए गए। कर्मचारियों को भी यहीं स्थानांतरित कर दिया गया, ऐसे में गंभीर मरीजों को बेड मिलने की समस्या जस की तस बनी है। प्रशासन को बेड के अनुपात में कर्मचारियों की तैनाती पर ध्यान देना चाहिए।

बेड के रेट बढ़ाने का प्रस्ताव निरस्त

आइसीयू के बेड का शुल्क तीन हजार रुपये है, इसे बढ़ाकर पांच हजार रुपये करने का प्रस्ताव बना था। इसे फिलहाल निरस्त कर दिया गया है क्योंकि इससे गरीब मरीजों को अधिक परेशानी होती है।

Posted By: Inextlive