इस बार 17 सितंबर काफी पुण्यकारी होगी क्योंकि इस दिन सृष्टि के अभियंता भगवान विश्वकर्मा का पूजन के साथ भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित अनंत चतुर्दशी का पर्व भाद्र मास की शुक्ल पक्ष को चतुर्दशी के दिन मनाया जाता है.

वाराणसी (ब्यूरो)। इस बार 17 सितंबर काफी पुण्यकारी होगी, क्योंकि इस दिन सृष्टि के अभियंता भगवान विश्वकर्मा का पूजन के साथ भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित अनंत चतुर्दशी का पर्व भाद्र मास की शुक्ल पक्ष को चतुर्दशी के दिन मनाया जाता है। इसलिए यह दिन काफी खास है। व्यापार, कारोबार में वृद्धि के लिए भगवान विश्वकर्मा का पूजन होगा तो वहीं भगवान विष्णु से अनंत पुण्य का लाभ लेने के लिए पूजन किया जाएगा।

सृष्टि के अभियंता

भगवान विश्वकर्मा के पूजन की तैयारियां कल-कारखानों में जोरों पर चल रही हैं। खासकर बीएलडब्ल्यू कारखाना में इस दिन फैक्ट्री बंद रहती है और बड़े ही विधि-विधान से पूजन किया जाता है। यही नहीं इस दिन शहर में जितने भी कल-कारखाने हैं। सभी में रंग-रोगन और औजारों, मशीनों को साफ करने की तैयारी चल रही है।

ब्रह्मांड के इंजीनियर

ज्योतिषाचार्य संगीता गौड़ की मानें तो 17 सितंबर को आस्थावान कारोबार, व्यापार और उद्योग की तरक्की के लिए ब्रह्मांड के पहले इंजीनियर का विधि-विधान से पूजन करेंगे। सुबह से देर रात तक अनुष्ठानों व आयोजनों का क्रम चलेगा। सृजन के देवता की जयंती पर मंगलवार को नगर के छोटे बड़े सभी कल-कारखानों, लोहे और मशीनरी से जुड़े प्रतिष्ठानों व औद्योगिक आस्थानों में सुबह से ही उत्सवी माहौल दिखेगा। अपनी शक्ति-सामथ्र्य और कारोबार के हिसाब से साज-सज्जा करेंगे। कहीं पूरे प्रतिष्ठान को भव्यतापूर्वक सजाया जाएगा तो कहीं कागज की झंडियां लहराती दिखेंगी।

छोटी-बड़ी प्रतिमा की खरीदारी

भगवान विश्वकर्मा की छोटी-बड़ी प्रतिमा के पूजन के लिए मार्केट में प्रतिमाओं की खरीदारी शुरू हो चुकी है। पूजन का क्रम सुबह से ही शुरू हो जाएगा। पूजन का मुहूर्त विगत वर्षों की अपेक्षा काफी अच्छा है। फैक्ट्री, वर्कशॉप, ऑफिस, दुकान आदि स्थानों पर कलश स्थापना से पूजन किया जाएगा। अक्षत, फूल, चंदन, धूप, अगरबत्ती, दही, रोली, सुपारी, रक्षा सूत्र, मिठाई, फल आदि उन्हें समर्पित किए जाएंगे।

अनंत चतुर्दशी पूजन से मिलता फल

अनंत चतुर्दशी का व्रत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन रखा जाता है। इसे अनंत चौदस भी कहा जाता है। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने के लिए यह तिथि विशेष उत्तम फलदायी बताई गई है। दरअसल, यह तिथि मनोकामना पूर्ति करने वाली बताई गई है। इस दिन जो व्यक्ति सच्चे मन से पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करता है उसकी सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। इस दिन गणेश उत्सव का समापन भी होता है और गणेशजी का विसर्जन किया जाता है। यह वर्षा ऋतु का अंतिम पर्व भी माना जाता है।

ऐसे करें पूजन

इस बार यह पर्व 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजन के दिन ही मनाया जाएगा। इस पर्वपर प्रात: काल नृत्य क्रिया से होकर काठ की चौकी पर साथ कुश से शेष श्री हरि विष्णु के स्वरूप को स्थापित करें। इसके बाद विधि-विधान से पूजन करना चाहिए। कच्चे धागे को हल्दी या केसर से रंग कर 14 गांठ देकर अनंत बनाएं और उसे देव विग्रह के समक्ष रखकर पंचोपचार या षोडशउपचार पूजन करें। प्रत्येक गांठ पर अलग-अलग नाम से आहवान करें।

इस बार 17 सितंबर को भगवान विश्वकर्मा और भगवान विष्णु के पूजन का विधान है। पूजन अर्चन करने से कारोबार में तरक्की के साथ घर में उन्नति होती है।

संगीता गौड़, ज्योतिषाचार्य

श्री हरि व भगवान विश्वकर्मा सृष्टि से ही जुड़े हैं। इस दिन पूजन से विशेष लाभ मिलता है। खासकर उद्योग जगत के लोग तरक्की के लिए भगवान विश्वकर्मा का पूजन करते हंै।

हरि राम द्विवेदी, ज्योतिषाचार्य

Posted By: Inextlive