Varanasi news. मीरजापुर में पक्का पुल से दो किशोरियों ने गंगा में लगाई छलांग, मौत, एक दूसरे से बंधे थे हाथ
वाराणसी (ब्यूरो)। मीरजापुर चुनार पक्का पुल से मंगलवार दोपहर दो किशोरियों ने गंगा में छलांग लगा दी। किशोरियों के डूबने की खबर लगते ही लोगों की भीड़ लग गई। दोनों का शव शाम करीब छह बजे बरामद हुआ। दोनों ने स्कूल ड्रेस पहन रखा था और एक काले दुपट्टे से दोनों के एक-एक हाथ एक-दूसरे से बंधे थे। पुल पर एक साइकिल मिली जिस पर रखे बैग में मोबाइल फोन, आधार कार्ड मिले। इसके अलावा मौके पर चप्पल-जूती आदि सामान मिले। मोबाइल नंबर व आधार कार्ड के आधार पर दोनों के स्वजन को घटना की सूचना दी गई।
वाराणसी के थाना राजातालाब क्षेत्र के बेलवा शाहंशाहपुर गांव के रहने वाले सतीश कुमार की १५ वर्षीय पुत्री गरिमा व सुरेश कुमार की १६ वर्षीय पुत्री जानकी क्षेत्र के मालवीय इंटर कालेज में कक्षा दस की छात्राएं थीं। दोनों सहेलियां थीं। गरिमा के भाई शैलेश कुमार के अनुसार गरिमा व जानकी सुबह घर से पढ़ने के लिए आठ बजे विद्यालय निकली थीं। दोपहर १२ बजे छुट्टी होने के बाद घर न आकर चुनार पक्का पुल की ओर चली गईं। बताया जा रहा है कि दोनों एक ही साइकिल से चुनार पक्का पुल पर पहुंचीं। वहां साइकिल खड़ी करने के बाद अपना स्कूल बैग, चप्पल, मोबाइल फोन, आधार कार्ड आदि सामान रखकर एक साथ हाथ पकड़कर गंगा में छलांग लगा दी। यह देख वहां मौजूद लोग हैरान हो गए। शोर मचाने पर नाविक दौड़े, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी और दोनों किशोरियां डूब गई थीं। सूचना पाकर दोनों किशोरियों के स्वजन रोते बिलखते पक्का पुल पर पहुंचकर बेटियों को खोजने की गुहार लगाई। करीब एक घंटे बाद पुलिस ने किशोरियों की तलाश कराना शुरू की। कोतवाल नरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि गोताखोरों की मदद से दोनों का शव बरामद किया गया।
रहस्य बना कारण -- दोनों किशोरियों के स्वजन का कहना है कि उनका घर के किसी सदस्य से कोई विवाद नहीं था। वह मंगलवार की सुबह हंसते हुए विद्यालय जाने के लिए घर से निकली थीं। दोनों इतना बड़ा कदम उठा लेंगी इसके बारे में किसी को भनक नहीं थी। स्वजन भी हैरान हैं। स्वजन आशंका जता रहे हैं कि विद्यालय से ही कोई न कोई बात है। ऐसे में अब भी मामला रहस्य बना हुआ है। फिलहाल पुलिस मामले की छानबीन कर रही है। सहेलियों ने भी कुछ नहीं बतायाचुनार पक्का पुल से गंगा में कूदने वाली दोनों किशोरियों के इतना बड़ा कदम उठा लेने से उसकी सहेलिया भी परेशान हैं। वह हमेशा हंसी-खुशी से विद्यालय आती थीं और पढ़कर चली जाती थीं। कभी इस बात का एहसास नहीं दिलाया कि दोनों इतना बड़ा कदम उठाएंगी।