प्रोफेसर्स के आपसी विवाद के चलते पेशेंट्स को बेड नहीं मिल रहे और उनके अटेंडेंटे डॉक्टर्स के चक्कर काट रहे हैं. लंबे समय से चल रही यह समस्या अब बीएचयू के एसएस हॉस्पिटल की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर रही है.

वाराणसी (ब्यूरो)बीएचयू के एसएस हॉस्पिटल में दो डिपार्टमेंट या यू कहें कि दो प्रोफेसर्स की लड़ाई में अब पेशेंट्स का दम घुटने लगा है। अब एक बार फिर कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड प्रो। ओम शंकर हॉस्पिटल के एमएस प्रो। केके गुप्ता और वीसी को लेकर मुखर हो गए। है। 11 मई से प्रो। ओम शंकर ने अनशन की चेतावनी दी है। प्रोफेसर्स के आपसी विवाद के चलते पेशेंट्स को बेड नहीं मिल रहे और उनके अटेंडेंटे डॉक्टर्स के चक्कर काट रहे हैं। लंबे समय से चल रही यह समस्या अब बीएचयू के एसएस हॉस्पिटल की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े कर रही है।

पीएम मोदी को लिखा लेटर

प्रो। ओमशंकर ने कहा, यहां बेड न मिलने से दिल के मरीजों की जान जा रही है, लेकिन बीएचयू के उच्चाधिकारी मरीजों के हित में नहीं सोच रहे। इसे लेकर उन्होंने एक बार फिर पीएम मोदी को लेटर भेजकर इस लचर व्यवस्था की शिकायत की है। लेटर में लिखा है कि कॉर्डियोलॉजी डिपार्टमेंट के 41 बेड्स पर 700 से ज्यादा दिनों से डिजिटल लॉक लगा है। डिजिटज लॉक यानी कि वर्तमान में बेड्स तो वार्ड में दिखते हैं, लेकिन कंप्यूटर पर इन बेड्स पर एडमिट की प्रक्रिया लॉक है। इस समस्या के जल्द से जल्द समाधान न होने और पर्याप्त मात्रा में बेड न मिलने पर उन्होंने 11 मई से आमरण अनशन की चेतावनी दी है। प्रो। ओमशंकर का कहना है कि एमएस की मनमानी की वजह से 35 हजार सीवियर हार्ट पेशेंट को बेड नहीं मिला। इनमें से एक हजार से ज्यादा मरीजों की तो मौत हो गई। साथ ही यह भी कहा है कि जांच कमेटी के मुताबिक कार्डियोलॉजी विभाग को मिलने वाले बेड दूसरे विभाग के पेशेंट को पेशेंट्स को अलॉट कर दिए।

अधिकारी नहीं मानते कमेटी की अनुशंसा

प्रो। ओमशंकर ने कहा, अस्पताल प्रशासन के लोगों की मनमानी इस कदर बढ़ गई है कि वे आईएमएस-बीएचयू के डीन डायरेक्टर्स की भी नहीं सुनते। अक्टूबर 2023 में डीन की अध्यक्षता में कमेटी बनी। उसने सुझाव दिया कि था कि सुपर स्पेशियालिटी ब्लॉक (एसएसबी) बिल्डिंग का चौथा फ्लोर और पांचवां फ्लोर 9 मार्च को कार्डियोलॉजी विभाग को सौंप दिया जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके बाद मार्च 2024 में फिर इसकी मांग की गई। काफी माथापच्ची करने के बाद 8 मार्च को आईएमएस डायरेक्टर के साथ हुई बैठक में कार्डियोंलॉजी डिपार्टमेंट कुल कुल 90 वार्ड अलॉट करने पर सहमति बनी। साथ ही डायरेक्टर ने लॉक्ड बेड को अनलॉक करने का निर्देश भी जारी किया, बावजूद इसके एमएस की ओर से आज तक इस लॉक को नहीं खोला गया। प्रो ओम शंकर का आरोप है कि एमएस ने कमेटी की अनुशंसा नहीं मानी। इसके उलट, ऑन्कोलॉजी सर्जरी डिपार्टमेंट को बेड आवंटित कर दिया।

बढ़ाने के बजाय घटाए बेड

बीएचयू के सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में कुल 90 बेड कार्डियक को दिए गए हैं, लेकिन सिर्फ 47 बेड ही मरीजों को मिल पा रहे हैं। 43 बेड पर अभी भी डिजिटल लॉक लगा है। बेड न मिलने से यहां आने वाले मरीजों को लौटकर वापस प्राइवेट हॉस्पिटल में जाना पड़ रहा है, लेकिन जो प्राइवेट के खर्च को अफोर्ड नहीं कर पा रहे। उनके मरीज दम तोड़ दे रहे हैं।

500 दिल के पेशेंट डेली

बता दें, 2011 में कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट में डेली 25 से 30 मरीज आते थे और आज डेली 450 से 500 मरीज आ रहे हैं। तब भी यहां 47 बेड थे और आज भी इतने ही हैं। 500 मरीजों के बीच बेड बढ़ाने को तो और घटा दिए गए है। वर्तमान में 41 बेड ही मरीजों के लिए हैं।

चार गुना बढ़े दिल के पेशेंट

प्रो। ओमशंकर का कहना है कि हृदय रोग विभाग में अगर 150 बेड होते तो यहां आने वाले मरीजों का इलाज हो सकता था, और किसी की जान भी नहीं जाती। अभी सिर्फ 49 बेड ही हैैं, 41 पर डिजिटल लॉक है। उनका कहना है कि दिल की बीमारी से आज हजारों लोगों की मौत हो रही है। इसमें मरने वालों की आयु 50 साल से कम की है। आज से डेढ़ दशक पहले पूर्वांचल, बिहार और आस-पास के जिलों में एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी की सुविधा नहीं थी। उस समय बीएचयू में तीन ओपीडी हुआ करती थीं। ओपीडी में लगभग 30 मरीज दिल की बीमारी के आते थे। आज डेली ओपीडी चलती है और किसी में भी 300 से 400 से कम संख्या में मरीज नहीं आते हैं। आज मरीजों की संख्या चार गुना से अधिक हो गई है.

दो माह पहले आईएमएस डायरेक्टर के आदेश के बाद भी एमएस ने अब तक एसएसबी बिल्डिंग में बने वार्ड में रखे बेड का लॉक नहीं खोला है। आखिर ऐसी क्या वजह है कि एमएस डायरेक्टर की बात नहीं सुन रहे हैं। बीएचयू के स्वास्थ्य व्यवस्था का मेन मुखिया कौन है। इस मामले में तीन दिन पहले पीएम मोदी को भी लेटर लिखकर अवगत कराया है।

प्रो। ओमशंकर, कार्डियोलॉजिस्ट व हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष, एसएस हॉस्पिटल, बीएचयू

हर चीज एक व्यवस्था के तहत ही होती है। हम बियॉन्ड द रूल कुछ नहीं कर सकते है। क्या सिर्फ प्रो। शंकर के विभाग में सबसे ज्यादा मरीज हैं, क्या न्यूरोलॉजी या अन्य विभाग में पेशेंट नहीं हैं। सारे बेड एक ही विभाग को नहीं दे सकते। अन्य में भी बेड की जरूरत है। आखिर क्या वजह है कि वे चुनाव के समय ही मांग करते हैं। डॉ। सिर्फ राजनीति कर रहे हैं।

प्रो। केके गुप्ता, एमएस, एसएस हॉस्पिटल बीएचयू

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आईएमएस डायरेक्टर एएन शंखवार से सीधी बात

सवाल: दो माह पहले आदेश हुआ, लेकिन अब तक बेड का लॉक क्यों नहीं खुला?

जवाब: लॉक तो खुला हुआ है। प्रो। शंकर अपनी बात कह रहे हैं, जबकि एमएस कह रहे हैं कि जांच में पाया गया कि उनके यहां तो बेड खाली पड़े रहते हैं।

सवाल: अभी कितने बेड हैं कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट में?

जवाब: अभी कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट को 61 बेड अलॉट किए गए हैं, लेकिन इसमें भी खाली पड़े रहते हैं।

सवाल: लेकिन बात तो 90 बेड की थी।

जवाब: दरअसल जब एसएसबी बना था तब प्लान किया गया था कि किसे कितना बेड मिलेगा। उसी हिसाब से अलग-अलग डिपार्टमेंट को बेड्स अलॉट किए गए हैं, जिसमें कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट भी है।

सवाल: पेशेंट्स को बेड न मिलने का जिम्मेदार कौन है?

जवाब: एमएमसी और एमसीआई के कुछ रूल्स होते हैं। इसलिए कोई भी बियॉन्ड दी रूल नहीं जा सकता। कहीं यह नहीं कहा गया है कि बेड नहीं मिलेगा, आगे हॉस्पिटल का विस्तार होगा तो और बेड बढ़ा दिए जाएंगे।

सवाल: यह समस्या कब खत्म होगी?

जवाब: कहीं कोई समस्या नहीं है। बेवजह चीजों को बढ़ाया जा रहा है। हम सब के ऊपर वीसी है। अगर हमारे लेवल पर चीजें नहीं समझ आ रही हैं तो डॉ। ओम शंकर वीसी से मिलकर अपनी बात रख सकते हैं।

पेशेंट्स ने बताई पीड़ा

पिछले माह मेरी मां को हार्ट अटैक आया था। उन्हें बीएचयू के कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट में लेकर आया। यहां आने पर उनका इलाज तो शुरू करा दिया गया। डॉक्टर ने मां को एडमिट करने की सलाह दी, लेकिन बेड न होने से उन्हें यहां भर्ती नहीं किया जा रहा। यहां के अलावा प्राइवेट हॉस्पिटल ही एक रास्ता है, लेकिन उनके पास उतने रुपए भी नहीं हैं। यहां भी विधायक निधि का सहारा लेकर इलाज करा रहा हूं। 15 दिन से यह परेशानी झेल रहा हूं।

दिनेश कुमार, अटेंडेंट, कज्जाकपुरा

कुछ दिन पहले मरीज हार्ट प्रॉब्लम हुई थी। इसके बाद अचानक से अटैक भी आ गया। मिर्जापुर से किसी तरह भागे-भागे बीएचयू एसएस हॉस्टिल आए। यहां सुबह से लाइन में लगकर किसी तरह पर्ची कटाकर ओपीडी में पहुंचे। इसके बाद यहां भी नंबर लगाकर डॉक्टर तक पहुंचे। जांच के बाद डॉक्टर ने एडमिट करने की सलाह दी। लेकिन यहां बेड उपलब्ध न होने से अभी तक मरीज को एडमिट नहीं करा पाया। वह दो दिन से यही हैं। पेशेंट की कंडीशन काफी खराब है। पेशेंट वार्ड के बाहर स्ट्रेचर पर लेटा हुआ है।

बुधीराम सोनकर, अटेंडेंट, मिर्जापुर

पेशेंट हार्ट बीमारी को लेकर लंबे समय से जूझ रहा है। आर्थिक हालात उतने अच्छे नहीं हंै कि प्राइवेट में जाएं। इसलिए मरीज को गाजीपुर से लेकर बीएचयू आए। पिछले कई दिनों से यहीं डेरा डाले हुए हैं। क्योंकि कार्डियोलॉजिस्ट को दिखाने के बाद मरीज को यहां एडमिट करने की सलाह दी गई है। लेकिन बेड खाली नहीं मिल रहा है। मरीज दर्द से परेशान है। वार्ड के बाहर इनको स्ट्रेचर पर लेटाया गया है। पिछले दो माह से वे बेड के लिए परेशान हैं। हर माह तारीख लेकर चले जाते हैं।

रामेश्वर, गाजीपुर

सिर्फ कहने को बीएचयू में बहुत अच्छी व्यवस्था है। पर्ची कटाने से लेकर ओपीडी में आने तक लंबी लाइन से गुजरो। उसके बाद जो स्थिति होती है वो काफी तकलीफ देती है। पेशेंट को हार्ट रिलेटेड दिक्कत है। ओपीडी में जांच के बाद डॉक्टर ने एडमिट करने को तो कह दिया। लेकिन अब बेड न होने से उसके लिए मुसीबत झेलनी पड़ रही है। बिना बेड मिले एंजियोग्राफी भी नहीं हो पाएगी। कई मरीजों की जान बेड न मिलने की वजह से चली जा रही है।

काशी चौहान, अटेंडेंट, मऊ

Posted By: Inextlive