गाजीपुर के मदनपुरा गांव में बैगर रजिस्ट्रेशन के संचालित हो रहा सहारा जन कल्याण मानसिक अस्पताल पागलखाना में युवक की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग की नींद टूट गई. स्वास्थ्य विभाग की टीम संग एसडीएम अभिषेक कुमार ने मानसिक अस्पताल के यातना गृह से मरीजों को बाहर निकलवा कर में उनके पैरों में लगी लोहे की बेडिय़ां खुलवा दी.

वाराणसी (ब्यूरो)गाजीपुर के मदनपुरा गांव में बैगर रजिस्ट्रेशन के संचालित हो रहा सहारा जन कल्याण मानसिक अस्पताल (पागलखाना ) में युवक की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग की नींद टूट गई। स्वास्थ्य विभाग की टीम संग एसडीएम अभिषेक कुमार ने मानसिक अस्पताल के यातना गृह से मरीजों को बाहर निकलवा कर में उनके पैरों में लगी लोहे की बेडिय़ां खुलवा दी। उनके स्वजन से वार्ता कर उन्हें घर ले जाने की अनुमति दी। नोडल अधिकारी झोला छाप व एसीएमओ डा। मुंशी लाल को अस्पताल सीजकर संचालक के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कराने का निर्देश दिया। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने अभिलेख के साथ 24 घंटे में उपलब्ध होने का नोटिस डा। विजय नारायण पाठक के नाम अस्पताल परिसर में चस्पा कर लौट गई.

रविवार को उपचार के दौरान बिहार कैमूर प्रांत के दुर्गावती थाना के खामि देवरा निवासी विकास कुमार की मौत हो गई थी। पिता परमहंस राम की तहरीर पर पुलिस ने रात में ही डा। विजय नारायण पाठक व पुत्र सुनील पाठक के खिलाफ गैर इरादतन हत्या के प्रयास का मुकदमा दर्ज कर पिता- पुत्र को रात में गिरफ्तार कर लिया गया। सोमवार को पूछताछ के बाद दोनों को न्यायालय में पेश किया, जहां से दोनों जेल भेज दिए गए। अस्पताल में छह मरीजों के पैर में लोहे की बेडिय़ां डालकर उन्हें यातना गृह में रखा गया था। मंगलवार को चार मरीजों को उनके स्वजन लेकर घर चले गए और दो मरीज मोहनियां के विक्की राम व ताजपुर मांझा के निकुंज कुमार राय अस्पताल में कैद थे जिन्हें एसडीएम ने मु1त कराकर उनके स्वजन से वार्ता कर उन्हें घर ले जाने का निर्देश दिया.

नशा मु1ित केंद्र के नाम पर चल रहा था फर्जी मानसिक अस्पताल

सहारा जन कल्याण मानसिक अस्पताल लगभग तीस वर्षों से नशा मु1ित केंद्र के नाम पर संचालित हो रहा था लेकिन अस्पताल के तथा कथित चिकित्सक किसी हैवान से कम नहीं थे। इस फर्जी अस्पताल में नशा छुड़ाने का नहीं बल्कि मानसिक रोग के मरीज को यातना देने का कार्य किया जाता था। मरीजों के इस हाल के लिए स्वजन भी कम जिम्मेदार नहीं है। वह भी अपने मरीज को इलाज के नाम पर छोड़कर चले जाते थे। जहां मरीजों के पैरों में लोहे के बेडिय़ां बांधकर अस्पताल के चिकित्सक दवा नहीं केवल पिटाई कर उनके स्वजन से भारी धन उगाही करते थे। जिस जगह मरीजों को रखा गया था, वहां न तो धूप पहुंचती और न तो हवा। तहखाना जैसे जगह पर उन्हें बंधक बना रखा जाता था। गेट में ताला बंद कर उन्हें अंदर रखा जाता था। अंदर केवल लकड़ी की चौकी बिछी हुई थी। वहीं अस्पताल के सामने एक और मानसिक अस्पताल चलने की बात ग्रामीणों ने अधिकारियों को बताई तो पीएचसी केंद्र प्रभारी डा। रवि रंजन ने बताया कि वहां कोई नहीं है लेकिन कभी छापेमारी कर यहां भी कार्रवाई की जाएगी.

पैरों में नट लगी लोहे की बेडिय़ा बयां कर रही थी मरीजों के यातना की दास्तां

मदनपुरा रोड स्थित (करजही) में बगैर रजिस्ट्रेशन के संचालित हो रहा सहारा जन कल्याण मानसिक अस्पताल में उपचार के नाम पर भर्ती किए गए मानसिक रोगियों के यातना की दास्तां पैरों में नट-बोल्ट से कसी लोहे की बेडिय़ा बयां कर रही थी। मरीजों को देख एसडीएम सहित स्वास्थ्य विभाग की टीम भी दंग रह गई। एसडीएम के निर्देश पर अस्पताल संचालक के पुत्र चंदन पाठक ने मरीजों के पैरों से लोहे की बेडिय़ों को खोला तो मानो वह आजाद हो गए। एसडीएम के निर्देश पर आवश्यक कार्रवाई के बाद छह मरीजों को उनके स्वजन के साथ घर पर रवाना किया गया। बिहार कैमूर के मोहनियां निवासी विक्की राम ने बताया कि स्वजन डेढ़ माह से यहां छोड़ गए हैं। जहां उपचार कम पिटाई, ज्यादा हो रही थी। पशुओं की तरह दिनभर लोहे की बेडिय़ा पैरों में पड़ी रहती हैं। तख्त पर सोते समय हाथों में भी बेडिय़ां डालकर रखा जाता था। वहीं ताजपुर मांझा के निकुंज कुमार राय ने बताया कि भाई की पत्नी से झगड़ा होने पर स्वजन दस दिन पूर्व यहां छोड़ गए लेकिन यहां तो उपचार के नाम पर बहुत प्रताडि़त किया जा रहा था.

मारपीट के मामले में भी पिता-पुत्र के खिलाफ पूर्व में दर्ज है मुकदमा

मदनपुरा गांव निवासी भोला गुप्ता की तहरीर पर पुलिस ने बीते 12 मार्च को विजय पाठक व सुशील पाठक के खिलाफ केस दर्ज किया है। भोला गुप्ता का आरोप है कि उनकी जमीन पर विजय पाठक ने कब्जा कर लिया है। खतौनी में मेरा ही नाम दर्ज है। कई बार तहसील व जिला पर अधिकारियों को पत्रक दिया लेकिन कोई ठोस कार्रवाई विजय पाठक के खिलाफ नहीं हुई। बीते 11 मार्च की शाम को विजय पाठक व उसका पुत्र सुशील पाठक ने उसे घर में बंद कर मारपीट की। सादे कागज पर जबरदस्ती अंगूठा लगवा लिए। पुलिस ने केस दर्ज तो किया लेकिन कार्रवाई नहीं होने से मनोबल बढ़ता गया.

स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई से एसडीएम हुए नाराज

बैगर रजिस्ट्रेशन के संचालित हो रहा सहारा जन कल्याण मानसिक अस्पताल में मंगलवार को एसीएमओ व नोडल अधिकारी झोलाछाप संग पहुंचे कर्मचारियों का कार्य देख एसडीएम अभिषेक कुमार नाराज हो गए। कहा कि घटना रविवार की है और आप लोग सोमवार को आ रहे हैं। नोटिस पर हाथ से सूचना लिखा देख कड़ी नाराजगी भी जताई। अपने कार्यालय भेजकर कंप्यूटर से टाइप कराया तब नोटिस चस्पा हुआ.

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स्वास्थ्य विभाग में अस्पताल का कोई पंजीकरण नहीं है। अस्पताल समिति के नाम पर चल रहा था। स्वास्थ्य विभाग की ओर से नोटिस चस्पा कर सीज की कार्रवाई की जाएगी। बंद सभी छह मरीजों को मु1त करा दिया गया है.

अभिषेक कुमार एसडीएम जमानियां.

Posted By: Inextlive