Varanasi news. विश्वनाथ धाम की तरह सारनाथ भी होगा हाईटेक, तेजी के साथ हो रहा है स्मार्ट बनाने का काम
वाराणसी (ब्यूरो)। विश्व पटल पर अपनी पहचान बना चुके धर्मनगरी काशी में आने वाले पर्यटकों को यह शहर और भी आकर्षित करेगा। अगर आप भगवान बुद्ध की तपस्थली सारनाथ जाते हैं तो आने वाले दिनों में आपके यहां बहुत कुछ बदला-बदला नजर आने वाला है। यहां आने पर पर्यटकों को न्यूयार्क में होने का एहसास होगा। जी हां, तीन साल पहले जिस तरह बनारस में भव्य विश्वनाथ कॉरिडोर बनकर तैयार हुआ है। उसी तरह सारनाथ में स्थित बुद्ध की तपस्थली को भी भव्य तरह से तैयार किया जा रहा है.
प्रो-पुअर प्रोजेक्टप्रो-पुअर प्रोजेक्ट के तहत 90.20 करोड़ की लागत से कायाकल्प का कार्य हो रहा है। इसमें सारनाथ को आधुनिक सुविधाओं से लैस करने का कार्य तेजी से चल रहा रहा है। वर्क पूरी तरह से कंप्लीट होने के बाद यह ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर यहां पूरे वल्र्ड से आने वाले टूरिस्ट को आकर्षित करेगी। इसके साथ ही प्रदेश सरकार सारनाथ में विकास से रोजगार उपलब्ध कराने के कार्य को मूर्तरूप दे रही है। बता दें कि तथागत की भूमि सारनाथ बौद्ध भिक्षुओं का तीर्थ स्थल माना जाता है। यहां ऑल ओवर वल्र्ड से हर साल 5 से 8 लाख की संख्या में टूरिस्ट आते हैं। बता दें कि यहां देशी से ज्यादा विदेशी पर्यटक आते हैं।
पर्यटक बढ़े तो बढ़ेगी आय इस योजना के तहत सारनाथ और उसके आसपास के चौराहों और तिराहों का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। इसमें लास्ट माइल कनेक्टिविटी के साथ 29 स्मारकों के जीर्णोद्धार का कार्य शामिल है। वहीं, धर्मपाल मार्ग का सौंदर्यीकरण, इसी सड़क पर स्ट्रीट पेडेस्ट्रियन प्रामिनाड व स्ट्रीट लाइटिंग का कार्य हो रहा है। पर्यटन विभाग के अफसरों की मानें तो सारनाथ में प्रो-पुअर योजना के तहत विकास का कार्य तेजी से चल रहा है. बढ़ेंगे रोजगार के अवसर सारनाथ में होने वाले इस बदलाव का मकसद है कि यहां अधिक से अधिक पर्यटक यहां आए और रुकें। इससे सारनाथ के आसपास के रहने वाले लोगों की आय बढ़ेगी और रोजगार के अवसर मिलेंगे। प्रो-पुअर पर्यटन विकास परियोजना के अंतर्गत सारनाथ बौद्ध परिपथ के विकास का कार्य विश्व बैंक से सहायतित है। इस प्रोजेक्ट के तहत सारनाथ के पूरे क्षेत्र को टूरिस्ट फ्रेंडली बनाया जा रहा है। योजना में पर्यटकों की सुविधा केंद्रों के अलावा स्थानीय लोगों के व्यापार का खास ध्यान रखा गया है ताकि यहां के लोगों का जीवन स्तर ऊपर उठ सके. सड़क पर वाहन नहीं
सारनाथ में लगने वाले जाम से छुटकारा दिलाने और यहां आने वाले पर्यटकों को गाड़ी पार्क करने में होने वाली समस्याओं को खत्म करने की योजना बनाई गई है। जाम से निजात पाने के लिए वाहन पार्किंग के लिए भेजे गए प्रस्ताव पर कार्य शुरू होने जा रहा हैं। पर्यटन उपनिदेशक आरके रावत ने बताया भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण कार्यालय के पास हनुमान जी मंदिर से सटे सिक्किम की जमीन पर सरफेस वाहन पार्किंग बनेगा। इसके अलावा राजस्व विभाग से और जमीन मिली है। जिला प्रशासन जल्द ही जमीन पर कब्जा देना। उन्होंने बताया कि 1.25 करोड़ से सरफेस वाहन पार्किंग बनाए जाएंगे। पर्यटन विभाग की ओर से भेजे गए प्रस्ताव पर शासन ने 50 लाख रुपए बजट स्वीकृत करते हुए उत्तर प्रदेश प्रोजेक्ट्स कारपोरेशन लिमिटेड को बनाने का जिम्मा सौंपा है.
नो व्हीकल जोन सारनाथ आने वाले पर्यटकों को जाम से नहीं जूझना होगा। अब वह सारनाथ मंदिर से लेकर म्यूजियम होते हुए पार्क तक घूम सकते हैं। इसके लिए विभाग द्वारा योजना बनाई जा रही है। जिसके अंतर्गत सारनाथ में एक बड़ा वाहन पार्किंग तैयार कराया जाएगा। पुरातत्व संग्रहालय से सारनाथ चौराहे तक नो व्हीकल जोन घोषित किया जाएगा. इन प्वाइंट्स पर सौंदर्यीकरण - सारनाथ और उसके आसपास के 29 स्मारकों को इंटरकनेक्ट किया जाएगा.- सारनाथ बुद्ध सर्किट सीसीटीवी, वाई-फाई एवं एलईडी स्क्रीन से लैस होगा.
- पूरे क्षेत्र में हेरिटेज लुक के साथ-साथ देश के विशेष खानपान की सुविधा होगी. - स्थानीय ठेलों खोमचे वालों के लिए खास तरह के कस्टमाइज्ड मोबाइल व्हीकल्स दिए जाएंगे. - बुद्ध सर्किट में सोविनियर, जीआई उत्पाद, ओडीओपी आदि की दुकानें भी होगी. - मंदिर से म्यूजियम तक लैंड स्केपिंग, बुद्धिस्ट थीम पर साइनेज एवं इंटरप्रेटेशन वाल देखने को मिलेंगे. - दिव्यांगजनों एवं वृद्ध पर्यटकों की सुविधा के लिए गोल्फ कार्ट की व्यवस्था होगी. - पूरे सारनाथ क्षेत्र में कही भी ओवरहेड तारों का जंजाल नहीं होगा। सभी को अंडरग्राउंड किया जा रहा है. आने वाले समय में सारनाथ पहले से ज्यादा भव्य और हाईटेक दिखेगा। प्रो-पुअर योजना के तहत विकास का कार्य चल रहा है। सारनाथ में होने वाले इस बदलाव का मकसद है कि यहां अधिक से अधिक पर्यटकों को आने के लिए आकर्षित करना है। जब यहां आएंगे तो रूकेंगे भीं। इससे सारनाथ के आसपास के रहने वाले लोगों की आय बढ़ेगी और रोजगार के अवसर मिलेंगे. आरके रावत, उपनिदेशक, पर्यटन विभाग