Varanasi news. जौनपुर में हिंदूवादी नेता व टीवी चैनल पत्रकार की गोली मारकर हत्या, सनसनीखेज वारदात से फैली दहशत
वाराणसी (ब्यूरो)। शाहगंज जिला मुख्यालय मार्ग पर स्थित इमरानगंज बाजार में सोमवार की सुबह ङ्क्षहदूवादी नेता व एक टीवी चैनल के पत्रकार 48 वर्षीय आशुतोष श्रीवास्तव की गोलियों से छलनी कर हत्या कर दी गई। अपाचे बाइक सवार दो नकाबपोश हमलावर सनसनीखेज वारदात को अंजाम देकर भाग गए। पुलिस अधीक्षक डा। अजय पाल शर्मा ने हत्यारों को शीघ्र गिरफ्तार कर राजफाश करने का आश्वासन देकर आक्रोशित भीड़ को शांत किया।
भाजपा से जुड़े थे आशुतोष सबरहद गांव निवासी आशुतोष श्रीवास्तव पत्रकारिता करने के साथ ही विश्व ङ्क्षहदू परिषद व भाजपा से भी जुड़े थे। गोवंशीय की तस्करी रोकने व आरटीआइ एक्टिविस्ट के रूप में भी उनकी पहचान थी। वह गांव की रामलीला समिति के अध्यक्ष भी थे। सुबह लगभग साढ़े नौ बजे आशुतोष श्रीवास्तव घर से अपनी बुलेट बाइक से उसरहटा गांव में आयोजित लोकसभा चुनाव प्रचार संबंधी कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे थे.मोबाइल पर कर रहे थे बात
घर से करीब एक किलोमीटर दूर इमरानगंज बाजार में पहुंचे। वहीं बाइक रोककर आशुतोष श्रीवास्तव किसी से मोबाइल पर बात करने लगे। उसी समय अपाचे बाइक सवार दो नकाबपोश बदमाश पहुंचे और बहुत करीब से उन्हें लक्ष्य कर अत्याधुनिक असलहे (नाइन एमएम पिस्टल) से ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं। सीने व पेट में चार गोलियां लगने से वह लहूलुहान होकर गिर पड़े। हमलावर फरार हो गए। मौके से नाइन एमएम की पिस्टल के खोखे व कारतूस मिले।
बाजार में फैली दहशत घटना से बाजार में दहशत फैल गई। धड़ाधड़ दुकानें बंद हो गईं। पता चलने पर मौके पर पहुंचे स्वजन आशुतोष को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लाए। डाक्टरों ने देखते ही मृत घोषित कर दिया. सनसनीखेज वारदात की खबर लगते ही जौनपुर संसदीय क्षेत्र के भाजपा प्रत्याशी कृपाशंकर ङ्क्षसह व क्षेत्रीय विधायक रमेश ङ्क्षसह अस्पताल पहुंच गए। अस्पताल में जुटे आक्रोशित लोग रास्ता जाम करने के लिए शव लेकर जेसीज चौक जाने का प्रयास किया। घटना का जल्द होगा राजफाश पुलिस अधिकारियों ने किसी तरह उन्हें समझा-बुझाकर रोका। अस्पताल पहुंचे एसपी डा। अजय पाल शर्मा ने शीघ्र हत्यारों को चिह्नित कर गिरफ्तार कर राजफाश करने का आश्वासन दिया तब जाकर लोग शांत हुए। इस संबंध में क्षेत्राधिकारी अजीत ङ्क्षसह चौहान ने बताया कि हत्यारों की गिरफ्तारी के लिए टीमें गठित कर दी गई हैं। शीर्घ ही गिरफ्तारी कर ली जाएगी। पुलिस की उदासीनता बनी आशुतोष की हत्या का कारणशाहगंज : पुलिस की उदासीनता ङ्क्षहदूवादी नेता व पत्रकार आशुतोष श्रीवास्तव की हत्या का कारण बन गई। जान को खतरा देखते हुए आशुतोष श्रीवास्तव ने कोतवाली में और एसपी को प्रार्थना पत्र देकर सुरक्षा के लिए आग्रह किया था। परिजन का कहना है कि दस दिन पूर्व आशुतोष को कोतवाली बुलाकर खुद दारोगा ने सतर्क रहने को कहा था, ङ्क्षकतु सुरक्षा का प्रबंध नहीं किया। इसे लेकर पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए जा रहे हैं.
आशुतोष श्रीवास्तव गोवंशीय तस्करों के साथ ही भू-माफियाओं के खिलाफ भी समय-समय पर आवाज उठाने के कारण ऐसी गतिविधियों में लिप्त मनबढ़ों की आंख की किरकिरी बन गए थे। अनियमितताएं सामने लाने के लिए आरटीआइ का इस्तेमाल करने के कारण भी कुछ असामाजिक तत्व उनसे नाराज रहते थे। आशुतोष को इस बात का आभास हो गया था कि कुछ लोग उनकी जान के दुश्मन बन गए हैं। किसी भी समय उन पर हमला कर सकते हैं। इसी आशंका से उन्होंने पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को पूर्व में ही प्रार्थना पत्र देकर सुरक्षा की गुहार लगाई थी, ङ्क्षकतु पुलिस ने गंभीरता से नहीं लिया। पुलिस ने आगाह तो किया था, ङ्क्षकतु नहीं मुहैया कराई थी सुरक्षामृत आशुतोष श्रीवास्तव के छोटे भाई की पत्नी डाली श्रीवास्तव ने कहा दस दिन पूर्व पुलिस ने उन्हें कोतवाली बुलाया था। एक दारोगा ने कहा था कि आप घर में रहा कीजिए। दो शूटर आपको मारना चाहते हैं। इस पर आशुतोष ने कहा था कि मैं कब तक घर में रहूंगा। आप मुझे सुरक्षा दीजिए, फिर भी पुलिस ने अनदेखी कर दी.
घटनास्थल से खोखे व कारतूस बरामद पुलिस अधीक्षक डा। अजय पाल शर्मा ने इमरानगंज बाजार में उस स्थान का निरीक्षण किया जहां आशुतोष श्रीवास्तव की गोलियों से छलनी कर हत्या की गई। पुलिस को मौके से नाइन एमएम पिस्टल के तीन खोखे व दो कारतूस मिले। एसपी ने मातहतों को आवश्यक निर्देश देने के साथ ही कई पुलिस टीमें हत्यारों की धर-पकड़ के लिए गठित कर दी। साथ ही एसओजी को राजफाश के लिए लगा दिया. आशुतोष की हत्या से उच्जड़ गई कच्ची गृहस्थीइलेक्ट्रानिक मीडिया के पत्रकार व ङ्क्षहदूवादी नेता आशुतोष श्रीवास्तव की हत्या से परिवार पर वज्रपात सा हो गया हच्ै। उनकी कच्ची गृहस्थी उजड़ गई। पत्नी कल्पना व अन्य स्वजन के करुण-क्रंदन से गृह गांव सबरहद का माहौल बोझिल हो गया है। मृत आशुतोष श्रीवास्तव छह भाइयों में चौथे नंबर पर थे। वह रामलीला समिति सबरहद के अध्यक्ष थे। इसके साथ रोजगार सेवक पद पर काम कर परिवार का भरण-पोषण करते थे। पूरा परिवार लंबे समय से गांव की सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय सहभागिता करता रहा। परिवार के सदस्य रामलीला मंचन में पात्र की भूमिका में भी निभाते थे। पत्नी कल्पना का रोते-रोते बुरा हाल है। उनकी समझ में नहीं आ रहा है कि बाकी पहाड़ सरीखी ङ्क्षजदगी किसके सहारे गुजारेंगी। पिता का साया छिन जाने के बाद कैसे 13 वर्षीय पुत्र सार्थक का भविष्य संवारेंगी। पुत्र व भाइयों की भी आंखों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। परिवार की अन्य महिलाओं का भी करुण क्रंदन गांव के लोगों व संवेदना जताने के लिए पहुंचने वालों का कलेजा चाक कर रहा है।