Varanasi news. डेवलपमेंट का ड्रोन शो, उत्साह ने भरी उड़ान,कमल का फूल, डमरू, विश्वनाथ दरबार, गंगा विलास क्रूज और नमो घाट का नजारा दिखा आसमान में
वाराणसी (ब्यूरो)। चुनावी समर में पीएम मोदी के रोड शो के पहले काशी ने विकास की उड़ान देखी। ड्रोन शो में दूसरे दिन शुक्रवार को दशाश्वमेध घाट किनारे जब एक साथ 1000 ड्रोन उड़े और कमल का फूल, डमरू, विश्वनाथ दरबार, गंगा विलास क्रूज और नमो घाट का नजारा आसमान में दिखा तो पूरे काशी ने एक साथ विकास के लिए अधिक से अधिक मतदान का संकल्प लिया। शो को देखने के लिए 88 घाटों पर करीब ढाई लाख लोग पहुंचे थे। यह शो 12 मई तक चलेगा।
गंगा की लहरों के ऊपर आकाश में जब वंदेभारत दौड़ी तो लोगों के उत्साह का ठिकाना न रहा। शाम करीब 7:45 बजे घाट पर गंगा आरती समाप्त हुई। उधर घाट के ठीक सामने गंगा पार 1000 ड्रोन तैयार थे। उनकी लाल-हरी लाइट लोगों को आकर्षित कर रही थीं। इसके बाद जब एक हजार ड्रोन एक साथ आकाश की उड़े तो लोगों का उत्साह देखते बनता था। गंगा की लहरों के बीच आसमान में पहुंच कर ड्रोन ने शंकर के डमरू की आकृति बनाई। डमरू की डिमडिम के साथ लोगों ने हर-हर महादेव का उद्घोष किया। इसके बाद एक-एक कर आसमान में काशी के विकास और विरासत के संरक्षण की कहानी आकाश में देखने को मिली। ड्रोन ने न केवल वंदेभारत सेमी हाईस्पीड ट्रेन की आकृति उकेरी बल्कि उसके पहिए घूमने लगे तो लोगों ने उसे गंगा पार से अपनी ओर आते महसूस किया। साथ ही आकाश में ड्रोन ने श्री काशी विश्वनाथ धाम, गंगा द्वार, गंगा आरती, नमो घाट के नमस्ते की मुद्रा के तीनों आकृति उभर कर सामने आए।
एप से कमांड, आसमान में डिस्प्ले ड्रोन की विहंगम डिस्प्ले वाली इस अनोखी उड़ान की टीम में करीब तीन से चार टेक्नीशियन और बाकी निगरानी और प्रदर्शन से संबंधित सदस्य मुंबई और नई दिल्ली से आए हैं। आधी टीम दशाश्वमेध घाट पर उद्घोषणा और निगरानी से जुड़ी है तो घाट के ठीक उसपार गंगा की रेती में जमीन पर टेक्नीशियन एक हजार ड्रोन को एक-एक कर रेत पर लगभग एक मीटर की दूरी पर रखकर उड़ान के पूर्व जांच करते हैं। सभी ड्रोन की जांच और बैट्री बैकअप की जांच के बाद ड्रोन उडऩे के लिए तैयार हो जाते हैं।हर ड्रोन में लाल, पीली, नीली, सफेद रोशनी के एलईडी बल्ब से प्रकाश की जांच अंतिम तौर पर टीम उड़ान से ठीक पहले जांचती है। इस दौरान दो से तीन तकनीकी सदस्य अपने लैपटाप से डिस्प्ले के लिए बने एप पर कमांड तैयार कर नियंत्रित उड़ान को शुरू करते हैं। एआइ तकनीक पर आधारित प्रणाली से युक्त ड्रोन आपस में तारतम्यता दिखाते हुए पर्याप्त दूरी से एक-एक कर आसमान का रुख करते हैं और करीब सौ मीटर की दूरी तय करने के बाद उनका प्रदर्शन शुरू हो जाता है।
तकनीकी टीम के अनुसार लगभग तीन सौ ग्राम के प्रत्येक ड्रोन किसी स्क्रीन पर दिखने वाले पिक्सेल अथवा डाट पर इंच (डीपीआइ) की भांति व्यवहार करते हैं और अधिसंख्य वाले ड्रोन मिलकर सामने मौजूद दर्शकों के लिए किसी डिस्प्ले या स्क्रीन की तरह व्यवहार करते हैं। हथेली में समा जाने वाले यह ड्रोन पूरी तरह चार्ज होने पर आधे घंटे तक लगातार उड़ान भरने में सक्षम हैं। लाइट जलने पर अधिक ऊर्जा की खपत करते हैं जिससे इनके उड़ान का समय तय कर इनको प्रदर्शन का कमांड दिया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया पर नजर रखने के लिए दो मास्टर ड्रोन से दिखने वाले डिस्प्ले पर नजर रखी जाती है।