पूर्व निर्धारित समय के अनुसार 11 मई से यानि शनिवार को सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट प्रोफेसर ओम शंकर आमरण अनशन पर बैठ गए. धरने के दौरान वे अपने चेंबर में ही फर्श पर बैठकर मरीजों का इलाज करते हैं. आला लगाकर मरीज की रिपोर्ट भी वहीं पर चेक कर रहे थे.

वाराणसी (ब्यूरो)बीएचयू के एसएस हॉस्पिटल में पिछले दो साल से चल रही दो विभागों की लड़ाई शनिवार को सड़क पर चल ही आई। पूर्व निर्धारित समय के अनुसार 11 मई से यानि शनिवार को सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट प्रोफेसर ओम शंकर आमरण अनशन पर बैठ गए। धरने के दौरान वे अपने चेंबर में ही फर्श पर बैठकर मरीजों का इलाज करते हैं। आला लगाकर मरीज की रिपोर्ट भी वहीं पर चेक कर रहे थे। डॉक्टर का कहना है कि अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट को पद से हटाने की ठोस कार्रवाई के बाद ही वो धरना खत्म करेंगे। बता दें कि चेंबर में बैठने से पहले वे वीसी आवास पर आमरण अनशन करने पहुंचे थे, जहां पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजिट का हवाला देकर पुलिस और प्रॉक्टोरियल बोर्ड के अधिकारियों ने उन्हें वापस भेज दिया। प्रो। ओम शंकर वापस अपने चेंबर पहुंचे और वहीं पर जमीन पर बैठकर मरीजों का इलाज शुरू कर दिए।

कमेटी की अनुशंसा को दरकिनार करने का आरोप

हालांकि धरने के बीच 2डी ईको समेत हार्ट संबंधी टेस्ट का काम अपने नीयत स्थान पर चलता रहा। उसे नहीं बंद किया गया। विरोध के दौरान प्रो। ओम शंकर ने अस्पताल के एमएस प्रो। के के गुप्ता पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। बताया कि वीसी को लेटर लिखकर पद से हटाने की पुरजोर मांग कर रहे हैं। 13 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोड शो को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन भी काफी चौकन्ना है। इंटेलीजेंस के लोग 24 घंटे डॉक्टर के आमरण अनशन स्थल पर पहरा बनाए रखेंगे। कुछ सुरक्षा अधिकारियों को धरना स्थल पर तैनात भी कर दिया गया है। इधर प्रो। ओम शंकर ने कहा कि अस्पताल प्रशासन के अधिकारी, आईएमएस-बीएचयू के डीन डायरेक्टर्स की भी नहीं सुनते। अक्टूबर 2023 में डीन की अध्यक्षता में कमेटी बनी.उसने सुझाव दिया कि सुपर स्पेशियालिटी ब्लॉक का चौथा फ्लोर और पांचवां फ्लोर 9 मार्च को कार्डियोलॉजी विभाग को सौंप दिया जाए। लेकिन, अस्पताल के एमएस ने अभी तक कमेटी की अनुशंसा नहीं मानी।

Posted By: Inextlive