बीएचयू अस्पताल में वर्ष 2010 तक 80 से अधिक किडनी ट्रांसप्लांट हो चुके हैं इसके बाद प्रत्यारोपण रोक दिया गया. पिछले डेढ़ वर्ष में नए सिरे से प्रयास चल रहा है. पांच साल के लिए लाइसेंस का नवीकरण हुआ है.

वाराणसी (ब्यूरो)बीएचयू अस्पताल में वर्ष 2010 तक 80 से अधिक किडनी ट्रांसप्लांट हो चुके हैं, इसके बाद प्रत्यारोपण रोक दिया गया। पिछले डेढ़ वर्ष में नए सिरे से प्रयास चल रहा है। पांच साल के लिए लाइसेंस का नवीकरण हुआ है। ऐसे में करीब 13 साल बाद किडनी प्रत्यारोपण के लिए पहला मरीज तय कर लिया गया है। हास्पिटल कमेटी ने स्वीकृति दे दी है।

रोहनिया बाईपास के संतोष कुमार (बदला नाम) के 34 साल की आयु में दोनों गुर्दे खराब हो चुके हैं। क्रोनिक ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस बीमारी की चपेट में हैं। वह डायलिसिस पर हैं। उनकी पत्नी अपनी एक किडनी उन्हें देंगी। डाक्टरों ने प्री-ट्रांसप्लांट की थर्ड लाइन वर्क अप पूर्ण कर लिया है। नेफ्रोलाजी और यूरोलाजी विभाग मिलकर ट्रांसप्लांट प्रक्रिया पूर्ण करेंगे। किडनी ट्रांसप्लांट के लिए दो और मरीजों ने आवेदन किया है। उनकी प्रथम और द्वितीय लाइन की जांच चल रही है। नेफ्रोलाजी विभागाध्यक्ष प्रो। शिवेंद्र ङ्क्षसह ने बताया कि एक मरीज की किडनी प्रत्यारोपित करने की प्रक्रिया अंतिम दौर में है। चिकित्सा अधीक्षक प्रो। कैलाश कुमार ने बताया कि पहले मरीज का किडनी प्रत्यारोपित करने के लिए सहमति प्रदान की जा चुकी है। विभाग समय पर कार्य पूरा करे.

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क्या है बीमारी : क्रोनिक ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस बीमारी युवा पुरुषों को होती है, जिन्हें सुनने व ²ष्टि हानि भी हो सकती है। कुछ रूप प्रतिरक्षा प्रणाली में परिवर्तन के कारण होते हैं। इस बीमारी में विषाक्त पदार्थ, अपशिष्ट और अतिरिक्त तरल पदार्थ मूत्र में ठीक से फिल्टर नहीं होते हैं। वह शरीर में जमा होकर सूजन और थकान पैदा करते हैं।

Posted By: Inextlive