देश की पहली अर्बन ट्रांसपोर्ट रोपवे प्रोजेक्ट में आंशिक बदलाव से एक बार फिर ट्रायल की डेट आगे बढ़ गई है. ऐसे स्थिति काशी की जनता के साथ देशी-विदेशी पर्यटकों को अभी गंडोला पर सफर के लिए इंतजार करना होगा. पहले देव दीपावली पर ट्रायल होने की उम्मीद थी लेकिन अब अगली डेट को लेकर मंथन शुरू हो गया है

वाराणसी (ब्यूरो)। देश की पहली अर्बन ट्रांसपोर्ट रोपवे प्रोजेक्ट में आंशिक बदलाव से एक बार फिर ट्रायल की डेट आगे बढ़ गई है। ऐसे स्थिति काशी की जनता के साथ देशी-विदेशी पर्यटकों को अभी गंडोला पर सफर के लिए इंतजार करना होगा। पहले देव दीपावली पर ट्रायल होने की उम्मीद थी, लेकिन अब अगली डेट को लेकर मंथन शुरू हो गया है। हालांकि इसके पहले जुलाई, फिर सितंबर में रोपवे का ट्रायल की तारीख तय की गई थी। पहले फेज में कैंट से रथयात्रा तक ही रोपवे का संचालन होना है। इसके लिए साढ़े तीन किमी रूट पर जगह-जगह कुल 18 टॉवर स्टॉल कर दिए गए हैं। स्टेशन का निर्माण कार्य भी तेज गति से चल रहा है। कुंभ से पहले रोपवे सेवा के ट्रायल करने की योजना है।

स्टेशन बनने में लगेंगे तीन माह

गिरजाघर और गोदौलिया पर अभी काम शुरू ही नहीं हुआ है। जब सभी विभाग अपना काम कर लेंगे तो कार्यदायी एजेंसी को तीन माह कम से कम चाहिए, गोदौलिया चौराहा पर अंतिम स्टेशन न बनाया जाए। गिरिजाघर को ही प्रोजेक्ट का अंतिम छोर बनाने में प्रशासन की दिलचस्पी है। जो चर्चा अब छिड़ी हुई है, उस पर दो साल पहले ही वृहद मंथन हो चुका है। यूपी कैबिनेट ने प्रोजेक्ट की स्वीकृति से पहले हर ङ्क्षबदु पर अध्ययन किया था। प्रोजेक्ट को लागू करने के पीछे मंशा यह थी कि जाम से जूझ रहे प्रतिदिन शहर के एक लाख ट्रैफिक को रोपवे पर शिफ्ट किया जाए। गोदौलिया स्टेशन बनाने के पीछे यही सोच था कि चौराहे के नीचे से जनता की आवाजाही होती रहे और ऊपर स्टेशन से हजारों यात्री चार रास्तों से प्रवेश करें और बाहर निकल जाएंगे।

मई 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य

अक्टूबर में त्योहारों के कारण काम पूरा होने पर संशय है। ऐसी परिस्थिति में रोपवे का ट्रायल देव दीपावली पर 15 नवंबर से नहीं हो सकेगा। उम्मीद जताई जा रही है कि अब नए साल में ही इसका ट्रायल हो सकेगा। वैसे सरकार चाहती है कि प्रोजेक्ट मई 2025 तक पूरा कर लिया जाए। ऐसे में जब नया एलाइनमेंट बनेगा तो प्रोजेक्ट पूरा होने में दो वर्ष का अतिरिक्त समय लगेगा, क्योंकि स्विट््जरलैंड की टीम को नए सिरे से डिजाइन बनानी होगी। घोड़ा नाला, हाथी नाला व ग्रांट ट्रंक सीवर सिस्टम का बड़ा गतिरोध भी राह में बाधा बनेगा। निकट ही दशाश्वमेध घाट भी है, ऐसे में गिरिजाघर से घाट तक मौजूद सरकारी परिसंपत्तियां हटाने में प्रशासन को कड़ी मशक्कत करनी होंगी।

गोदौलिया और गिरिजाघर स्टेशन के लिए निर्माण सामग्री तैयार

गिरिजाघर और गोदौलिया स्टेशन के सिविल कार्य के लिए निर्माण सामग्री तैयार हो चुकी है। संपूर्ण सामान स्विट््जरलैंड से आयात हो चुका है। एलाइनमेंट बदलने पर 400 करोड़ का नुकसान होगा। लागत राशि भी बढ़ेगी, आखिर इसकी भरपाई कैसे होगी। अब तक 72 गोंडोला (केबल कार) आ चुके हैं, उन्हें शहर के तीन अलग-अलग स्थानों पर रखा गया है। रोप पूरा आ चुका है जबकि 28 में से 18 टावर लग गए हैं। पहले चरण का शत प्रतिशत टावर इंस्टालेशन हो चुका है, दूसरे चरण के दो टावरों के लिए जमीन मिलनी बाकी है। इसके अलावा कैंट स्टेशन पर रोपवे उपकरण लगाने का काम शुरू हो चुका है जबकि रथयात्रा स्टेशन और विद्यापीठ स्टेशन का कार्य हो चुका है।

16 मिनट में होगा कैंट से गोदौलिया तक का सफर

रोपवे से कैंट से लेकर गोदौलिया तक की यात्रा का समय 60 मिनट से घटकर सिफऱ् 16 मिनट रह जाएगा। इस परियोजना की स्थापना की कुल लागत 650 करोड़ रुपये है। 4 किलोमीटर लंबे इस मार्ग पर 148 गंडोला या केबल कारें होंगी जो जमीन से 40 मीटर की ऊंचाई पर चलेंगी और प्रतिदिन लगभग 90,000 लोगों को ले जाने में सक्षम होंगी।

अभी कहना मुश्किल है। काम तेजी से चल रहा है। ट्रायल डेट को लेकर निर्णय शासन स्तर पर तय होगा, जो भी डेट आएगी, शेयर कर दी जाएगी।

पूजा मिश्रा, प्रोजेक्ट मैनेजर

Posted By: Inextlive