बलिया जिले में कभी गंगा तो कभी सरयू से तबाही का सिलसिला हर वर्ष जारी रहता है. अभी गंगा कुछ नरम हैं तो सरयू कई स्थानों पर तबाही मचा रही हैं. सरयू कटान से बैरिया के गोपालनगर टांडी और भोजपुरवा के टिकुलिया गांव का अस्तित्व अब समाप्त होने को है. दोनों स्थानों को मिलाकर इस वर्ष 95 लोग बेघर हो चुके हैं. गांव के पुराने पेड़ सामुदायिक शौचालय देवी स्थान सहित बहुत सी अमिट निशानी नदी में समाहित हो चुकी है

वाराणसी (ब्यूरो)। बलिया जिले में कभी गंगा तो कभी सरयू से तबाही का सिलसिला हर वर्ष जारी रहता है। अभी गंगा कुछ नरम हैं तो सरयू कई स्थानों पर तबाही मचा रही हैं। सरयू कटान से बैरिया के गोपालनगर टांडी और भोजपुरवा के टिकुलिया गांव का अस्तित्व अब समाप्त होने को है। दोनों स्थानों को मिलाकर इस वर्ष 95 लोग बेघर हो चुके हैं। गांव के पुराने पेड़, सामुदायिक शौचालय, देवी स्थान सहित बहुत सी अमिट निशानी नदी में समाहित हो चुकी है। जिले में वर्षवार गंगा से ज्यादा सरयू ही तबाही की दास्तां लिखती जा रहीं हैं।

स्थान को निहार रहे लोग

जिनके घर नदी में गिर गए हैं, वे लोग अभी भी मौके पर जाकर अपने घर वाले स्थान को निहार रहे हैं। दो माह पहले तक मकान के अंदर पूरा परिवार साथ रहता था, अब सभी शरणार्थी की जिंदगी व्यतीत कर रहे हैं। पीडि़तों का हाल जाने के लिए अधिकारी और जनप्रतिनिधि भी लगातार पहुंच रहे हैं, लेकिन राहत के नाम पर सिर्फ बाढ़ राहत किट और आश्वासन मिल रहा है। बसने के लिए जमीन की व्यवस्था भी नहीं की जा रही है। जबकि शासन से निर्देश है कि जिनके मकान नदी में गिर गए हैं, उनको बसने के लिए तत्काल जमीन उपलब्ध कराया जाए।

भोजपुरवा के टिकुलिया में पीडि़तों का छलका दर्द

बांसडीह : बांसडीह के भोजपुरवा के टिकुलिया पुरवा में एक हजार की आबादी थी। तीन साल में लगभग 200 लोगों के छोटे, बड़े मकान नदी में गिर गए या लोग स्वयं से घर उजाड़कर दूसरे स्थान पर चले गए। 40 घरों के लोग इस वर्ष अपना मकान उजाड़े हैं। गांव में प्रवेश करने पर शिवजी यादव मिले। पूछने पर बताते हैं कि सरयू के किनारे ही बचपन बीता था, चार वर्ष पहले तक नदी आबादी से काफी दूर थी, लेकिन अब पूरी बस्ती ही कटान में गिर गई है। रमाशंकर यादव ने सरयू की लहरों ने हमें भले ही बेघर कर दिया, लेकिन यहां की यादें स्मृतियों से नहीं मिटती हैं। बेघर हो चुके रामदेव बताते हैं कि गांव में एक डीह बाबा का स्थान था, वहां का चबूतरा ग्रामीणों के लिए विशेष स्थान था। वहीं पर बड़े बुजुर्गों का चौपाल लगता था, लेकिन यह स्थल वीरान हो चुका है। गुड्डू गोंड़ बताते हैं कि गांव का देवी मंदिर भी नहीं बचा। इस स्थान से पूरे गांव की आस्था जुड़ी थी। राजमंगल यादव ने बताया कि वर्तमान में काफी परिवर्तन आया है। बांसडीह बलिया जैसे बाजारों में महीनों में एक बार जाना होता था। सब्जी, अनाज्र पानी, घर सभी जरूरतें गांव की मिट्टी ही पूरी करती थी। अब हम दूसरे पर आश्रित हो गए हैं। श्यामदेव यादव ने बताया अब भोजपुरवा का यह पुरवा टिकुलिया भले ही मिट गया, लेकिन यहां की यादें हमारी स्मृतियों में सदैव जिंदा रहेंगी।

गोपालगनर टांडी में अपने भाग्य पर रो रहे पीडि़त

बैरिया : क्षेत्र के गोपालनगर टांडी गांव में भी पिछले साल से ही सरयू कटान में घर गिर रहे हैं। पिछले वर्ष 60 मकान नदी कटान में गिर गए थे। इस वर्ष 80 मकान कटान के मुहाने पर थे, उसमें से अभी तक 46 मकान गिर चुके हैं। इसमें मात्र सात लोगों को बसने के लिए जमीन दी गई है। शेष लोग अपने रिश्तेदारों के यहां या फिर गांव में झोपड़ी डालकर रह रहे हैं। कटान में घर गिरने के बाद प्लास्टिक डालकर रह रहे गणेश यादव ने बताया कि नदी ने सब कुछ छीन लिया है। लगभग 160 की बस्ती सरयू के किनारे थे, लेकिन अब पूरी बस्ती वीरान हो चली है। गांव का मंदिर भी नदी कटान में गिर गया है। ललन यादव ने बताया कि पीडि़तों को राहत के नाम पर सिर्फ सामग्री मिल रही है, उसके बाद कुछ भी प्राप्त नहीं हो रहा है। रामेश्वर यादव ने बताया कि कटानरोधी कार्य की मांग करते रहे गए, लेकिन यहां के लिए कोई कार्ययोजना नहीं बनी। अब कटान टावर की ओर से है। उस हिस्से में लगभग 300 घरों की आबादी है।

-कटान में जिनके घर गिर गए हैं, उनको सरकार ओर से पक्का मकान के लिए 1.20 लाख प्रति मकान और प्रति झोपड़ी आठ हजार मुआवजा दिया जाना है। सूची तैयार हो रही है। बाढ़ राहत सामग्री भी दी जा रही है।

-डीपी सिंह, अपर जिलाधिकारी।

Posted By: Inextlive