नाथों के नाथ बाबा विश्वनाथ के भी पिता काशी में विराजमान हैं. यकीन नहीं होता है तो शीतला गली स्थित मंदिर में जाकर दर्शन कर सकते हैं. जमीन से 40 फीट नीचे पिता महेश्वर धुनी रमाए हंै. कहा जाता है जितनी गहराई गंगा की है उतने ही नीचे बाबा का शिवलिंग विराजमान है.

वाराणसी (ब्यूरो)। नाथों के नाथ बाबा विश्वनाथ के भी पिता काशी में विराजमान हैं। यकीन नहीं होता है तो शीतला गली स्थित मंदिर में जाकर दर्शन कर सकते हैं। जमीन से 40 फीट नीचे पिता महेश्वर धुनी रमाए हंै। कहा जाता है जितनी गहराई गंगा की है उतने ही नीचे बाबा का शिवलिंग विराजमान है। साल में सिर्फ शिवरात्रि के दिन पिता महेश्वर का दरबार खुलता है जबकि बाकी दिनों में झांकी दर्शन करने का अवसर प्राप्त होता है। जब मंदिर मेंं जाएंगे तो बाबा विश्वनाथ के पिता यानि पिता महेश्वर के भी पिता भी विराजमान हैं। काशी ऐसी नगरी है जहां बाबा विश्वनाथ के पूरे परिवार को दर्शन करने का सुख मिलता है।

शिवरात्रि के दिन खुलता है मंदिर

ज्योतिषाचार्य संगीता गौड़ की मानें तो पिता महेश्वर का दर्शन-पूजन करने से पितृदोष दूर होता है। यह सच है कि जिसने भी दर्शन किया उसके सारे कष्ट दूर हुए हंै। यही वजह है कि शिवरात्रि के दिन बाबा का दर्शन-पूजन करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।

विशेश्वर खंड में पिता महेश्वर

मंदिर के महंत सुरेश शर्मा का कहना है कि विशेश्वर खंड के अंतर्गत पिता महेश्वर का वर्णन आता है। ऐसा मानते हैं कि भगवान शिव के पिता हैं, इस कारण से इनका नाम पिता महेश्वर पड़ा। काशी खंड में भी ऐसी मान्यता है कि जब गंगाजी का भी पृथ्वी पर अवतरण नहीं हुआ था तब से यह पिता महेश्वर यहां पर स्वयंभू शिवलिंग में विराजित है। जब भगवान शंकर काशी विराजित हुए और उसके बाद जब सभी देवता देवी देवता काशी में आए वहां शिव के पिता को न पाकर सभी दुखी हो गए और उन्होंने एक साथ मिलकर उनका आह्वान किया।

भगवान शिव के पिता प्रकट हुए

तब पिता महेश्वर के रूप में भगवान शिव के पिता प्रकट हुए और यहां पर स्वयंभू शिवलिंग के रूप में विराजमान है। जमीन से 40 फीट नीचे आते हैं और यहां पर आसानी से सांप और बिच्छू दिखाई देते है। नीचे जाने वाली सीढिय़ों से धीरे-धीरे पानी निकलता है। ऐसी मान्यता है कि उनके दर्शन और जलाभिषेक करने से पितृ दोष मुक्ति मिलती है। इस मंदिर में ऊपर छिद्र से ही इनके दर्शन करने का पुण्य फल प्राप्त होता है और यहां से जल भी चढ़ाया जा सकता है।

भक्तों के लिए बंद रहता है मंदिर

दर्शनार्थियों की सुरक्षा को लेकर यह मंदिर बन्द रहता है क्योंकि मन्दिर परिसर का रास्ता काफी पुराना और जर्जर है। इसलिए इसे साल में बस एक बार ही खोला जाता है। बाकी पूरे साल शिवलिंग के ऊपर मुक्के से ही महेश्वर महादेव का जलाभिषेक किया जाता है। सुरेश शर्मा ये भी बताते हैं की महेश्वर मंदिर और सिद्धेश्वरी माता का मंदिर काशी के सबसे पुराने मन्दिर हैं। महेश्वर महादेव शिवलिंग के ऊपर पंचमुखी शेषनाग भी छत्र के रूप में स्थापित हैं। इसका जिक्र काशी खण्ड में भी है।

Posted By: Inextlive