Varanasi news: बेजुबानों को सहारा, सड़क पर घायल डॉग्स को घर में जगह
वाराणसी (ब्यूरो)। आए दिन सड़कों पर घूम रहे जानवरों के साथ होने वाली क्रूरता सामने आती रहती है, वहीं बनारस में कुछ ऐसे भी लोग हैं जोकि इन बेजुबान जानवरों के लिए सहारा बने हुए हैं और इनके हित के लिए कार्य कर रहे हैं। दुर्घटना के शिकार जानवरों खासकर डॉग्स के लिए एनिमोटेल केयर नाम की संस्था और रमैया चेरिटेबल फाउंडेशन नाम की संस्था काम रही है। एनिमोटेल एनजीओ ने हरहुआ में पशु हॉस्पिटल भी बनाया है, जहां पर घायल जानवरों का घर की तरह इलाज किया जाता है। पिछले एक साल के आंकड़ों की बात करें तो करीब 200 डॉग्स का यहां पर इलाज किया जा चुका है। वहीं रमैया चेरिटेबल फाउंडेशन की ओनर 15 साल से डॉग्स और अन्य जानवरों की सेवा में लगी हुई हैैं। उन्होंने घर पर ही 40 डॉग्स को रहने की जगह दी है। ये वो डॉग्स होते हंै जो किसी दुर्घटना के शिकार हो जाते हंै। आइये इंटरनेशनल डॉग्स डे पर जानते हैं कि आखिर क्यों चुनी उन्होंने ये फील्ड।
-------------- 1- वह कुंवारी पर सैकड़ों बेजुबानों की मां है।वाराणसी की स्वाति ने 25 साल पहले एक बंदरिया को मदारी के पास देखा। उसकी हालत काफी खराब थी। लेकिन, उसकी मदद करने की बजाय वहां से गुजरने वाले लोग मदारी पर तमाशा दिखाने के लिए दबाव बना रहे थे। स्वाति को यह बिल्कुल पसंद नहीं आया और वह बंदरिया को छीनकर अपने घर ले आईं। बंदरिया का नाम रमैया रखा और उसी के नाम पर रमैया चैरिटेबल ट्रस्ट बनाया। 10 साल बाद रमैया की मौत हो गई, लेकिन तब तक स्वाति की जिंदगी पूरी तरह बदल चुकी थी। उसने स्वाति को संकट में घिरे सैकड़ों बेजुबानों के लिए एक सुरक्षित घर खोजने का रास्ता दिखाया। आज स्वाति का घर सैकड़ों कुत्ते, सांड़, चील, बिल्ली और कबूतरों के लिए एक आश्रय घर बन चुका है।
बचपन से ही लगाव स्वाति को बचपन से ही पशुओं से प्रेम था, लेकिन जानवरों के लिए शेल्टर होम खोलने की योजना नहीं बनाई थी। वह बताती हैं कि मेरी मां रीता बलानी और पिता राकेश बलानी ने हमेशा मुझे जानवरों के प्रति प्यार और सहानुभूति दिखाना सिखाया। वे किसी भी जानवर को कभी चोट ना पहुंचाने की सीख देते थे। घायलों को लाती हैंस्वाति बताती हैं कि किसी भी बेजुबान जानवर को तकलीफ में देखती हैं तो उन्हें घर ले आती हैं और उनका इलाज करके अपने पास ही रखती हैं। वर्तमान समय में स्वाति के घर में कुत्तों की संख्या सबसे अधिक है। इनके अलावा सांड, बिल्ली, चील भी हैं। स्वाति का कहना है कि अकसर एक जानवर की दूसरे से नहीं बनती है, लेकिन यहां घर में आने के बाद सभी एक दूसरे से घुल-मिलकर रह रहे हैं।
नहीं की शादी स्वाति बताती है कि उन्होंने शादी नहीं की। कारण चौंकाने वाला था। वह जिस घर में रहती हैं उसी में माता-पिता भी रहते हैं। यदि वह शादी कर लेंगी तो उनका जीवन अलग हो जाएगा और अलग रहना होगा। जबकि उनको इन जानवरों से साथ जीने में खुशी मिलती है। इसलिए निर्णय लिया कि कभी शादी नहीं करेंगी। घर में सैकड़ो जानवररमैया चैरिटेबल ट्रस्ट के अंतर्गत उन्होंने सैकड़ो बेजुबानों को अपने घर में पनाह दे रखी है। इस समय घर में 40 से अधिक कुत्ते, 13 बिल्ली, दो सांड, सैकड़ो कबूतर, चील रहती है। यही नहीं, स्ट्रीट डॉग भी उनके घर पर आते हैं, जिन्हें वह अलग से खाना खिलाती हैं। इनके इलाज पर भी स्वाति का अच्छा खासा पैसा खर्च होता है। स्वाति बताती हैं कि उन्होंने बेजुबानों का नामकरण भी कर रखा है। जैसे कुत्तों में रॉक्सी, स्पर्शी, चिनी और लडडू है तो सांड में भंडारी और नंदी हैं। चील का नाम चीलू है तो बिल्लियों में चुलबुल पांडे, बूची और जैकी हैं।
2- डॉग्स को दे रही न्यू लाइफ एनिमोटेल केयर ट्रस्ट संस्था की सीए सुदेशना बसु बताती हैं कि उनका कार्यालय महमूरगंज में स्थित दयाल इन्क्लेव कालोनी में है। यह संस्था आवारा पशुओं का इलाज करती है। साथ ही उन सभी जानवरों को पालती है जोकि किसी दुर्घटना में घायल हो जाते हैं। इसके अलावा सोशल मीडिया के माध्यम से भी वह लोगों को जानवरों की रक्षा करने के लिए जागरूक करते हैं। उनका कहना की आज अगर कोई जानवरों के साथ गलत कर रहा है और आप उसके खिलाफ आवाज नहीं उठा पा रहे हैं तो आप कम से कम उसकी वीडियो बना लें और हमें भेज दें, ताकि हम उस बेजुबान जानवर की मदद कर सकें। एनजीओ का हेल्पलाइन नंबर 7379845071 है। लोगों को कर रहीं जागरूकएनिमोटेल केयर ट्रस्ट मुख्य रूप से उन सभी जानवरों के लिए कार्य करता है, जिनकी देखभाल करने के लिए कोई नहीं होता है। पहले उन्होंने छोटे पैमाने पर इसकी शुरुआत की। जानवरों की सुरक्षा को लेकर लोगों को जागरूक करना शुरू किया। इसके बाद लोग उनसे जुड़ते गए और कारवां बनता गया। अब उन्होंने हरहुआ में पशु हॉस्पिटल भी बनाया है। एक साल में गंभीर रूप से घायल 200 डॉग्स का इलाज वह कर चुकी हैं।