अब स्टूडेंट के बैग का बोझ साल में 10 दिन के लिए कम होगा. इन दिनों में स्टूडेंट्स वाराणसी की संस्कृति को बेहद करीब से जानेंगे. सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजूकेशन सीबीएसई ने एक गाइडलाइन जारी की है

वाराणसी (ब्यूरो)। अब स्टूडेंट के बैग का बोझ साल में 10 दिन के लिए कम होगा। इन दिनों में स्टूडेंट्स वाराणसी की संस्कृति को बेहद करीब से जानेंगे। सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजूकेशन (सीबीएसई) ने एक गाइडलाइन जारी की है, जिसमें ये कहा गया है कि अब सीबीएसई स्कूल्स में साल में 10 दिन नो बैग डे होगा। इसे करने का मुख्य कारण है स्टूडेंट को 10 दिन के लिए बैग से मुक्ति देकर एक्सपेरिमेंट लर्निंग कराना। इस दौरान स्टूडेंट वाराणसी के सांस्कृतिक केन्द्रों में भ्रमण करेंगे। इससे स्टूडेंट को काफी कुछ सीखने को भी मिलेगा।

जुड़े रहे अपनी संस्कृति से

वाराणसी की संस्कृति से हर कोई जुडऩा चाहता है, लेकिन पढ़ाई के चलते स्टूडेंट इससे पीछे न हो जाएं, इसलिए सीबीएसई ने सभी शहरों के लिए एक गाइडलाइन जारी की है। इसमें जिस जगह की जो भी संस्कृति है उसे स्टूडेंट समझें और अपने जीवन में अपनाएं। जैसा बनारस में रेशम की बुनाई, कालीन, शिल्प कला समेत कई कलाएं फेमस हैं जिसके बारे में स्टूडेंट अभी अच्छे से नहीं जानते हैं। इसलिए साल में 10 अलग अलग दिनों में इन कलाओं से जुड़ी फैक्ट्री में स्टूडेंट जाएंगे और गहराई से इन कलाओं के बारे में समझेंगे। इस दौरान स्टूडेंट को इन कलाओं का इतिहास भी जानने को मिलेगा।

समझेंगे बाहर की दुनिया

स्टूडेंट कहीं किताबों तक ही सीमित न रह जाएं, इसलिए सीबीएसई कई एक्टिविटी कराता रहता है। इसे करने का कारण है कि स्टूडेंट लोकल फोर वोकल को समझें और इससे स्टूडेंट के मन में अपनी शहर की संस्कृति को आगे बढ़ाने पर भी जोर पड़ेगा। जैसा कि अगर कोई स्टूडेंट आगे जाकर इन कलाओं से जुड़ा बिजनेस करना चाहता है तो वह काफी जानकारी इस टूर से प्राप्त कर सकता है। हर एक कला से जुड़ी चीजों को स्टूडेंट को क्लास में भी समझाया जाएगा और अगर कोई स्टूडेंट इनमें से किसी सेक्टर में बिजनेस करना चाहता है तो उसेे इससे जुड़ी सभी जानकारी स्कूल से मिलेगी।

किन जगहों पर कराया जाएगा टूर

-ब्रासवेयर फैक्ट्री

-कॉपरवेयर फैक्ट्री

-लकड़ी पत्थर और मिट्टïी के खिलौने

-बनारसी साड़ी की फैक्ट्री

-कालीन की फैक्ट्री

स्टूडेंट को अब साल के 10 दिन अपने शहर के बारे में जानने को मिलेगा, जिससे वह अपनी संस्कृति से जुड़े रहे।

गुरमीत कौर, सीबीएसई कोऑर्डिनेटर

ऐसी एक्टिविटी से स्टूडेंट को काफी सीखने को मिलता है। वह जगह-जगह जाकर चीजों को एक्सप्लोर करते हैं।

अनुपमा राय, पिं्रसिपल, ज्ञानदीप स्कूल

बनारस की संस्कृति को स्टूडेंट को जरूर जानना चाहिए, जिससे वह अगर इसमें आगे बिजनेस करना चाहते हैं तो उन्हें चीजें समझने का मौका मिले।

सुधा सिंह, प्रिंसिपल, सेठ एमआर जयपुरिया स्कूल

Posted By: Inextlive