Kolkata Doctor Murder: कोलकाता में महिला रेजिडेंट की दुष्कर्म के बाद हत्या के विरोध में मंगलवार को बीएचयू अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था ठप हो गई. सर सुंदरलाल अस्पताल ट्रामा सेंटर और आयुर्वेद अस्पताल के सीनियर रेजिडेंट और जूनियर रेजिडेंट हड़ताल पर चले गए. एक हजार से अधिक रेजिडेंटों के हड़ताल पर जाने के कारण मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा. सैकड़ों मरीजों की सर्जरी टाल दी गई.

कोलकाता में महिला रेजिडेंट की दुष्कर्म के बाद हत्या के विरोध में मंगलवार को बीएचयू अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था ठप हो गई। सर सुंदरलाल अस्पताल, ट्रामा सेंटर और आयुर्वेद अस्पताल के सीनियर रेजिडेंट और जूनियर रेजिडेंट हड़ताल पर चले गए। एक हजार से अधिक रेजिडेंटों के हड़ताल पर जाने के कारण मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा। सैकड़ों मरीजों की सर्जरी टाल दी गई। पूरे दिन रेजिडेंटों को मनाने का प्रयास हुआ, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली। उनके समर्थन में 50 प्रतिशत डाक्टर भी खड़े हो गए थे। उनके अंदर घटना को लेकर काफी नाराजगी दिखाई पड़ी। हड़ताल के चलते बनारस समेत पूर्वांचल, बिहार, मध्य प्रदेश, बंगाल और झारखंड से आए मरीजों और तीमारदारों को परेशान होना पड़ा।

सिर्फ इमरजेंसी सेवा ही बहाल

सिर्फ इमरजेंसी सेवा ही बहाल रही। यहां रेजिडेंट मरीजों का इलाज करते दिखे। ओपीडी, वार्ड और सर्जरी की सेवाएं काफी प्रभावित रहीं। सुबह से ही मरीज इलाज कराने के लिए अस्पताल में जुट गए थे। पंजीकरण काउंटर खोला गया था। पर्चा बनाने के बाद मरीजों को लेकर तीमारदार लाइन में खड़े हो गए, लेकिन कोई डाक्टर नहीं था। कुछ विभागों में कंसल्टेंट (शिक्षक) के रूप में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसरों ने खुद कमान संभालने का प्रयास किया लेकिन सफलता नहीं मिली। भीड़ बढऩे के कारण कंसल्टेंटों ने सुबह 10 बजे के बाद पर्चा लेना बंद कर दिया था, इसके बाद आने वाले मरीजों को लौटाया जाने लगा। अधिकांश विभागों के अध्यक्ष भी ओपीडी में नहीं थे, जबकि उन्हें मरीजों की परेशानी समझनी चाहिए थी। ओपीडी में बाउंसर और पैरामेडिकल कर्मचारी मरीजों से दुव्र्यवहार कर रहे थे।

मरीजों से नोकझोक

गाली-गलौच व मारपीट की स्थिति बनी रही। वह मरीजों को बाहर का रास्ता दिखाते दिखे। मरीजों और तीमारदारों से उनकी तीखी नोकझोक होती रही। हालांकि व्यवस्था संभालने के लिए आइएमएस निदेशक प्रो। एसएन संखवार और सर सुंदरलाल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा। कैलाश कुमार वार्डों में पहुंचे थे, लेकिन उनकी सख्ती का भी असर दिखाई नहीं पड़ा। कंसल्टेंट भी विरोध में शामिल दिखे। एनिस्थिसियोलाजी में सर्जरी प्रभावित रही। इंडोक्रीनोलाजी, गैस्ट्रोइंटरोलाजी, कार्डियोथोरैसिक, नेफ्रोलाजी और कार्डियोलाजी विभाग की ओपीडी एकमात्र कंसल्टेंट के भरोसे दिखी। सर्जिकल आंकोलाजी में भी एकमात्र डाक्टर ही मरीजों के इलाज में लगे थे। अधिकांश विभागों में हजारों मरीज बिना इलाज वापस लौट गए, जबकि कुछ मरीजों ने प्राइवेट अस्पताल का रुख कर लिया। दूसरी तरफ रेजिडेंट डाक्टरों ने चिकित्सा विज्ञान संस्थान के बाहर नारेबाजी कर अपना विरोध जताया। उनकी मांग है कि कोलकाता रेप केस मामले की जांच सीबीआइ करे और सभी दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले।

सुरक्षा के बेहतर इंतजाम हो

हड़ताली रेजिडेंट अमित कुमार ने बताया कि अस्पतालों में सुरक्षा के लिए बेहतर इंतजाम हो और हर जगह गार्ड की तैनाती की जाए। अस्पताल का हर कोना सीसीटीवी से लैस होना चाहिए। जिन महिला रेजिडेंट की नाइट ड्यूटी हो, उनकी सुरक्षा के लिए भी बेहतर इंतजाम किए जाएं। ओपीडी के अलावा इमरजेंसी वार्ड में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई जानी चाहिए। बीएचयू की ओपीडी में हर दिन करीब सात हजार मरीज आते हैं, 80 प्रतिशत लोगों को निराश लौटना पड़ा। प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि हड़ताल लंबी चली तो स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा जाएंगी। आपरेशन लंबे समय के लिए टालने पड़ेंगे। इमरजेंसी सेवाएं भी प्रभावित हो सकती हैं।

पर्चा कटवाने के बाद पता चला हड़ताल है

मंगलवार को सुबह पंजीकरण काउंटर पर लाइन में लगकर औरंगाबाद के विनोद प्रसाद ने अपने दो साल के बच्चे के इलाज के लिए पर्चा कटवाया। ओपीडी में पहुंचे तो पता चला कि रेजिडेंट हड़ताल पर हैं। ओपीडी हाल में अधिकांश कुर्सियां खाली रहीं। सुपर स्पेशिएलिटी ब्लाक के भूतल पर नेफ्रोलाजी, गैस्ट्रो और सर्जिकल आंकोलाजी के जूनियर और सीनियर रेजिडेंट के कमरों में ताला बंद रहा। ओपीडी से लेकर इमरजेंसी के बाहर तक मरीज स्ट्रेचर पर ही पड़े रहे। ओपीडी के बाहर मरीजों के तीमारदार नीचे जमीन पर बैठे रहे। यहां अधिकांश मरीजों को डाक्टर स्ट्रेचर पर ही भर्ती कर देख रहे थे।

Posted By: Inextlive