Varanasi news: डांट से बच्चों और पेरेंट्स के बीच स्ट्रेस, इसलिए जरूरी है
वाराणसी (ब्यूरो)। अक्सर मां-बाप बच्चे को पढ़ाई या किसी गलत जिद के चलते ज्यादा डांट देते हैं। पेरेंट्स को अपने बच्चे को डांटना अपना अधिकार लगता है, पर क्या कभी आपने सोचा है कि इसका असर आपके बच्चे पर बहुत गहरा पड़ता है। ऐसा मानना है काउंसलर का, जोकि बच्चों का अलग व्यवहार देखते हैैं। कुछ समय बाद ये बच्चे अपने पेरेंट्स को ही अपना दुश्मन मानने लगते हैं। इस समस्या को कम करने के लिए सीबीएसई 24 सितंबर को स्टूडेंट और उनके पेरेंट्स के लिए वर्कशॉप रख रहा है, जिसका रजिस्ट्रेशन सीबीएसई की वेबसाइट (द्धह्लह्लश्चह्य://द्घशह्म्द्वह्य.द्दद्यद्ग/ह्य3२द्मष्ट1क्चश्चद्भह्म्छ्वह्म्॥क्कशद्व९) पर जाकर कर सकते हंै। वर्कशॉप का थीम श्चड्डह्म्द्गठ्ठह्लद्बठ्ठद्द द्घशह्म् ह्यह्लह्वस्रद्गठ्ठह्लह्य रखा गया है। बच्चों की समस्याओं को लेकर जब स्कूल के काउंसलर से पूछा गया तो उन्होंने भी बताया कि बच्चों में इस तरह की परेशानी देखने को मिल रही है।
नहीं कर पा रहे ठीक से पढ़ाईस्टूडेंट काउंसलर ने बताया, काफी समय से कई बच्चों में अकेले रहने की समस्या देखने को मिल रही है। वह क्लास में ठीक से पढ़ते नहीं हैं और जब उन्हें डांटो तो उसका भी उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता। जब इस समस्या को समझा गया तो पता चला कि पेरेंट्स और टीचर्स की बार-बार डांट खाने से बच्चे उनसे नफरत करने लगते हैं और उन्हें ही अपना दुश्मन समझ लेते हैं। इससे बच्चों के मन में बहुत गहरा असर पड़ता है और वह अपने दोस्तों और फैमिली से बात करना भी बंद कर देते हैं। इस समस्या को देखते हुए सीबीएसई स्कूल्स ने काउंसलर को बुला कर बच्चों की काउंसलिंग कराई। इसके बाद काउंसलर को भी बच्चों से बात करके पता चला कि बच्चों को अपने पेरेंट्स की बार-बार की डांट से परेशानी होने लगी है। इसके चलते न वह ठीक से पढ़ पा रहे हैं और न ही खाते व पीते हैं।
बच्चों ने कहा- कंपेयर करते हैं पेरेंट्सअभी हाल ही में सीबीएसई स्कूल्स में काउंसलिंग रखी गई, जहां एक बच्चे ने कहा कि मेरे पिता बार-बार मुझे मेरे बड़े भाई से कम्पेयर करते हैं। दरअसल, वह मुझसे पढ़ाई में ज्यादा बेहतर है तो वह मुझे ताने मारते हैं। रोज-रोज के तानों से मैैं समझ गया हूं कि वह मुझसे प्यार नहीं करते हैं। सिर्फ भाई से करते हैं और अब घुटन होने लगी है। इसको सुनते ही काउंसलर भी हैरान रह गए। काउंसलर का कहना था कि पेरेंट्स की एक छोटी सी बात भी बच्चों के मन में बहुत गहरा असर छोड़ती है। इसलिए जो भी बोलें, बहुत सोच समझ कर बोलें। डांटे तो प्यार से समझाना भी न भूलें अन्यथा बच्चा कोई गलत कदम भी उठा सकता है।
पेरेंट्स ने दिए इस तरह के ताने स्टूडेंट सोहेल ने कहा, वह हर बार क्लास में फस्र्ट आता है। इसके बाद भी जब एक बार वह क्लास में सेकेंड आया तो पेरेंट्स ने उसे बहुत डांटा। सोहेल नंबर कम आने की वजह से पहले से ही परेशान था और उसके पेरेंट्स का सपोर्ट न मिलने से वह और परेशान हो गया। इसके बाद क्लास में उसके नंबर और खराब आने लगे। वहीं, स्टूडेंट रिया ने कहा, वह मैथ में वीक हैं, जिसके लिए वह एक्स्ट्रा मेहनत भी कर रही हैं। पेरेंट्स ने उस पर पढ़ाई का इतना प्रेशर डाल रखा है कि वह पढ़ाई में और खराब होती जा रही है। उसे अपने पेरेंट्स पर भी गुस्सा आने लगा है और वह उनके साथ नहीं रहना चाहती है। काउंसलर ने बच्चों का ऐसा व्यवहार पहली बार देखा, जोकि बेहद गंभीर विषय है। पेरेंट्स को समझना होगाकाउंसलर ने कहा, अगर आपका बच्चा गलती करता है तो आप उसे डांट सकते हैं, पर डांटने पर भी कुछ ऐसा न बोलें कि वह आपको अपना दुश्मन समझें। एक दोस्त की तरह उन्हें प्यार से समझाएं। जब आप ऐसा करेंगे तो वह आपको अपना दोस्त समझेगा और पढ़ाई से भी नहीं भटकेगा। कई बार पेरेंट्स की इस गलती से स्टूडेंट अपनी जान तक दे देते हैं।
बच्चे करें ऐसा व्यवहार तो हो जाएं अलर्ट -अकेले रहना पसंद करना -कोई दोस्त न बनाना -स्कूल जाकर पढ़ाई पर न ध्यान देना -हर टाइम चुप रहना -छोटी-छोटी बात पर चिढ़ जाना सीबीएसई की वर्कशॉप में हों शामिल 24 सितंबर को सीबीएसई की वर्कशॉप पर जुड़ कर अपने बच्चों से जुड़ी काफी जानकारी जान सकते हैं। जैसे उनके बच्चे के साइकोलॉजी को वह कैसे समझें। अगर उनका बच्चा सही व्यवहार नहीं कर रहा है तो वह इसकी वजह कैसे जान सकते हैं। इन सभी मुद्दों पर बात होगी। पेरेंट्स को भी पता चलेगा कि उन्हें अपने बच्चों को कैसे डील करना है और कौन सी बातें उन्हें नहीं कहनी हैं। अपने बच्चों की ज्यादा केयर कहीं आपको उनका दुश्मन न बना दे। केयर करना अच्छी बात है पर हर बात में डांटना, उनके मन में काफी गहरा असर छोड़ता है। निर्मल जोशी, करियर कंसलटेंटपेरेंट्स को लगता है कि वह अपने बच्चे को उसके भले के लिए डांट रहे हैं पर ये बात उन्हें अपने बच्चों को भी समझानी होगी। किसी भी तरह का प्रेशर बच्चे पर पड़ेगा तो वह खुद को अकेला महसूस करने लगेगा।
नित्यानंद तिवारी, काउंसलर स्कूलों में हर हफ्ते काउंसलिंग होती है। इसमें पता लगाया जाता है कि बच्चे के मन में आखिर चल क्या रहा है और कहीं वह किसी समस्या का तो सामना नहीं कर रहा है। सीबीएसई भी पेरेंट्स के लिए वर्कशॉप आयोजित करता रहता है। नीलम सिंह, प्रिंसिपल, संत अतुलानंद स्कूल बच्चों की काउंसलिंग होती रहती है, जिससे अगर वह कोई परेशानी फेस कर रहे हैं तो उसका समाधान किया जा सके। पेरेंट्स मीटिंग में पेरेंट्स को भी इसके लिए गाइड किया जाता है। गुरमीत कौर, सीबीएसई कोऑर्डिनेटर