स्वच्छ सर्वेक्षण की जब-जब रिपोर्ट आती है तब-तब नगर निगम पॉल्युशन डिपार्टमेंट और विकास से जुड़े विभागों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े होते हैं. हालांकि स्वच्छ सर्वेक्षण में पब्लिक का भी रोल है पर अवेयरनेस के बावजूद पब्लिक अपनी भूमिका नहीं निभाती है.

वाराणसी (ब्यूरो)। स्वच्छ सर्वेक्षण की जब-जब रिपोर्ट आती है, तब-तब नगर निगम, पॉल्युशन डिपार्टमेंट और विकास से जुड़े विभागों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े होते हैं। हालांकि, स्वच्छ सर्वेक्षण में पब्लिक का भी रोल है, पर अवेयरनेस के बावजूद पब्लिक अपनी भूमिका नहीं निभाती है। पब्लिक ने नगर निगम के कलेक्शन अभियान से भी दूरी बना ली। चार लाख दस हजार भवन स्वामियों से 85 हजार ही भवन स्वामी कूड़ा उठान का यूजर चार्ज दे रहे हैं। बाकी 3 लाख 25 हजार भवन स्वामी कूड़ा उठान के लिए 50 रुपए महीना देने में भी असहज महसूस कर रहे हैं। ऐसे में काशी की स्वच्छता रैंकिंग ग्राफ कैसे आगे बढ़ सकती है। यही नहीं कूड़ा उठान होने के बाद कोई बरामदे तो कोई छत से तो कोई खिड़कियों से प्लास्टिक में कूड़ा बांधकर फेंक देता है।

2020 में शुरू हुआ अभियान

सिटी को स्वच्छ बनाने के लिए नगर निगम ने 2 अक्टूबर 2020 को घर-घर कूड़ा कलेक्शन अभियान की शुरुआत की थी। इसके बाद डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन शुरू हुआ। प्रतिदिन सुबह कूड़ा उठाने वाली गाडिय़ों के साथ सफाईकर्मी कूड़ा कलेक्शन के लिए पहुंच जाते हैं। गली, मोहल्ले में दरवाजे के पास पहुंचकर सिटी भी बजाते हैं। यही नहीं कई सफाईकर्मी तो कूड़ा लेने के लिए तीन से चार बार दरवाजा भी खटखटाते हैं। इसके बाद भी लोग बाहर नहीं निकलते हैं।

2.25 करोड़ का नुकसान हर महीने

नगर निगम के पीआरओ संदीप श्रीवास्तव ने कहा, 3 लाख 25 हजार पब्लिक के यूजर्स चार्ज भुगतान न करने की वजह से नगर निगम को हर महीने 2 करोड़ 25 लाख राजस्व का नुकसान सहना पड़ता है। कूड़ा उठाने वाली कंपनियों को नगर निगम अपने अन्य सोर्स से भुगतान करता है। नगर आयुक्त अक्षत वर्मा का कहना है कि कूड़ा उठान के लिए सिर्फ 50 रुपए लिया जाता है। इसके बाद कूड़े को वाहनों में भरने के बाद निस्तारण के लिए करसड़ा और रमना भेजा जाता है। इसमें ट्रांसपोर्टेशन खर्च अलग से लगता है। इसके अलावा सफाईकर्मियों को भुगतान भी शामिल रहता है।

प्रतिष्ठान शामिल नहीं

घरों से सिर्फ 50 रुपए यूजर चार्ज लिया जाता है। इनमें प्रतिष्ठान शामिल नहीं हंै, जबकि खाने-पीने के दुकान और प्रतिष्ठानों से भी प्रतिदिन बल्क में कूड़ा निकलता है। जब भवन स्वामी ही यूजर चार्ज देने में आनाकानी कर रहे हैं, तो प्रतिष्ठान वाले तो और असहज महसूस करते हैं।

ये हैं कचरे के ब्लैक स्पॉट

नगर निगम ने सिटी के एक दर्जन ब्लैक स्पॉट को चिह्नित किया है जहां कूड़ा उठान होने के बाद लोग गंदगी फैला देते हैं। इनमें अलईपुरा, शिवाला, मलदहिया, नदेसर, चौकाघाट, अर्दली बाजार, पांडेयपुर, हुकुलगंज, जैतपुरा, रेवड़ी तालाब, सरैया शामिल है।

फैक्ट एंड फीगर

2 अक्टूबर 2020 में शुरू हुआ कूड़ा कलेक्शन अभियान

4 लाख दस हजार यूनिट परडे कूड़े का उठान

85 हजार यूनिट देते हैं 50 रुपए पर मंथ यूजर चार्ज

3 लाख 25 हजार यूनिट नहीं देते 50 रुपए यूजर चार्ज

2 करोड़ 25 लाख का राजस्व हर मंथ नगर निगम को होता है नुकसान

यूजर चार्ज को पब्लिक को देना चाहिए, जिससे शहर साफ-सुथरा होगा। इसको कड़ाई से पालन करना चाहिए तभी शहर स्वच्छ होगा।

अक्षत वर्मा, नगर आयुक्त

काशीपुरा में कूड़ा उठान होने के बाद कई लोग कूड़ा फेंक देते हैं। इसके लिए कई लोगों को मना किया गया, लेकिन नहीं मानते हंै।

अशोक कसेरा, काशीपुरा

नगर निगम को पैसा भी नहीं दे रहे हैं और गंदगी भी कर रहे। जैतपुरा में करीब 75 परसेंट लोग ऐसे हैं जो गंदगी फैला रहे हंै। इससे मुहल्ले में गंदगी बनी रहती है।

अशोक जायसवाल, जैतपुरा

चौकाघाट क्षेत्र में कूड़ा उठान के बाद पब्लिक जागती है। प्लास्टिक में भर-भरकर कूड़ा को फेंका जाता है। यूजर चार्ज भी नहीं देते हंै।

माधुरी सर्राफ, चौकाघाट

कूड़े का उठान तो समय पर होता है लेकिन पब्लिक समय पर नहीं जागती है। ज्यादातर लोग प्लास्टिक में भरकर कूड़ा को धीरे से फेंककर चले जाते हंै।

सुष्मिता जायसवाल, औसानगंज

Posted By: Inextlive