Varanasi news: बांग्लादेशी में फंसे प्रोफेशनल, शांत माहौल में करेंगे घर वापसी
वाराणसी (ब्यूरो)। बांग्लादेश में स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है, लेकिन डर का साया कायम है। स्थिति बिगडऩे पर कई भारतीयों ने वतन वापसी कर ली, लेकिन अब भी कई प्रोफेशनल फंसे हैं। इसमें वाराणसी समेत पूर्वांचल के कई लोग हैं। हालांकि, वे पूरी तरह सुरक्षित हंै। बहुत जरूरी होने पर ही वे स्थिति को देखते हुए फ्लैट से बाहर निकल रहे हैं। स्थिति पूरी तरह से सामान्य होने पर वे अपने घर वाराणसी लौटेंगे। वे लगातार परिजनों के संपर्क में हैं। इसके उलट बांग्लादेश के करीब 115 छात्र वाराणसी के बीएचयू में रहते हैं। लगभग सभी छात्रों ने स्थिति को देखते हुए बांग्लादेश नहीं जाने का फैसला किया है। करीब दस छात्रों का कोर्स भी पूरा हो गया। वे हॉस्टल नहीं छोड़ रहे हैं। उधर, बांग्लादेश में हिंसा के चलते वाराणसी के कारोबार को झटका लगा है। सूती धागा, रेडीमेट गारमेंट, फाइबर, मसाले, जूट अन्य उत्पाद का निर्यात और आयात ठप होने से 100 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है।
आशुतोष फ्लैट में सुरक्षित फोटोबांग्लादेश की राजधानी ढाका में वाराणसी के आशुतोष शर्मा पिछले तीन साल से रह रहे हैं। वह मानिक इंफ्रा कंपनी में सिविल इंजीनियर हैं। वह हर साल दशहरा पर घर पर आते हैं और दीपावली बाद लौटते हैं। इस बार भी यही प्रोग्राम है, लेकिन इसके पहले ही बांग्लादेश में हिंसा भड़क गई है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट से बातचीत में उन्होंने कहा, बांग्लादेश में स्थिति काफी गंभीर है। हालात को देखते हुए एक बार उनका भी मन घर जाने को किया, लेकिन सड़कों की स्थिति देखकर इरादा चेंज हो गया। फिलहाल वह अपने फ्लैट में सुरक्षित हैं। उन्होंने कहा, स्थिति पूरी तरह से सामान्य होने पर ही घर पहुंचेंगे।
फिलहाल घर वापसी संभव नहीं फोटो इसी तरह मनीष कटियार भी ढाका स्थित टेक्सटाइल कंपनी में क्वालिटी मैनेजर हैं। कंपनी पश्चिम बंगाल के कोलकाता के बड़े कारोबारी हंै। वह पिछले दो साल से ढाका में नौकरी कर रहे हैं। बातचीत में वह बताते हैं कि ढाका में स्थिति बहुत ही गंभीर है। ऐसी स्थिति में घर वापसी संभव नहीं है। परिवार ने भी स्थिति सामान्य होने के बाद ही घर लौटने को कहा है। बीएचयू ने दिखाया बड़ा दिलबांग्लादेश में बिगड़ी स्थिति को देखते हुए बीएचयू ने बड़ा निर्णय लिया है। बांग्लादेश के करीब 115 छात्र यहां रहते हैं, इसमें पांच छात्र और तीन छात्राओं का कोर्स पूरा हो चुका है। उन्हें पिछले माह हॉस्टल छोडऩे के लिए कहा गया था, लेकिन बांग्लादेश में बिगड़े हालात के चलते विवि ने अपना आदेश बदल दिया है। कहा है कि जब तक बांग्लादेश की स्थिति सामान्य नहीं हो जाती, तब तक छात्र यहीं रहेंगे। वह अपना कमरा खाली नहीं करें। फिलहाल 15 दिन का एक्सटेंशन दिया गया है, इसके लिए उनसे कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। बीएचयू में 50 देशों के छह सौ अधिक छात्र-छात्राएं अंडरग्रेजुएट व पोस्टग्रेजुएट की पढ़ाई करते हैं। इन सबके लिए इंटरनेशनल कन्या और इंटरनेशनल ब्वायज हास्टल है।
बनारस में 100 करोड़ से अधिक का नुकसान बांग्लादेश में हिंसा के चलते व्यापार पर भी असर पड़ा है। सूती धागा, पेट्रोल उत्पाद, सूती कपड़े, रेडीमेट कपड़ा, फाइबर, मसाले, जूट, अन्य उत्पाद निर्यात और आयात ठप पड़ गया। कारोबार भी पूरी तरह से बंद हो गया है। वहीं, आर्डर भी कैंसिल हो गए हैं। साथ ही करोड़ों रुपये पेमेंट भी फंस गया है। पेमेंट मिलने के आसार भी नहीं हैं और न ही साल, छह माह के पहले ऑर्डर मिलने की उम्मीद है। यहां से जो कच्चा माल निर्यात होता है। उससे बांग्लादेश वस्त्र बनाकर पूरे एशिया में आपूर्ति करता है।बांग्लादेश में वर्तमान सरकार के तख्ता पलटने से वाराणसी के व्यावसायियों को लगभग 50 करोड़ से ज्यादा नुकसान हुआ है। बनारस से सिल्क के रेडीमेड कपड़े एवं बनारसी साडिय़ों का काफी मात्रा में निर्यात सीधे या कोलकाता के व्यापारियों के माध्यम से होता है, जिनका सारा बकाया फंस गया है। दशहरा एवं दीवाली के लिए किए गए उनके सारे बुङ्क्षकग व आर्डर कैंसिल होने से आर्थिक झटका लगा है।
- अशोक जायसवाल, संरक्षक, काशी रेडीमेड गारमेंट््स एसोसिएशन पूर्वांचल में कृषि यंत्र निर्माता की 45 इकाइयां हैं और बांग्लादेश से हर साल लगभग 60 करोड़ से अधिक का टर्नओवर होता है। इसमें थ्रेशर, ट्रैक्टर ट्रॉली, सीड ड्रील, मोटर युक्त चारा मशीन, ओसावनी पंखी आदि शामिल हैं। जो मॉल तैयार पड़ा है। वह उनके ही लिए तैयार किए गए थे। ऐसे माहौल में पूर्वांचल के उद्यमियों एवं व्यापारियों को करोड़ों का आर्डर का नुकसान हुआ है। वहां मशीनों के साथ ही मोटर व अन्य उपकरण भी निर्यात होते हैं। - अवतार सिंह बग्गा, कृषि यंत्र निर्माताबांग्लादेश में भारत का विरोध गलत है। इससे कारोबार पर बहुत बड़ा असर पड़ेगा। ङ्क्षहसा के कारण बड़ी मात्रा में आर्डर कैंसिल हो गया है। इससे माल भी डंप हो जाएगा। बांग्लादेश जो यहां से कच्चा माल मंगाता है। उससे वह कपड़ा बनाकर पूरे एशिया में बेचता है। इससे अब पूरी चेन ही ठप हो जाएगी।
- देव भट्टाचार्य, अध्यक्ष, रामनगर इंडस्ट्रीयल एरिया