वाराणसी में किस्त पर बाइक मोबाइल समेत अन्य घरेलू सामान लेने का चलन तेजी से बढ़ा है. स्टेटस सिम्बल और शो आफ के चक्कर में लगभग 30 फीसद युवा किस्त पर ही सामान्य खरीद रहे हैं. ऑटो व मोबाइल शोरूम से मिली जानकारी के अनुसार यंगस्टर्स के अलावा न्यू कपल्स भी हैं जो किस्त पर ही अधिकतर सामान ले रहे हैं.

केस-1

वाराणसी (ब्यूरो)। जौनपुर निवासी शैलेंद्र सिंह लंका एरिया की हरिओम नगर कॉलोनी में चार साल से किराये के मकान में रह रहे थे। वह दवा कंपनी में एमआर का काम करते थे। माइक्रो फाइनेंस कंपनी के अलावा कई लोगों से कर्ज लिया था। वसूली के प्रेशर से परेशान होकर शैलेंद्र ने सुसाइड कर लिया।

केस-2

बिहार बक्सर के रहने वाले मनीष शर्मा चित्तईपुर के मालती नगर में किराये के मकान में पिछले दस साल से रहते थे। शहर के नामी हॉस्पिटल में प्रबंधन का कार्य करते थे। माइक्रो फाइनेंस कंपनी के अलावा कई लोगों से ब्याज पर पैसा ले रखा था। कर्ज से परेशान होकर सुसाइड कर लिया था।

कर्ज छीन रही जिंदगियां!

ये दो मामले हाल फिलहाल के हैं। वैसे वाराणसी में पिछले साल 2023 में 180 से ज्यादा लोगों ने खुदकुशी कर ली थी। इनमें से 50 से ज्यादा लोग ऐसे थे, जिन्होंने कर्ज से परेशान होकर सुसाइड किया था। इस आंकड़ों में एक और चौंकाने वाली जानकारी है। कर्ज में डूबे 50 लोगों में लगभग 60 फीसद संख्या अन्य शहरों की है। इस हिसाब से हर दूसरे दिन एक सुसाइड की घटना होती है। 2024 जून तक 110 से अधिक लोगों ने सुसाइड कर लिया है। इसमें 35 से ज्यादा कर्ज में डूबे लोग शामिल हैं।

30 परसेंट यूथ किस्त पर खरीद रहे सामान

वाराणसी में किस्त पर बाइक, मोबाइल समेत अन्य घरेलू सामान लेने का चलन तेजी से बढ़ा है। स्टेटस सिम्बल और शो आफ के चक्कर में लगभग 30 फीसद युवा किस्त पर ही सामान्य खरीद रहे हैं। ऑटो व मोबाइल शोरूम से मिली जानकारी के अनुसार यंगस्टर्स के अलावा न्यू कपल्स भी हैं, जो किस्त पर ही अधिकतर सामान ले रहे हैं। एक्सपर्ट बताते हैं कि कैपेसिटी से ज्यादा लोन लेना जोखिम भरा होता है। इसी वजह से सुसाइड की घटना बढ़ रही हैं।

कितने कर्जदार हो रहे परिवार?

वाराणसी में परिवारों पर कर्ज लगातार बढ़ता जा रहा है। नतीजा ये हो रहा है कि इससे बचत नहीं हो पा रही है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय परिवारों की बचत लगातार कम हो रही है, क्योंकि लोगों पर कर्ज बढ़ रहा है। वाराणसी में 2020-21 में घरेलू बचत 500 करोड़ रुपये पहुंच गई थी। ये अब तक का रिकॉर्ड है। लेकिन उसके बाद से इसमें लगातार गिरावट आ रही है। 2021-22 में ये आंकड़ा गिरकर 480 करोड़ और 2022-23 में और गिरकर 416 करोड़ हो गया। आरबीआई के आंकड़े बताते हैं कि भारत में नेट हाउसहोल्ड सेविंग्स यानी शुद्ध घरेलू बचत 47 साल के निचले स्तर पर है। बचत इसलिए कम हो रही है, क्योंकि लोगों पर कर्ज बढ़ रहा है। उनकी कमाई का एक हिस्सा कर्ज चुकाने में चला जाता है।

दस हजार से लेकर दो लाख रुपये तक मोबाइल मार्केट में उपलब्ध है। महंगे मोबाइल ही अधिकतर लोगों की पसंद होती है, लेकिन बजट नहीं होने की वजह से अधिकतर यंगस्टर्स नहीं ले पाते हैं। फाइनेंस सुविधा होने की वजह से लगभग 30 से 40 फीसद लोग किस्त पर मोबाइल लेते हैं।

- मनीष अग्रवाल, मोबाइल सेलर

युवाओं में मोबाइल व बाइक का क्रेज ज्यादा है। अधिकतर बाइक की कीमत एक लाख से अधिक होती है। न्यू कपल्स में कार लेने का शौक ज्यादा है, जिसकी कीमत पांच लाख से स्टार्ट होती है। आम लोगों के लिए एक साथ इतनी बड़ी रकम देना मुश्किल होता है। इसलिए तमाम बैंक और फाइनेंस कंपनियां हैं, जो किस्तों पर बाइक व कार उपलब्ध करा रही हैं। यही वजह है कि 40 फीसद से अधिक कस्टमर फाइनेंस कराकर वाहन ले रहे हैं।

- संतोष शर्मा, फाइनेंस एजेंट

आम आदमी के पास मूलत: चार तरह के लोन का विकल्प है। इसमें पर्सनल लोन, हाउसिंग लोन, क्रेडिट कार्ड लोन और एजुकेशन लोन है। हाउसिंग लोन सबसे अधिक लिया जाता है। इन चारों लोनों में पचास फीसद से अधिक भागीदारी इसकी ही होती है। साथ ही इस लोन का एनपीए डेढ़ फीसद से भी कम होता है। वहीं क्रेडिट कार्ड के लोन में भी बीते कुछ सालों में बढ़ोतरी हुई है। इसे लेकर बैंकों में चिंता थी।

डॉ। महेश पारिख, चीफ इकोनॉमिस्ट

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जीरो प्रोसेसिंग फीस व कम ब्याज का प्रलोभन

साइबर एक्सपर्ट श्यामलाल गुप्ता ने बताया, लोन देने के लिए बैंक और नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां हर वक्त तैयार रहती हैं। लेकिन कई बार वह बिना पूरी बात बताए ही लोन दे देते हैं। बाद में लोगों को परेशान होना पड़ता है। इतना ही नहीं, तमाम एप के जरिए तो लोन देने की पेशकश भी की जाती है। कोई जीरो प्रोसेसिंग फीस का ऑफर देता है तो कोई कम ब्याज का, पर हमें लोन लेते वक्त जीरो फीसदी ईएमआई के ऑफर को परख लेना चाहिए। कई बैंक या नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां जीरो पर्सेंट ईएमआई स्कीम का ऑफर देती हैं। यानी आपको ईएमआई में कोई ब्याज नहीं देना पड़ेगा। ऐसा ऑफर मिले तो पहले बारीकी से उसकी जांच परख कर लें।

मान लीजिए कि आपको 50 हजार रुपये 6 महीने के लिए जीरो पर्सेंट ईएमआई के ऑफर पर मिले और उसकी प्रोसेसिंग फीस 2000 रुपए लगी तो इसका मतलब है कि आपने करीब 14 फीसदी ब्याज चुका दिया। अब अगर आपको लगता है कि आपके लिए 50 हजार पर 2000 रुपए दे देना ठीक है, तो ही आगे बढ़ें, वरना उस ऑफर को ठुकरा दें और किसी दूसरे लेंडर को चुनें। भले ही कोई बैंक हो या एनबीएफसी हो, हर कोई नई-नई स्कीम बताकर आपको आकर्षित करने की कोशिश करते हैं। यहां तक कि बहुत सारे ऐप भी लोन देने की पेशकश करते हैं।

लोन लेने से पहले इन बातों का रखें ध्यान

अगर आप लोन लेना चाहते हैं तो पहले अच्छी तरह से रिसर्च कर लें, क्योंकि अक्सर ऐप के जरिए लोगों को अधिक दर पर लोन दे दिया जाता है या फिर कई ऐसे चार्ज लगा दिए जाते हैं जो समझ नहीं आते और लोन पर अधिक ब्याज चुकाना पड़ जाता है। ऐसे में बिना अच्छे से रिसर्च किए लोन ना लें। जब आप लोन लेने जाते हैं तो आपको लोन पर ब्याज तो चुकाना ही होता है, साथ ही प्रोसेसिंग फीस भी चुकानी होती है। इतना ही नहीं, बैंक आपसे फाइल चार्ज या कोई और चार्ज की भी मांग कर सकता है। वहीं अगर आप लोन समय से पहले बंद करना चाहें तो उसके लिए फोरक्लोजर चार्ज देना होगा, तो उसके बारे में भी जानें। वहीं, ये भी जान लें कि कम से कम कितने दिन बाद लोन बंद कराया जा सकता है। कई बार लोन बंद कराने के लिए कम से कम 6 महीने या साल भर जैसी शर्त होती है और इससे भी आपको नुकसान हो सकता है।

Posted By: Inextlive