हरे पान के पत्तों से सजा मंडप में पंचामृत एवं फलोदक स्नान के बाद लाल हरे रंग की विशेष बनारसी साड़ी पहन विराजीं मां कूष्मांडा. एडी और माणिक रत्न जडि़त हार जलबेरा जूही और गुलाब के साथ ही पंचमेवा की मालाएं मां का गलहार बनीं

वाराणसी (ब्यूरो)। हरे पान के पत्तों से सजा मंडप में पंचामृत एवं फलोदक स्नान के बाद लाल, हरे रंग की विशेष बनारसी साड़ी पहन विराजीं मां कूष्मांडा। एडी और माणिक रत्न जडि़त हार, जलबेरा, जूही और गुलाब के साथ ही पंचमेवा की मालाएं मां का गलहार बनीं। मां के इस दिव्य रूप को देख श्रद्धालु अभिभूत थे तो दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी, दिल्ली की ही रागिनी सोपोरी, काशी के डा। अमलेश शुक्ल, आस्था शुक्ल आदि गायकों ने अपने गीतों-भजनों, पचरा से वातावरण मातृमय कर दिया। सात दिवसीय शृंगार व संगीत महोत्सव की यह पांचवीं निशा विशिष्ट बन गई।

सांगीतिक कार्यक्रम का शुभारंभ त्रिदेव मंदिर सेवक परिवार के गायक अनूप सराफ, राधेगोङ्क्षवद केजरीवाल आदि ने 'गाइये गणपति जग वंदन' से किया। सामूहिक हनुमान चालीसा पाठ के बाद 'दरबार तेरा मइया जन्नत का नजारा है', 'नाचो गाओ खुशी मनाओ कि मइया आई हैं', 'आएंगी शेरोवाली मां दिल से पुकार कर देखो' आदि भजनों से मां का आंगन गूंज उठा। तबले पर पंकज राय, पैड पर पप्पू, कीबोर्ड पर रंजन, ढोलक पर मनीष तिवारी रहे।

रागिनी सोपोरी ने पंजाबी-कश्मीरी शैली में जब भजन प्रस्तुत किए तो सभी झूम उठे। गणेश वंदना से आरंभ कर 'जय मां दुर्गा अष्ट भवानी', कबीर के साखी, सबद के बाद जब 'छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाय के' सुनाया तो सभी सुर से सुर मिला उठे।

ख्यात भजन गायक डा। अमलेश शुक्ल अमन ने 'दुर्गा मैया का सजा दरबार', 'जय जय दुर्गे नमोस्तुते' एवं 'मां के दरबार नगाड़ा बजा' आदि सुनाया तो उनके साथ गायिका आस्था शुक्ला ने 'लाल चूडिय़ां चढ़ाऊं', 'सबसे बड़ा तेरा नाम', पचरा गीत 'लाले रंग मंदिर पर है' सुनाकर वातावरण मातृमय कर दिया।

देर रात आए मनोज तिवारी 'निमिया के मइया' 'काहे कुल माई के मंदिर बसेला पहाड़ में' आदि भक्तिगीत सुनाकर प्रशंसकों को आह्लादित कर गए। कलाकारों का सम्मान महंत राजनाथ दुबे एवं विकास दुबे ने किया। व्यवस्था में चंदन दुबे, किशन दुबे आदि रहे।

Posted By: Inextlive