काशी में साड़ी की 80 हजार पॉवरलूम में से 40 हजार मशीनों की स्थिति खराब है. वजह रिसेशन तो बताया ही जा रहा है. साथ ही एमएसएमई में 45 दिनों के अंदर पेमेंट की बाध्यता ने भी इस इंडस्ट्री के आगे संकट खड़ा कर दिया है.

वाराणसी (ब्यूरो)काशी में साड़ी की 80 हजार पॉवरलूम में से 40 हजार मशीनों की स्थिति खराब है। वजह रिसेशन तो बताया ही जा रहा है। साथ ही एमएसएमई में 45 दिनों के अंदर पेमेंट की बाध्यता ने भी इस इंडस्ट्री के आगे संकट खड़ा कर दिया है। रही-सही कसर बिजली की दरों में 30 गुना इजाफा ने कर दिया है। यही हाल रहा तो जो इकाइयां चल रही हैं। वह भी बंद हो सकती हैं। एमएसएमई की बाध्यता, 30 गुना बिजली का भार साड़ी सेक्टर ज्यादा दिन तक नहीं सह पाएगा। मशीनें बंद होने से अरबों रुपए का नुकसान कारोबारियों को हो रहा है।

कम हो गए बुनकर

वाराणसी में साड़ी बनाने वाली करीब 80 हजार पॉवरलूम हैं, जहां बनारसी साड़ी से लेकर दुपट्टा तैयार होते हैं। इससे करीब एक लाख से अधिक बुनकर जुड़े थे, जो घटकर आधे से भी कम हो गए हैं। बाकी लोग किसी और सेक्टर में किस्मत आजमा रहे हैं।

दर्जनों इलाकों में चलती थी मशीनें

इंडस्ट्रियल एरिया चांदपुर, लहरतारा के अलावा दुल्हीपुर, पीलीकोठी, बजरडीहा, सरैया समेत दर्जनों ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पर साड़ी का कारोबार होता है। अप्रैल 2023 से बिजली की दरों में तीस गुना बढ़ोतरी होने के बाद धड़ाधड़ मशीनें बंद होने लगीं। बिजली की दर देना कारोबारियों के लिए सबसे महंगा पड़ रहा है।

60 परसेंट मंदी की वजह से बंद

साड़ी कारोबारियों का कहना है कि साड़ी व कपड़ा मार्केट में जबरदस्त रेसेशन आया है। कोरोना काल के समय कपड़ा मार्केट बुरी तरह प्रभावित हुआ। इसके बाद जब कोरोना समाप्त हुआ तो थोड़ा बहुत मार्केट हुआ। इसके बाद भी मार्केट नहीं सुधरा। हालात यह रहे कि कारोबारियों के यहां थान का कपड़ा डंप होने लगा। मार्केट में आर्डर न मिलने से डंप की खाई करोड़ों से बढ़कर अब अरबों में हो गई है।

10 करोड़ का डेली कारोबार

साड़ी कारोबारियों की मानें तो पहले 10 करोड़ का प्रतिदिन का कारोबार होता था। महीने में 3 अरब का कारोबार होता था, जो घटकर इस समय 1 अरब से भी कम हो गया है। मार्केट से आर्डर ही नहीं मिल रहा। इसके चलते प्रोडक्शन भी ठप है।

बिजली ने दिया झटका

नए अध्यादेश से कपड़ा इंडस्ट्री पर असर पड़ा है। वस्त्र कारोबारियों का कहना है कि नए नियम में स्टेट गवर्नमेंट ने वस्त्रलूम संचालकों के लिए बिजली सब्सिडी 75 किलोवॉट से घटाकर 5 किलोवॉट कर देने से शहर की 80 परसेंट मशीनें बंद हो गई हैं। इससे करीब 30 हजार पॉवरलूम बंदी की कगार पर पहुंच जाएंगी। इससे उद्योग पर 30 गुना अधिभार बढ़ गया है। वहीं, एमएसएमई में 45 दिनों के अंदर पेमेंट की बाध्यता से भी काफी प्रभावित हुआ है। क्योंकि साड़ी को तैयार करने में 15 से 20 दिन का समय लग जाता है।

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फैक्ट एंड फीगर

80 हजार पॉवरलूम हैं वाराणसी में

40 हजार पावरलूम बंद पड़ीं

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इस तरह पड़ा भार

- पहले 7 किलोवॉट के लिए बिजली बिल 1141 रुपए प्रतिमाह देना पड़ता था।

- अब सरकार की सब्सिडी के बावजूद 37,142 रुपए देना पड़ता है।

- पहले एक मशीन को चलाने में प्रतिमाह 143 रुपए देना पड़ता था, अब 6006 रुपए का भार पड़ता है।

- इसमें 700 रुपए सरकार की सब्सिडी काटकर 5306 रुपए का भुगतान करना पड़ रहा है।

- पहले 30 किलोवाट लोड पर 4890 का बिल आता था। अब 1,71,080 रुपए का भार।

- एमएसएमई में 45 दिनों के अंदर पेमेंट की बाध्यता

एमएसएमई के नियम से इस उद्योग पर काफी असर पड़ रहा है। साड़ी को तैयार होने में समय लगता है। इनकी मांगों को सुना गया है।

अरुण कुरील, अपर आयुक्त, हैंडलूम

मार्केट में आर्डर न मिलने से करोड़ों रुपए का माल फैक्ट्रियों में डंप पड़ा है। कई मशीनें तो बंद हो गई हैं। जो मशीनें चल रही हैं, वह भी जल्द ही बंद हो जाएंगी।

राकेश कांत राय, अध्यक्ष, वाराणसी वस्त्र बुनकर संघ

सरकार के इस फरमान से कपड़ा उद्योग चरमरा गया है। इस उद्योग से जुड़े उद्यमियों का कहना है कि 1 अप्रैल से नए अध्यादेश को लागू कर दिया है। इससे अब तक हजारों मशीनें बंद हो गई हैं।

अनिल मूंदडा, महासचिव

साड़ी और कपड़ा का कारोबार भयंकर मंदी के दौर से गुजर रहा है। सरकार ने बुनकरों को मिलने वाली बिजली सब्सिडी डेढ़ सौ किलोवाट से घटाकर 5 किलोवाट कर दिया है। इसके चलते सैकड़ों मशीनें बंद हो गईं।

मनोज जायसवाल, अध्यक्ष, बुनकर कल्याण समिति

साड़ी और कपड़ा उद्योग मंदी के दौर से गुजर रहा है। इस पर सरकार को ध्यान देने की जरूरत है। ध्यान नहीं दिया गया तो जो मशीनें चल रही है वह भी बंद हो जाएगी।

शैलेष प्रताप सिंह, उपाध्यक्ष, हिन्दू बुनकर वाहिनी

Posted By: Inextlive