इलाहाबाद हाई कोर्ट में बनारस राजघराने से जुड़ी एक याचिका पर याची के हक में हुए पारिवारिक समझौते को विपक्षी अनंत नारायण ङ्क्षसह ने प्रथम²ष्टया स्वीकार किया है. इसके अनुसार उस संपत्ति पर याची का हित भी स्वीकार कर लिया गया है.

वाराणसी (ब्यूरो)प्रयागराज/वाराणसी : इलाहाबाद हाई कोर्ट में बनारस राजघराने से जुड़ी एक याचिका पर याची के हक में हुए पारिवारिक समझौते को विपक्षी अनंत नारायण ङ्क्षसह ने प्रथम²ष्टया स्वीकार किया है। इसके अनुसार उस संपत्ति पर याची का हित भी स्वीकार कर लिया गया है। कोर्ट ने कहा है कि चल या अचल दोनों प्रकार की संपत्ति को लेकर घरेलू ङ्क्षहसा कानून का संरक्षण लिया जा सकता है। संपत्ति बेचने या तृतीय पक्ष हित सृजित करने का विवाद सिविल कोर्ट में तय किया जाएगा, ङ्क्षकतु डीवी एक्ट में संपत्ति के संरक्षण का आदेश देने का मजिस्ट्रेट को अधिकार है। यदि कोई भी चल या अचल संपत्ति का आर्थिक दुरुपयोग करेगा तो डीवी एक्ट में मजिस्ट्रेट संरक्षण प्रदान कर सकते हैं.

हुआ पारिवारिक समझौता

मुकदमे के तथ्यों के अनुसार कोदोपुर गांव की संपत्ति के अधिकार को लेकर वाराणसी सिविल कोर्ट में वाद विचाराधीन है। याची को पारिवारिक संबंधों के चलते संपत्ति में हित प्राप्त हुआ है। एक पारिवारिक समझौता भी हुआ था। इसलिए याची विष्णु प्रिया सिविल अदालत से अंतरिम निषेधाज्ञा प्राप्त करने की अर्जी दे सकती हैं। कोर्ट ने कहा, यदि अर्जी दी जाती है तो अदालत चार सप्ताह में निर्णीत करे।

कार्रवाई का निर्देश

हाई कोर्ट ने इस आदेश के मद्देनजर अगले पांच माह तक विवादित संपत्ति को बेचने या तृतीय पक्ष हित सृजित करने पर रोक लगा दी है और याचिका इसी निर्देश के साथ निस्तारित कर दी है। विपक्षी शत्रुघ्न ङ्क्षसह व अनंत नारायण ङ्क्षसह द्वारा हलफनामे में गलत तथ्य पेश करने पर कार्रवाई की मांग में दाखिल याची की दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 340की अर्जी को कोर्ट ने पंजीकृत कर आपराधिक केस नंबर आवंटित कर उचित कोर्ट के समक्ष विचार के लिए पेश करने का भी निर्देश दिया है। इस धारा में कोर्ट को आपराधिक कार्रवाई करने का निर्देश जारी करने का अधिकार है।

Posted By: Inextlive