Ganga Water Level: सूख रही मोक्षदायिनी! सैंड कोस्ट बने गंगा के घाट, 40 फीट नीचे पहुंचा वॉटर लेवल
वाराणसी (ब्यूरो)। बीती 16 जून को हम सब में गंगा दशहरा मनाया। शिव की नगरी काशी में गंगा का अपना ही महत्व है, पर अब गंगा का वॉटर लेवल काशी में रसातल की ओर बढ़ रहा है। ऊंचाई पर पडऩे वाले पांडेय घाट से गंगा का जल करीब 40 फीट तक नीचे पहुंच गया है। एक दशक से पहले जिस गंगा की चौड़ाई 100 मीटर थी, वह सिमटकर 30 मीटर तक पहुंच गई है। कई प्रमुख घाटों के किनारे मिट्टी पर घास तक उग आई है। गंगा की लहरों में कई जगह पर रेत के टीले भी उभर आए हैं। गंगा किनारे रहने वाले बुजुर्ग और मल्लाहों की मानें तो बीते डेढ़ दशक की तुलना में गंगा जून में ही चेतावनी ङ्क्षबदु के बीच काफी गहराई में समा चुकी है। 24 दिनों में लगभग 22 एमएम गंगा का जलस्तर घटा है। पीएम नरेंद्र मोदी के 18 जून को काशी आगमन पर गंगा पूजन कार्यक्रम को देखते हुए कुछ पानी छोड़ा गया था, लेकिन समय के साथ वह धारा आगे बढ़ गई और पानी फिर गहराई में जाकर सिमट गया।
चार फीट नीचे वॉटर लेवलजलकल विभाग के अनुसार शहर में अधिकतर वॉटर सप्लाई गंगा से होती है। रोज लगभग 130 एमएलडी पानी गंगा से लेकर घरों में सप्लाई किया जाता है। गंगा का जलस्तर कम होने से यह भी प्रभावित हुआ है। मौजूदा समय में 115 एमएलडी पानी गंगा से मिल पा रहा है। गंगा का सामान्य वॉटर लेवल 193 फीट होना चाहिए, लेकिन इस समय वह घटकर 189 फीट पहुंच गया है। गंगा का जलस्तर बढ़ाने के लिए 23 जून को नगर आयुक्त की ओर से कानपुर में राम गंगा प्रोजेक्ट को पर्याप्त पानी छोडऩे के लिए लेटर लिखा गया है।
गंगा दशहरा पर घाटों से दूर अब तक गंगा दशहरा से करीब एक सप्ताह पहले बांध और बैराज से पर्याप्त मात्रा में पानी छोड़ा जाता था। इससे गंगा दशहरा के दिन काशी में पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध होता था, लेकिन विगत पांच वर्षों से यह प्रक्रिया बंद ्रहै। इससे गंगा दशहरा के दिन भी काशी में गंगा घाटों से दूर ही रहती है। ऐसे बदल रहा ट्रेंडपिछले दो साल के आंकड़ें बताते हैं कि जून के पहले पखवाड़े में गंगा का जलस्तर बैराज से पानी छोड़े जाने के बाद भी बढ़ नहीं रहा है। 2023 जून से गंगा के जलस्तर में लगातार गिरावट दर्ज होती रही, जबकि इस साल 2024 जून में एक से पांच जून लगभग 58 मीटर पर जलस्तर स्थिर रहने के बाद इसमें लगातार गिरावट दर्ज की जाने लगी। 2022 में छह से 11 जून तक जलस्तर नौ सेंटीमीटर बढ़ा था।
किनारों पर खर-पतवार आंकड़ों में देखें तो जून के 23 दिनों में बीच जलधार में गंगा का जलस्तर 22 एमएम घट गया है। इससे किनारों का पानी घाटों को छोड़कर लगभग 40 फिट नीचे तक चला गया है। घाटों की सीढिय़ों से गंगधार काफी दूर हो गई है। गंगाजल के किनारा छोडऩे के बाद नम भूमि पर एक से डेढ़ फिट तक घास व खर-पतवार उग आए हैं। यह दृश्य केदारघाट से दरभंगा घाट तक देखा जा सकता है। मानसरोवर घाट पर लंबे-लंबे खर-पतवार गंगा तक पहुंचने के दुर्गम मार्ग को भी अवरुद्ध कर चुके हैं। भदैनी में घाट गंगा की धारा अत्यंत संकरी हो चली है। स्नान करना भी खतरनाकतीव्र गर्मी व प्रचंड तापमान में गंगा सिमट गई हैं। धारा अत्यंत पतली व क्षीण होकर चेतावनी ङ्क्षबदुओं के बीच काफी गहराई में समा चुकी है। इससे गंगा के मनोरम किनारे बदरंग और भदेस दिखने लगे हैं। गंगा का यह हाल देख सैलानियों में तीव्र निराशा है तो गंगा स्नान करने वाले भी चिंतित हंै। क्षीण काय धारा में पहुंचकर श्रद्धालुओं के लिए स्नान कर पाना मुश्किल ही नहीं काफी खतरनाक भी है, क्योंकि अब गंगा में वही बहाव है, जहां वह अत्यंत गहराई में हैं। उन स्थानों पर डूबने का खतरा है। यानी गंगा चेतावनी ङ्क्षबदुओं के बीच ही सिमट कर रह गई है।
बनारस में वाटर सप्लाई गंगा पर ही आधारित है। गंगा का जलस्तर सामान्य लेवल से भी चार फीट नीचे चला गया है। इसे मेनटेन करने के लिए नगर आयुक्त की ओर से कानपुर राम गंगा प्रोजेक्ट को गंगा में पानी छोडऩे के लिए पत्र लिखा गया है। ओपी सिंह, सचिव जलकल गंगा में जल की कमी का सबसे मुख्य कारण उत्तराखंड में पहाड़ों पर बने बांध और हरिद्वार से नहर के जरिए अन्य प्रदेशों के लिए पानी भेजा जाना है। इसके अलावा गंगा किनारे बने लिफ्ट कैनाल और भू-जल का स्तर नीचे गिरने की वजह से भी गंगा की यह स्थिति हुई है। प्रो। बीडी त्रिपाठी, बीएचयू के पूर्व वैज्ञानिक और गंगाविद इम्पॉर्टेंट फैक्ट 40 से ज्यादा घाटों पर गंगा में वॉटर लेवल कम हुआ है, जहां रेत मिट्टी नजर आती है। अस्सी घाट का पानी बहुत ही ज्यादा कम हो गया है115 एमएलडी पानी गंगा से जलापूर्ति के लिए इन दिनों लिया जा रहा
इन घाटों पर घटी गंगा पांडेय घाट शिवाला दशाश्वमेध घाट ललिता घाट सिंधिया घाट पंचगंगा घाट गाय घाट सक्का घाट राजघाट खिड़किया घाट