खुली आंखों से दुनिया देखना तो सभी को आता है पर कमाल की बात तो ये है कि कुछ ऐसे बच्चे हंै जो बंद आंखों से भी दुनिया को देख लेते हैं. ये कोई जादू नहीं है बल्कि ये है मिड ब्रेन एक्टिवेशन है. इसे सीख कर बच्चे आंखों में पट्टïी बांध कर न सिर्फ चीजों को देख सकते हंै. बल्कि नोट का नंबर भी बता देते हंै.

वाराणसी (ब्यूरो)। खुली आंखों से दुनिया देखना तो सभी को आता है, पर कमाल की बात तो ये है कि कुछ ऐसे बच्चे हंै, जो बंद आंखों से भी दुनिया को देख लेते हैं। ये कोई जादू नहीं है, बल्कि ये है मिड ब्रेन एक्टिवेशन है। इसे सीख कर बच्चे आंखों में पट्टïी बांध कर न सिर्फ चीजों को देख सकते हंै। बल्कि नोट का नंबर भी बता देते हंै। बस इसके लिए इन्हें खास कोर्स को करना होता है। पहले ये कोर्स सिर्फ फॉरेन में ही होता था। फिर आया इंडिया में और अब अपने बनारस में आ चुका है। इसे वाराणसी के पेरेंट्स अपने बच्चों को सिखा कर उन्हें जीनियस बना रहे हंै। आइए जानते हैं इस कोर्स के बारे में।

आंखों में पट्टïी बांध कर पढ़ते हंै किताब

मिड ब्रेन एक्टिवेशन मानसिक विकास और युवाओं में डिप्रेशन की समस्या को खत्म करने में भी सफल साबित होता है। इससे न सिर्फ बच्चे मेंटली मजबूत होते हैं, बल्कि वह स्पेशल चाइल्ड भी कहे जाते हैं। वाराणसी के कुछ ऐसे बच्चे हैं जो आंखों पर मोटी पट्टी बांधकर फर्राटे से किसी किताब को सिर्फ महसूस कर पढ़ लेते हैं। इतना ही नहीं बंद आंखों से रंग भी पहचान लेते हैं। साथ ही ये बच्चे बिना देखे सिर्फ छूकर आधार कार्ड और किसी रुपए में अंकित सीरियल नंबर भी बड़ी आसानी से बता सकते हैं। इन बच्चों के कारनामे को देखकर हर कोई अवाक रह जाता है। बनारस में ये कला अभी 5 से 15 साल तक के बच्चों को सिखाई जा रही है, जिससे बच्चों का कम उम्र में ही दिमाग में कंट्रोल हो सके।

मनोविज्ञान की पद्धति से संभव

मनोविज्ञान की एक पद्धति मिड ब्रेन एक्टिवेशन के जरिए ही ये संभव हो पा रहा है। ट्रेनर बताते हैं कि यह कोई जादू नहीं बल्कि शत-प्रतिशत मनोविज्ञान है। मिड ब्रेन में दो हिस्से होते हैं। बायां हिस्सा लॉजिकल तो दायां हिस्सा क्रिएटिव होता है। मिड ब्रेन के दोनों हिस्सों को जब जोड़ दिया जाता है तो इसे मिड ब्रेन एक्टिवेशन कहते हैं। इससे मेमोरी पॉवर, एकाग्रता, आत्मविश्वास, क्रिएटिविटी बढ़ती है और डिप्रेशन ठीक करने में भी मदद मिलती है। इससे तंत्रिका कोशिकाएं काफी एक्टिव हो जाती हैं और किसी भी चीज को बिना देखे महसूस किया जा सकता है। अनोखी और अजब-गजब दिखने वाली ये सारी चीजें एक सामान्य मनोविज्ञान है जो विदेशों और अपने देश के चुनिंदा बड़े शहरों में सिखाई भी जा रही है। हमारे दिमाग का मध्य भाग देखने और सुनने की सुचना देने में मदद करता है, जिसे ध्यान और योग की मदद से जोड़ दिया जाता है। इस तरह की ट्रेनिंग बच्चों के मानसिक विकास में मदद भी करती है।

कोर्स का ये है प्रॉफिट

- एकेडमी कॅरियर ग्रोथ

- इंप्रूव रिकॉल

- कॉन्फिडेंस बूस्टिंग

- डेवलप सुपर सेंस

- बेटर मेमोरी ऑब्जर्वेशन पावर

- इमोशनल मैनेजमेंट

- रिमूविंग फेयर्स

- रिमूवल क्रिएटिविटी बिहेवियर

- प्रॉब्लम बैलेंस ऑफ राइट एंड लेफ्ट ब्रेन आईक्यू मैनेजमेंट

बनारस में ये कोर्स अभी नया है, जिसे सिखाने के लिए पेरेंट्स अपने बच्चों को भेज रहे हैं। इससे बच्चों को मेमोरी बेहतर होती है।

सुनीता भार्गव, डायरेक्टर, मिड ब्रेन एक्टिवेशन सेंटर

अधिकतर हम सभी लेफ्ट ब्रेन का 90 परसेंट उपयोग करते हैं, जबकि राइट ब्रेन सिर्फ 10 फीसदी उपयोग किया जाता है।

मिड ब्रेन एक्टिवेशन वैसे तो 2 दिन में हो जाता है। पहले और दूसरे दिन 6 घंटे अभ्यास कराया जाता है।

ट्रेनिंग और प्रॉपर कोर्स से 5 से 15 साल तक के बच्चों का मिड ब्रेन आसानी से एक्टिव हो सकता है।

Posted By: Inextlive