Varanasi news: इस नर्क से मुक्ति दिलाओ मैडम हर दिन दहेज उत्पीडऩ की शिकार हो रही दो युवतियां, दस दिन में एक हत्या
वाराणसी (ब्यूरो)। मैं अपने पति से तलाक लेना चाहती हूं। वह रोज शराब पीकर आते हैं और मारते-पिटते हैं। बार-बार बोलते हैं कि अपने पापा से दहेज मांग कर लाओ। विरोध करने पर बहुत ही बेहरहमी से मारते हैं। पिटाई की वजह से मेरे गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत भी हो गई। बावजूद उत्पीडऩ बंद नहीं हुआ। ससुराल में नौकर की तरह व्यवहार किया जाता है। खाना भी नहीं मिलता। मैडम इस नरक से मुक्ति दिलाओ। अब सहा नहीं जाता। प्लीजमैडम। फैमिली कोर्ट में लक्सा की रहने वाली संध्या सिंह महिला जज के सामने गुहार लगा रही थी। लंका की ममता कुमारी, कचहरी की सबनम बेगम, चेतगंज की सोनम गुप्ता समेत कई महिलाएं हैं, जो दहेज के लिए हर दिन प्रताडि़त की जा रही हैं।
तलाक के लिए 900 अर्जी लगी
समाज में दहेज के लिए महिलाओं का उत्पीडऩ कोई नई बात नहीं है। देश में दहेज लेने और देना दोनों अपराध की श्रेणी में आता है। बहू-बेटियों को यातनाएं दी जा रही हैं। बेटियां जलाई जा रहीं हैं। सामाजिक डर से दहेज की शिकार महिलाएं घूंट-घूंट कर जीने को विवश हैं। पुरुष प्रधान सामाजिक पंचायत में बहू-बेटियां को न्याय नहीं मिल रही तो वह अदालत का दरवाजा खटखटा रही हैं। फैमिली कोर्ट के आंकड़ों के अनुसार संध्या सिंह, ममता कुमारी, सबनम बेगम, सोनम गुप्ता समेत लगभग 900 बहू-बेटियों ने पति से तलाक के लिए अर्जी दाखिल कर रखी हैं।
536 बेटियों ने दोबारा दिया मौका
फैमिली कोर्ट में 900 बहू-बेटियां अब किसी तरह के समझौते को तैयार नहीं है। वह सिर्फ तलाक ही चाहती हैं, लेकिन कुछ ऐसी भी बहू-बेटियां हैं, जो फैमिली, समाज और भविष्य को देखते हुए एक बार फिर अपने वैवाहिक जीवन को फिर से शुरू भी कर दिया है। पिछले एक साल में फैमिली कोर्ट के मेडिएशन के दौरान पति और ससुराल पक्ष ने बहू को दहेज के लिए उत्पीडऩ नहीं करने का भरोसा दिया है। जिसे देखते हुए फैमिली कोर्ट के सामने 536 बहू-बेटियों ने एक बार फिर से पति के साथ रहने की सहमति जताई है।
दहेज की भेंट चढ़ी 28 बहू-बेटियां
ससुराल वालों ने बहू के साथ बच्चों को भी मौत के घाट उतारा। बाइक के लिए बहू को जला दिया। दो लाख की डिमांड नहीं पूरा करने पर बहू की हत्या कर दी। इस तरह की घटनाएं महीने में दो या तीन होती हैं। कमिश्नरेट पुलिस के अनुसार 1 जुलाई 2023 से 30 जून 2024 तक वाराणसी में दहेज के लिए 28 बेटियों की बलि चढ़ा दी गई। यही नहीं वाराणसी के 29 थानों में दहेज उत्पीडऩ के 590 मुकदमे दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा एडीसीपी महिला अपराध ममता रानी की जनसुनवाई में रोजाना दहेज उत्पीडऩ की लगभग दस शिकायतें आती हैं।
वन स्टॉप सेंटर में प्रतिदिन तीन शिकायतें
कमिश्नरेट पुलिस के अलावा पांडेयपुर जिला अस्पताल में स्थापित वन स्टॉप सेंटर में प्रतिदिन दो या तीन शिकायतें दहेज उत्पीडऩ की पहुुंची। सेंटर प्रभारी रश्मि दुबे बताती हैं कि पहले की अपेक्षा महिलाओं में जागरूकता ज्यादा है। यही वजह है कि उत्पीडऩ के खिलाफ महिलाएं आवाज उठा रही हैं। पहला प्रयास यही रहता है कि पति-पत्नी को बैठाकर काउंसिलिंग की जाती है। दोनों को समझाया जाता है। खासकर पुरुष को कानून के बारे में जानकारी दी जाती है।
पुरुष की सोच में बदलाव से ही दहेज उत्पीडऩ जैसी खत्म हो सकती है। अब महिलाएं शिक्षित और जागरूक हैं। उत्पीडऩ और अत्याचार बर्दाश्त नहीं कर रही हैं। अपने अधिकार और सम्मान के लिए लड़ रही हैं। कमिश्नरेट पुलिस भी महिला अपराध को लेकर गंभीर है.
-ममता रानी, एडीसीपी महिला अपराध
आकड़ों के हिसाब से
2018-36
2019-36
2020-28
2021-20
2022-26
2023-24
2024-24