Cyber Crime News: कहीं आपके मोबाइल में एपीके तो नहीं, ऑटो डाउनलोड भी हटा दें, वरना खाली हो सकता है अकाउंट
वाराणसी (ब्यूरो)। Cyber Crime News: न कोई ओटीपी, न कोई कंफर्मेशन काल, न ही कोई नंबर पूछा, सिर्फ वॉट्सएप की मदद से ठग ने खाते से लाखों-हजारों रुपए पार कर दिए। साइबर क्राइम पुलिस की जांच में अजीबो-गरीब मामले सामने आ रहे हैं, जिसमें ठग ने सिर्ए वॉट्सएप की मदद से शिकायतकर्ता के खाते से रुपए गायब कर दिए। ऑटो डाउनलोड फीचर ऑन होना शिकायतकर्ता को भारी पड़ गया। इसी की मदद से साइबर क्रिमिनल्स ने कई लोगों को लाखों की चपत लगा दी। पिछले कुछ समय से साइबर फ्र ॉड के अधिकांश मामलों में पुलिस वेरिफिकेशन के दौरान एपीके मॉलवेयर फंक्शन मिला है। जानकारी नहीं होने कारण फ्री गेम के चक्कर बच्चे भी इसे डाउनलोड कर पेरेंट्स को आर्थिक चपत लगवा रहे हैं। खासकर यह एप रात में वर्किंग करता है। ऐसी स्थिति में कहीं आपके मोबाइल फोन में एपीके तो नहीं, यह पता करना बहुत जरूरी है।
- सरवणन टी, प्रभारी साइबर क्राइम फैक्ट एंड फीगर 3842 साइबर जालसाजी के मामले दो साल में आए ्र 4.20 करोड़ रुपए खातों से हुए पार करोड़ की कराई गई रिकवरी
ऐसे होते हैं हैकिंग के शिकार
साइबर सेल में शिकायत दर्ज कराने पहुंचे चेतगंज के मनीष गुप्ता के साथ हुई ठगी में वॉट्सएप की मदद ली गई, जहां वॉट्सएप का ऑटो डाउनलोड फीचर ऑन होने की वजह से साइबर क्रिमिनल ने उसके फोन में ताकाझांकी करना शुरू कर दिया। क्रिमिनल ने पहले उसके वॉट्सएप पर एक मैसेज किया, जिसमें एक एपीके फाइल भेजी। ऑटो डाउनलोड ऑन होने की वजह से युवक के फोन में वह एप डाउनलोड हो गया। उस एप की मदद से ठग ने युवक के फोन में इंटरनेट बैंकिंग पर नजर रखना शुरू कर दिया। जैसे ही मौका मिला वैसे ही युवक के खाते से पैसे पार करने की प्रक्रिया शुरू कर दी। यहां ट्रांजेक्शन के दौरान भेजे जाने वाले ओटीपी को भी बड़ी चतुराई से एसएमएस फारवर्ड के विकल्प की मदद से अपने ईमेल पर ट्रांसफर कर लिया, जिससे शिकायतकर्ता को इस बात की भनक भी नहीं लग सकी कि उसके खाते से पैसे गायब हो रहे हैं। हालांकि, पैसे गायब होने का पता चलते ही युवक ने शिकायत दर्ज करवाई।
यह है साइबर हमलासाइबर एक्सपर्ट मृत्युंजय सिंह बताते हैं कि वर्तमान समय में हैकिंग के शिकार होने वाले मोबाइल में एक समान तरीके से साइबर हमले सामने आ रहे हैं। सभी मोबाइल में मुख्य रूप से यही कारण सामने आ रहा है कि उनके मोबाइल में वॉट्सएप के अनऑफिशियली एपीके इंस्टॉल कर उसका रिमोट के रूप में उपयोग कर रहे हैं। कुछ मामलों में यह भी सामने आ रहा है कि वॉट्सएप के जरिए लिंक आने पर उस पर क्लिक करने से यह एप्लिकेशन इंस्टॉल हो जाता है, जिससे मॉलवेयर मोबाइल में प्रवेश कर गया।
यह एप लगा देता कई पाबंदियां साइबर एक्टपर्ट मृत्युंजय सिंह बताते हैं कि यह मॉलवेयर एप्लीकेशन कुछ दिनों तक शांत रहकर आपका डेटा हैकर के क्लाउड पर भेजते रहते हैं। आपकी निजी जानकारी को इक_ा करते हैं और अधिकतर रात के समय ये एप्लिकेशन एक अन्य एप्लिकेशन को इनस्टॉल कर देते हैं। वह एप्लिकेशन बिना आइकन वाला एप्लिकेशन होता है। मतलब की यह एप्लिकेशन मोबाइल में दिखाई नहीं देता है। यह एप्लिकेशन उस मोबाइल को पूरी तरह से हैक कर कई पाबंदियां लगा देता हैं, जिससे आप आसानी से मोबाइल फोन को फॉर्मेट और रीसेट भी नहीं कर सकते हैं। वह एप्लीकेशन को अनइंस्टॉल करने पर भी पाबंदी लगा देता है। इससे कोई भी एप्लीकेशन हटाई नहीं जा सकती है। आपके मोबाइल पर आने वाले संदेशों को पढ़ता है। आपके व्हाट्सएप को हैक कर अपने सिस्टम में शुरू कर देता है। आपके सभी संपर्कों और ग्रुप में अश्लील वीडियो और फोटो भेजते हैं। यह मॉलवेयर आपके बैंकिंग एप्लीकेशन में सेंध लगाने की शक्ति रखता है। यह मॉलवेयर यूजर के बैंक खाते में धनराशि को स्थानांतरित कर सकता है। बचने का तरीकासाइबर सेल में तैनात एक्सपर्ट विराट सिंह ने कहा कि यदि आपका मोबाइल हैक हो रहा है तो इससे बचने के लिए और अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इन चीजों का ध्यान रखें।
- मोबाइल फोन का सॉफ्टवेयर हमेशा अपडेट रखें। - अनवांछित एप्लीकेशंस को हटाएं। - अपने डिवाइस से उन सभी एप्लीकेशंस को हटाएं जो आपने न इंस्टॉल किए हों या जो संदेहपूर्ण लगते हों। - अपने एप्लीकेशंस को सिर्फ गूगल प्ले स्टोर से ही इंस्टॉल करें और सतर्कता बरतें। - व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें, किसी भी अज्ञात स्त्रोत से आने वाले मैसेजों या लिंक्स को खोलने से बचें। और व्यक्तिगत जानकारी को किसी के साथ साझा न करें। - कोई भी एपीके फाइल जाने-अनजाने में इंस्टॉल नहीं करें - किसी भी अंजान लिंक पर अपनी निजी जानकारी दर्ज नहीं करें। - वॉट्सएप को ऑटो डाउनलोड मोड पर न रखें। इस तरह के एप से बचने के लिए मोबाइल फोन का सॉफ्टवेयर हमेशा अपडेट रखें। बच्चों को मोबाइल न दें। किसी भी अज्ञान स्त्रोत से आने वाले मैसेज या लिंक को खोलने से बचना चाहिए। बावजूद इसके साइबर ठगी होने पर साइबर क्राइम थाना को सूचित करें या 1930 पर जानकारी दें।