Varanasi news: डेंगू की पहचान, मतलब खतरे से बाहर जान, 9 परसेंट से घटकर 4 परसेंट हो गए डेंगू के पेशेंट्स
वाराणसी (ब्यूरो)। डेंगू लगातार पलटवार कर रहा है। 2024 में अब तक 216 मामले सामने आए हैं। हालांकि, हर बुखार डेंगू नहीं होता। डेंगू हो भी जाए तो पैनिक न हों। पहले डेंगू की पहचान कर लें। इसके बाद ही इलाज कराएं। क्योंकि थोड़ा सा भी फीवर होने पर तुरंत लोग डेंगू का लक्षण समझकर डेंगू का इलाज कराने लगते हैं। ऐसे में डेंगू की पहचान हो जाएगी तो जान भी बच जाएगी। यानि खतरा टल जाएगा। डेंगू से बचने के लिए अपने आसपास के एरिया साफ रखेंगे तो डेंगू के मच्छर आपको छू तक नहीं पाएंगे।
रैपिड टेस्ट और डायग्नोसिस तेजडेंगू में सिर्फ 3 से 4 फीसदी मामले ही कुछ गंभीर होते हैं। डॉक्टर की सलाह से बुखार का मैनेजमेंट घर पर ही करें, जब तक डॉक्टर न कहे, अस्पताल में भर्ती न हों। डेंगू पेशेट्स की बड़े पैमाने पर डॉक्टर से डायग्नोसिस करने के बाद ही दवाओं का सेवन करना चाहिए। डेंगू के 54 हॉट स्पॉट एरिया मे रैपिड डेंगू टेस्ट से डेंगू के पेशेंट्स की संख्या काफी कम हुई है। पिछले साल पेशेंट की संख्या 9 परसेंट थी। इस बार घटकर 4 परसेंट हो गयी है। डेंगू के मामले आने की वजह अवेयरनेस है। हॉट स्पॉट एरिया में भी डेंगू के लक्षण दिखते ही ट्रीटमेंट शुरू कर दिया जा रहा है।
हॉट स्पॉट एरिया में लार्वा की जांच फोटो है दैनिक जागरण आईनेक्स्ट टीम ने आराजीलाइन के भाऊपुर डेंगू के हॉट स्पॉट, समेत पिंडरा, कोनिया में बने हॉट स्पॉट एरिया में रियलिटी चेक किया तो हेल्थ डिपार्टमेंट की टीम कैंप लगाकर डेंगू के लार्वा जांच करते मिली। घर-घर जाकर कूलर के पानी को निकालकर पानी की जांच की जा रही थी। हेल्थ डिपार्टमेंट की टीम इस साल 88 हजार 640 घरों में लार्वा की जांच कर चुकी है। जहां डेंगू के संभावित मरीज मिले। उनके तुरंत दवा देकर उपचार शुरू किया गया। 1 लाख 44 हजार मच्छर जनित परिस्थितियों को समाप्त किया गया। 50 कर्मियों को ट्रेनिंगडूडा से हायर 50 कर्मियों को ब्रीडिंग चेकिंग का प्रशिक्षण दिया गया है। जो जुलाई से नवंबर माह तक हॉट स्पॉट के क्षेत्र में लार्वा चेकिंग का कार्य कर रहे हैं। 88,640 घरों में लार्वा सर्च किया है। जलस्रोत को समाप्त किया गया है। इनमें कूलर, ड्रम में पानी, टायर में पानी को समाप्त को डेंगू के लार्वा से आजादी दी है। इसके अलावा सीएसी, पीएचसी में डेंगू के मरीजों का प्रॉपर तरीके से जांच की जा रही है। मंडलीय अस्पताल कबीरचौरा और पं। दीनदयाल में भी डेंगू के पेशेंट की जांच की सुविधा उपलब्ध है।
डेंगू होने की वजह वायरसडॉ। इंद्रनील बसु ने बताया, डेंगू होने की वजह वायरस है। इसकी कोई खास दवा भी नहीं है, जिसे लेने से डेंगू वायरस फौरन ही खत्म हो जाता हो। ज्यादातर लोगों में सामान्य बुखार होकर और मांसपेशियों में कुछ दिनों तक दर्द रहने के बाद यह खत्म हो जाता है। हां, बुखार जब 100 से ऊपर हो तो पैरासिटामॉल (500 या 650 एमजी, जरूरत के हिसाब से) की गोली हर 6 से 8 घंटे पर ले सकते हैं। पेन किलर या ब्रूफेन न लें। हर 3-4 घंटे में यूरीन आना खतरे से बाहर रहने की निशानी है। टेस्ट में डेंगू के लक्षण आने पर बुखार हो जाता है, और बुखार एक दिन से ज्यादा रह रह तो डॉक्टर से डायग्नोसिस जरूर कराएं। वैसे अगर पैरासिटामॉल लेने पर बुखार अगर कम हो जाता है, इसके अलावा दूसरे लक्षण नहीं हैं, जैसे शरीर पर लाल दाने न हों, मुंह, नाक, पेशाब या स्टूल के रास्ते से खून न आता हो और प्लेटलेट्स भी 50 हजार से ऊपर हो तो मामला ज्यादा गंभीर नहीं माना जाता। बिना मतलब कोई भी दवा न लें।
1.एन एस 1 : यह ऐंटिजन (शरीर में बाहर से आने वाले दुश्मन वायरस, बैक्टीरिया या कोई और) टेस्ट है। इससे यह पता चलता है कि शरीर में डेंगू वायरस की मौजूदगी है या नहीं। कार्ड या रैपिड टेस्ट इसमें एक तरह के कार्ड पर सैंपल देने पर नेगेटिव या पॉजिटिव रिजल्ट आता है, लेकिन ध्यान देने वाली बात यह है कि रिपोर्ट नेगेटिव आने पर भी अगर मरीज में डेंगू के लक्षण हैं तो एलाइजा टेस्ट कराना पड़ता है। यह टेस्ट ज्यादातर अस्पताल वाले करते हैं। डेंगू केस 2017- 722 2018- 881 2019- 522 2020- 13 2021- 458 2022 - 562 2023- 551 2024- 216 फैक्ट एंड फीगर 88,640 घरों में लार्वा की जांच इस साल अब तक हुई 2703 आशा कार्यकत्र्री कार्यरत हैं 3574 हेल्थ वर्कर मच्छरजजनित बीमारियों के नियंत्रण के लिए 50 स्वास्थ्य कर्मियों को लार्वा ब्रीडिंग चेकिंग की ट्रेनिंग पिछले कई सालों में डेंगू के पेशेट्स काफी कम हुए हैं। डेंगू से अभी तक किसी की मौत नहीं हुई है। नए कर्मचारियों की नियुक्ति कर उनको लार्वा ब्रीडिंग की ट्रेनिंग दी गयी है। डॉ। शरद चन्द्र पाण्डेय, मलेरिया अधिकारीचार बार ही डेंगू का बुखार फिजीशियन डॉ। इंद्रनील बसु ने कहा, हर शख्स को जि़ंदगी में 4 बार ही डेंगू हो सकता है। इसकी वजह है डेंगू के 4 तरह के वायरस। जिस तरह का डेंगू एक बार हो जाता है उसी तरह का डेंगू उस शरीर में दोबारा नहीं होता क्योंकि शरीर में एंटीबॉडी बन जाते हैं। डेंगू के पेशेंट पिछले साल के मुकाबले 9 परसेंट से घटकर 4 परसेंट हो गए है। हाट स्पॉट एरिया भी कम होता जा रहा है। क्योंकि सभी को डेंगू से बचने की ट्रेनिंग लगातार दी जा रही है। डॉ। शरद चंद्र पाण्डेय, मलेरिया अधिकारी डेंगू का प्रकोप इस समय कम है। फिर भी लोगों को इसके प्रति प्रिकॉशन लेना चाहिए। डेंगू अब बारहों मास देखने को मिलते है। इससे बचने के लिए आसपास के क्षेत्र में सफाई जरूरी है। डॉ। इंद्रनील बसु, फिजिशियन डेंगू वायरस के प्रकार - डेन1, डेन2, डेन3 और डेन4 सेरोटाइप। - डेन1 और डेन3 सेरोटाइप का डेंगू डेन2 सेरोटाइप और डेन4 सेरोटाइप के मुकाबले कम खतरनाक होता है। डेंगू के लिए कौन-सा टेस्ट