26 जून को अंतरराष्ट्रीय मादक पदार्थ दुरुपयोग और अवैध तस्करी निरोध दिवस मनाया गया. वैसे तो सुरक्षा एजेंसियां और नारकोटिक्स मादक पदार्थों की धरपकड़ करती हैं और तस्करी को रोकने के तमाम दावे करती हैं लेकिन चोरी-छिपे गांजा की बिक्री के साथ अब होम डिलीवरी ने भी जोर पकड़ा है.

वाराणसी (ब्यूरो)। 26 जून (बुधवार) को अंतरराष्ट्रीय मादक पदार्थ दुरुपयोग और अवैध तस्करी निरोध दिवस मनाया गया। वैसे तो सुरक्षा एजेंसियां और नारकोटिक्स मादक पदार्थों की धरपकड़ करती हैं और तस्करी को रोकने के तमाम दावे करती हैं, लेकिन चोरी-छिपे गांजा की बिक्री के साथ अब होम डिलीवरी ने भी जोर पकड़ा है। वाराणसी में भांग की बिक्री के लिए बाकायदा लाइसेंसी दुकान हैं, लेकिन भांग की आड़ में प्रतिबंधित गांजा भी बिक रहा है। सरकारी भांग की दुकान पर हर किसी को गांजा ऐसे नहीं मिलता। यदि आप खुले मन से गांजा की मांग करेंगे तो बिल्कुल भी नहीं दिया जाएगा। इसका कोड वर्ड है। यदि आप चवन्नी, अठन्नी और रुपया बोलेंगे तो तुरंत दुकानदार आपको झोले से निकालकर गांजा की पुडिय़ा थमा देगा। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की पड़ताल में एक और चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। गांजा लेने के लिए अब दुकान पर जाने की जरूरत नहीं है। शहर में अब इसकी होम डिलीवरी भी शुरू हो गई है। गांजा का ऑनलाइन कारोबार हो रहा है।

वाट्सएप से परिचितों के बीच कारोबार

शहर में लगभग 40 भांग दुकान हैं, जहां से गांजा भी मिलता है, लेकिन पुलिस की सख्ती के चलते यह कारोबार डिजिटल प्लेटफार्म पर आ गया है। भांग की दुकान पर आसानी से नहीं मिलने वाला गांजा अब वाट्सएप पर मिलने लगा है। यह गोरखधंधा पूरी तरह से भरोसे पर चल रहा है। वाट्सएप पर गांजा की डिमांड तभी पूरी होती है, जब दोनों एक-दूसरे से परिचित होंगे। अंजान या नये व्यक्ति को नहीं दिया जाता है। वाट्सएप पर हुई चैट से आप भी समझिए, कैसे चल रहा है खेल।

कोड वर्ड में ही मिलता गांजा

कमिश्नरेट पुलिस की सख्ती और मादक पदार्थों पर लगातार एक्शन के बावजूद जिले में रोजाना 120 किलोग्राम से ज्यादा गांजा अवैध तरीके से बिकता है। यह गांजा तस्करी के जरिये लाया, फिर अलग-अलग ठिकानों से बेचा जाता है। इन ठिकानों से डायरेक्ट गांजा मांगने पर दुकानदार भगा देगा, लेकिन कोड वल्र्ड चवन्नी, अठन्नी और रुपया कहने पर देने के लिए तैयार हो जाएगा। इसका भी रेट है। 50 रुपए में चवन्नी, 100 रुपए में अठन्नी, 150 में रुपए मिलता है।

रिफ्रेशमेंट के लिए गांजा

युवा वर्ग तेजी से नशे की गिरफ्त में आ रहा है। इनमें गांजा को लेकर ज्यादा क्रेज है। लाइट नशा या रिफ्रेशमेंट के लिए गांजा सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। बीएचयू, काशी विद्यापीठ समेत तमाम कालेज के आसपास इलाकों में अधिकतर युवा सिगरेट पीते दिखे जाएंगे। सिगरेट में गांजा भरा होता है। गंगा घाट किनारे भी बड़ी संख्या में युवा नशा करते दिख जाएंगे। इसके अलावा लॉज, होटल, रेस्टोरेेंट में धड़ल्ले से इसका इस्तेमाल होता है।

गांजे में बम्पर कमाई

असम में एक किलो गांजे की कीमत तीन से चार लाख रुपए होती है, लेकिन बाजार में आते ही कीमत पांच से छह गुना बढ़ जाती है। यही वजह है कि जरायम की दुनिया में रहने वालों ने हेरोइन, चरस, अफीम से दूरी बनाकर इस नशे को मुख्य कारोबार बना लिया है। हालांकि, एक दशक पहले बनारस में अफीम व चरस का धंधा भी तेजी पर था, लेकिन कठोर सजा व पुलिस की सख्ती के चलते तस्करों ने दूरी बना ली। पुलिसिया अनदेखी के चलते भांग की दुकानों से चोरी-छिपे गांजा भी बेचा जाता है।

उड़ीसा व आंध्र प्रदेश से आती खेप

पुलिस, एसटीएफ, एएनटीएफ, एनसीबी और डीआरआई की निगरानी के बावजूद हर महीने गांजा की बड़ी खेप ओडिशा और आंध्र प्रदेश के बॉर्डर से छत्तीसगढ़ आती है। छत्तीसगढ़ से गांजा की छोटी-छोटी खेप सोनभद्र होते हुए बनारस और पूर्वांचल के अलग-अलग जिलों में लाई जाती है। इसके लिए ज्यादातर कार या सवारी वाहनों का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं, पूर्वोत्तर के राज्यों से गांजा की खेप पहले गाजीपुर, मऊ और आजमगढ़ आती है। फिर, बनारस सहित पूर्वांचल के अन्य जिलों के तस्कर वहां जाकर ले आते हैं।

दो कप्तानों ने सख्ती से बंद कराई थी बिक्री

कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने से पहले एसएसपी प्रभाकर चौधरी और एसएसपी अमित पाठक ने सख्ती के साथ गांजा की बिक्री जिले में बंद कराई थी। कमिश्नरेट लागू हुआ तो तत्कालीन पुलिस आयुक्त ए। सतीश गणेश का रुख भी सख्त रहा और गांजा की बिक्री शुरू नहीं हो पाई थी। इसी तरह पुलिस कमिश्नर अशोक मुथा जैन ने भी मादक पदार्थ पर काफी काम किया था। इनके कार्यकाल में कई बार गांजा व अफीम की खेप पकड़ी गई।

मादक पदार्थ की तस्करी पर पुलिस की नजर है। लगातार नेक्सेस का भंडाफोड़ भी किया जा रहा है। चंदौली में एएनटीएफ ने करीब 65 लाख की हेरोइन के साथ एक तस्कर को गिरफ्तार किया। होम डिलीवरी के खेल का भी जल्द भंडाफोड़ किया जाएगा।

- मोहित अग्रवाल, पुलिस कमिश्नर

लगातार पकड़ा जा रहा गांजा

26 जून 2024: लोहता पुलिस ने चेकिंग के दौरान चुरामनपुर स्थित पेट्रोल पंप के पास से तस्कर को 20 किलो गांजा के साथ पकड़ा। तस्कर गांजा लेकर आगरा जा रहा है।

8 मार्च 2024 : उड़ीसा से गांजा लेकर कानपुर सप्लाई देने जा रहे ट्रक से मिर्जामुराद पुलिस ने 2 क्विंटल 44 किलो 880 ग्राम गांजा बरामद किया था।

14 फरवरी 2024 : नेशनल हाईवे पर मिर्जामुराद स्थित विधान पेट्रोल पंप के पास ट्रक से 186 किलो गांजा बरामद किया गया था।

14 फरवरी 2024 : कछवां रोड पर चार क्विंटल गांजा समेत पांच तस्करों को गिरफ्तार किया गया।

पांच महीने में 13 क्विंटल गांजा बरामद

वाराणसी में जनवरी से मई तक पुलिस ने मादक पदार्थों की तस्करी पर बड़ी नकेल कसी है। पांच महीने में सात बड़ी कार्रवाई के साथ लगभग 13 क्विंटल गांजा बरामद किया है।

Posted By: Inextlive