मच्छरों का प्रकोप इतना अधिक बढ़ गया है एक महीने में हाई ग्रेड फीवर के एक दो नहीं बल्कि 1097 पेशेंटस मिले हैं. हालात यह है कि इन पर तो पैरासिटामॉल काम कर रही है न ही कॉल्पोल. कई जांच कराने के बाद भी हाई ग्रेड फीवर से आराम नहीं मिल रहा.

वाराणसी (ब्यूरो)। मच्छरों का प्रकोप इतना अधिक बढ़ गया है एक महीने में हाई ग्रेड फीवर के एक दो नहीं बल्कि 1097 पेशेंटस मिले हैं। हालात यह है कि इन पर तो पैरासिटामॉल काम कर रही है न ही कॉल्पोल। कई जांच कराने के बाद भी हाई ग्रेड फीवर से आराम नहीं मिल रहा। डेंगू और मलेरिया के डर से जांच केन्द्रों में लंबी लाइन लगी है। कोई सीबीसी तो कोई एलाइजा टेस्ट कराने के लिए परेशान है। प्रेग्नेंट वुमेन भी हाई ग्रेड फीवर से परेशान हैं।

102 डिग्री के ऊपर हाई ग्रेड फीवर

यह आम तौर पर 98.8 फारेनहाइट (37.1 डिग्री सेल्सियस) और 100.3 फारेनहाइट (38 डिग्री सेल्सियस) के बीच होता है। तेज़ बुखार वाले लोगों को डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। वयस्कों के लिए, यह 103 फारेनहाइट (39.4 सी) का तापमान है। 3 महीने से ज़्यादा उम्र के बच्चों के लिए, यह 102 फारेनहाट (38.9 फारेनहाइट) या उससे ज़्यादा का तापमान होता है।

दवा भी नहीं करती काम

स्वामी विवेकानंद चिकित्सालय के फिजिशियन डॉ। क्षितिज तिवारी ने कहा, जब शरीर का तापमान 102 डिग्री फारेनहाइट और 104 डिग्री फारेनहाइट के बीच हो, तो गुनगुने पानी से स्पॉन्जिंग करनी चाहिए। लेकिन अगर तापमान 105 डिग्री फारेनहाइट तक चला जाए, दवा से भी कम ना हो, तब गुनगुने के बजाय ठंडे पानी का इस्तेमाल करने की जरूरत पड़ती है।

22,260 घरों में जांच

जिला मलेरिया अधिकारी शरद चंद पाण्डेय ने बताया, एक अगस्त से 30 डोमेस्टिक ब्रीडिंग चेकर्स, घर-घर जाकर मच्छरों का लार्वा खोजने का कार्य कर रहे हैं। अब तक करीब 22,260 घरों का भ्रमण किया गया, जिसमें 56,040 स्थानों और पात्रों पर लार्वा स्रोत पाये गए। समस्त स्रोतों का विनष्टीकरण कराया गया। 91 ऐसे घर पाये गए जहां बार-बार लार्वा स्रोत पाये गए, उन घरों को नोटिस दिया गया। एक अगस्त से अब तक करीब 1097 बुखार के मरीज पाये गए। जांच में कोई भी मलेरिया पॉजि़टिव नहीं मिला। जबकि डेंगू का एक संभावित व्यक्ति मिला है। एलाइजा जांच में पॉजि़टिव आने पर ही डेंगू की पुष्टि निर्धारित है।

हाई ग्रेड फीवर के ज्यादा पेशेंट्स

बारिश के दिनों में मच्छरों का प्रकोप बढऩे की वजह से जांच में मलेरिया और डेंगू के मरीज नहीं मिले, लेकिन हाई ग्रेटेड फीवर के मरीज ज्यादा हैं। इन मरीजों को जांच कराने को कहा गया है। एलाइजा टेस्ट के साथ मलेरिया टेस्ट कराने से पता चल जाएगा कि फीवर क्यों हुआ है।

प्रेग्नेंट वुमेन रहें अलर्ट

गायनोलॉजिस्ट डॉ। अर्चना शाह का कहना है कि इस समय हाई गेड फीवर काफी तेजी से फैला हुआ है। कई प्रेग्नेंट वुमेन भी इससे पीडि़त हैं। इस मौसम में वह बाहर की चीज एवायड करें। हो सके तो कॉल्पोल का इस्तेमाल करेें। 102 डिग्री बुखार होने पर चिकनगुनिया, मलेरिया और थायराइड की जांच जरूर कराएं। इससे उनको दिक्कत नहीं होगी।

हाई ग्रेड फीवर के प्रकार

- कंपकंपीवाला बुखार। इसमें ठंड लगने के कारण कंपकंपी आती है।

- निरंतर या उतार चढ़ाव होने वाला बुखार। कुछ किस्म के बुखार दिन-रात लगातार चलते हैं।

- लम्बे समय तक चलने वाला फीवर।

- रुक-रुक कर होने वाला बुखार।

- लगातार रहने वाला बुखार।

फीवर के लिए टेस्ट

- सीबीसी हेमोग्राम

- ईएसआर

- मलेरिया

- विडाल टेस्ट

- नियमित मूत्र परीक्षण

- एलाइजा टेस्ट

22 हजार से अधिक घरोंं में जांच की गयी है। 1097 लोगों में हाई गे्रड फीवर की शिकायत मिली। ऐसे लोगों को जांच कराने की सलाह दी गयी है।

डॉ। शरद चन्द्र पाण्डेय, डीएमओ

बारिश के मौसम में हाई ग्रेड फीवर के पेशेंटस की संख्या बढ़ गयी है। प्रतिदिन 500 से अधिक पेशेंटस हाई ग्रेड फीवर के आ रहे हैँ।

डॉ। क्षितिज तिवारी, फिजीशियन

प्रेग्नेंट महिलाओं में भी हाई ग्रेड फीवर देखने को मिल रहा है। प्रतिदिन 30 से 40 ऐसी महिलाएं आ रही हैं, जिनको 102 से 103 डिग्री फीवर है।

डॉ। अर्चना शाह, गायनोलॉजिस्ट

Posted By: Inextlive