काशी में गंगा ने 'अर्थ गंगाÓ के प्रवाह को रोक दिया है. सभी घाट डूबे हुए हैं. घाट के सभी मंदिर भी डूबे हैं. इसके चलते क्रूज से लेकर सभी तरह की नाव के संचालन पर रोक लग गई है. लिहाजा घाटों से पब्लिक ने भी दूरी बना ली है.

वाराणसी (ब्यूरो)। काशी में गंगा ने 'अर्थ गंगाÓ के प्रवाह को रोक दिया है। सभी घाट डूबे हुए हैं। घाट के सभी मंदिर भी डूबे हैं। इसके चलते क्रूज से लेकर सभी तरह की नाव के संचालन पर रोक लग गई है। लिहाजा घाटों से पब्लिक ने भी दूरी बना ली है। गंगा के पानी में घाट डूबने की वजह से चंदन टीका लगाने वाले से लेकर पान, चाऊमीन, बर्गर की दुकान लगाने वाले से लेकर फोटोग्राफी करने वाले सभी सड़क किनारे आ गए हैं। गुरुवार रात 8 बजे गंगा का जलस्तर 67.74 मीटर रिकॉर्ड किया गया।

नमो घाट का बुरा हाल

नमो घाट पर सबसे अधिक दुकानदारों को नुकसान हो रहा है। यहां पर स्मार्ट सिटी की तरफ से 15 से अधिक दुकान दुकानदारों को अलॉट किया गया है। इन दुकानों में बर्गर, पिज्जा, आइसक्रीम, चाऊमीन, चाय काफी, पापकॉर्न से लेकर चाट और गोलगप्पे बिकते हैं। जब से बाढ़ का पानी घाटों पर आया है, तब से दुकानें बंद हैं। गंगा के बढ़ते जलस्तर के कारण टूरिस्ट भी नहीं आ रहे हैं। दो महीने बाद ही घाट की स्थिति सुधरेगी।

ट्रेन और बस भी नहीं चल रही

नमो घाट पर बच्चों के मनोरंजन के लिए ट्रेन, ऑटो और बसें भी चलाई जाती हैं। दो मंजिला और ट्रेन से घूमने के लिए बच्चों की भीड़ हमेशा रहती थी। बाढ़ के चलते ट्रेन, बस से लेकर सभी तरह के संचालन पर रोक है। इसके चलते दुकानदारों को काफी नुकसान हो रहा है। नमो घाट पर टूरिस्ट और कपल्स पहुंचते थे। फोटोग्राफर उन्हें फोटो खींचने के लिए लिए घेर लेते थे। गंगा का जलस्तर बढऩे की वजह से यह भी बंद हो गया है।

सभी तरह का बिजनेस ठप

गंगा का जलस्तर बढऩे के कारण नौका व क्रूज संचालन पूरी तरह से बंद है। घाट पर माला-फूल व फोटोग्राफी सहित खान-पान परक बिजनेस पूरी तरह से ठप है। घाट पर पर्यटन पूरी तरह बंद है। किसी घाट पर खड़े होने की जगह नहीं बची है। इससे नेमी स्नानार्थियों को बहुत दिक्कत हो रही है। उन्हें स्नान और पूजा-ध्यान के लिए मुश्किल से स्थान मिल रहा है।

चंदन टीका वाले आ गए किनारे

दशाश्वमेध घाट हो या फिर मणिकर्णिका घाट। स्नान करने के बाद घाट किनारे लगी चौकियों पर लोग बैठकर चंदन टीका लगवाते थे। बाढ़ के चलते घाटों पर से चौकियां हटा दी गई हैं। चंदन-टीका लगाने वाले भी चौकी-छतरी से लेकर सड़क से लगायत सीढिय़ों पर आ गए हैं। हालांकि, अब हर घंटे 2 सेंटीमीटर की रफ्तार से गंगा का जलस्तर घट रहा है।

लकडिय़ां रखने को जगह नहीं

धीमी गति से बढ़ते जलस्तर को देखते हुए यह माना जा रहा है कि अगले तीन दिन में पानी चेतावनी बिंदु को छू लेगा। गंगा के बढऩे से शवदाह की दिक्कत बनी हुई है। मणिकर्णिका घाट पर जलावन (लकडिय़ों) रखने में भी जगह की किल्लत हो गयी है।

खिडि़कया घाट पर डूब चुका है रैंप

खिडि़कयां घाट का पहला रैंप डूब गया और पानी फर्श तक पहुंच गया था। दूसरी ओर गंगा की सहायक नदी वरुणा भी अपना दायरा बढ़ाने लगी हैं। कोनिया घाट के पास वरुणा का पानी तलहटी से ऊपर हिलोरे मार रहा है। वहीं अस्सी घाट पर पान, चाय लेकर सभी तरह की दुकानें बंद है। आम दिनों में जहां घाटों से प्रतिदिन 5 लाख से अधिक का कारोबार होता था। वहीं इन दिनों ठप है।

घाट किनारे बिजनेस

- फोटोग्राफी

- चाऊमीन, बर्गर, पिज्जा की दुकानें

- नमो घाट पर ट्रेन, बस और ऑटो का संचालन

- चौकी लगाकर टीका चंदन लगाना

- साड़ी की बिक्री

- क्रूज व नाव का संचालन

- टूरिस्टों को घाट घुमाना

- माला फूल, नारियल की दुकानें

गंगा का जलस्तर (मीटर में)

19 अगस्त - 67.80

20 अगस्त- 68.26

21 अगस्त - 68.38

22 अगस्त- 67.74

गंगा का जलस्तर बढऩे की वजह से सभी तरह का काम ठप पड़ चुका है। बाढ़ का पानी कम होगा। इसके बाद दुकान लगाएंगे।

राजकुमार, दुकानदार

शक्का घाट पर थोड़ा बहुत पानी कम हुआ, लेकिन घाटों पर सिल्ट जमा हो गई है। जब तक सिल्ट साफ नहीं होगी। लोग नहीं आएंगे।

राकेश केवट, नाविक

तेलियानाला घाट पर गंगा का जलस्तर बढऩे का सिलसिला अभी सितंबर तक रहता है। ऐसे में सितंबर माह के बाद ही जब पानी कम होगा तो दुकान लगाएंगे।

नत्थू लाल, दुकानदार

Posted By: Inextlive