Varanasi news: लेट प्लानिंग से बिगड़ी फैमिली प्लानिंग, महिलाएं नहीं कर पा रहीं कंसीव
वाराणसी (ब्यूरो)। बच्चों की लेट प्लानिंग फैमिली प्लानिंग भी बिगाड़ रही है। कॅरियर की अंधी दौड़, देर से शादी से महिलाओं का एक बड़ा वर्ग संतान सुख से दूर रह जाता है। ज्यादातर महिलाओं में यह गलतफहमी होती है कि वे किसी भी उम्र में नेचुरली मां बन सकती हैं। 35 साल की उम्र के बाद महिला के प्राकृतिक गर्भधारण की संभावनाएं कम होती जाती हैं, क्योंकि इस उम्र के बाद से अंडों की क्वालिटी और संख्या में कमी होने लगती है और अगर कंसीव हो भी जाएं तो गर्भपात होने का डर रहता है। थक हार के महिलाएं फिर आईवीएफ का सहारा लेती हैं।
40 साल बाद 10 परसेंट मां बनने की संभावनाआंकड़ों पर ध्यान दें तो 40 से 44 उम्र की महिलाओं की गर्भधारण की क्षमता काफी कम होकर 10 परसेंट से भी कम रह जाती है। इस उम्र तक महिला के पीरियड अनियमित या बंद हो जाते हैं, जिसके बाद प्रेग्नेंसी मुश्किल होती है। ऐसी स्थिति में महिला के पास आईवीएफ ट्रीटमेंट एकमात्र उपाय है, जो उसकी जिंदगी में खुशियों को जन्म दे सकता है। आईवीएफ यानि इन विट्रो फर्टिलाईजेशन इसे टेस्ट ट्यूब बेबी नाम से भी जाना जाता है।
लैब में एग करते फर्टिलाइजचीफ इनफर्टिलिटी एंड आईवीएफ स्पेशलिस्ट डॉ। शिवाली त्रिपाठी ने बताया, उम्र अधिक होने या किसी कारण से महिला में सामान्य प्रक्रिया से प्रेगनेंसी नहीं हो पा रही है तो वह आईवीएफ तकनीक का सहारा ले रही हैं। आईवीएफ में महिला की फैलोपियन ट्यूब में होने वाली गर्भधारण को प्रारम्भिक प्रक्रिया को लैब में किया जाता है। महिला को दवाइयां और इंजेक्शन देकर उसके शरीर में सामान्य से अधिक अंडे बनाये जाते हैं, अंडे की संख्या और क्वालिटी पर नजर रखी जाती है। इन अंडों को पतली सुई की मदद से शरीर से बाहर निकाल लिया जाता है। इसमें महिला को कुछ समय के लिए बेहोश किया जाता है फिर पति के स्पर्म से लैब में अण्डों को फर्टिलाइज्ड किया जाता है। आईवीएफ में एक से अधिक एग फर्टिलाइज्ड के लिए रखे जाते हैं।
20 से 30 साल की एज बेस्टउम्र के साथ धीरे-धीरे अंडों की संख्या कम होती जाती है। सामान्यत: 20 से 30 वर्ष की आयु गर्भधारण के लिए सबसे अच्छी मानी जाती है, क्योंकि इस आयु वर्ग में अंडों की संख्या और गुणवत्ता उत्तम होती है। इसके बाद अण्डों में खराबी आना शुरू हो जाती है और नेचुरली गर्भधारण में समस्या आती है। अधिक उम्र में गर्भधारण हो भी जाये तो गर्भपात या फिर जन्म के बाद बच्चे में किसी तरह की शारीरिक समस्या होने का खतरा रहता है।
केस 1 सोनारपुरा की कोमल ने अपनी जॉब के चलते 29 वर्ष की उम्र में शादी की। अपनी जॉब के कारण वह जल्दी बेबी प्लान नहीं करना चाहती थीं और 32 साल की उम्र में जब उन्होंने बेबी प्लान किया। तो तमाम कोशिशों के बाद भी वह बेबी कंसीव नहीं कर पा रही थीं, जिसके चलते उन्होंने आईवीएफ का सहारा लिया। केस 2 श्वेता ने जब बेबी प्लान करने का सोचा तब वह 37 साल की हो चुकी थीं, जिसके बाद वह कंसीव नहीं कर पा रही थी। जब सारी कोशिश नाकाम हुई तो उनके पास आईवीएफ एक आखिरी रास्ता बचा। वह वाराणसी के एक आईवीएफ सेंटर में आईवीएफ प्रोसेस के लिए पहुंचीं, लेट प्लानिंग के कारण श्वेता को कंसीव करने में प्रॉब्लम का सामना करना पड़ा। ये हैैं बेबी कंसीव न कर पाने के कारण -नींद का पैटर्न सही न होना। -तनाव और प्रदूषण। -शराब इत्यादि का सेवन करना। -ज्यादा उम्र होना और हेल्दी डाइट न लेना। महिलाएं करा रहीं एग फ्रि जिंगजो महिलाएं शादी के कुछ वर्षों बाद संतान चाहती हैं। वे अधिक उम्र में भी अपने अण्डों से मां बन सकती हैं। कम उम्र में महिला अपने अण्डों को फ्र ज करवा सकती हैं। क्योंकि उस समय अण्डों की क्वालिटी अच्छी होती है और बाद में जब चाहें तब आईवीएफ तकनीक से गर्भधारण कर सकती है। एग फ्रि जिंग में अण्डों को वर्षों तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
आज की भागदौड़ भरी जिदंगी में अधिक उम्र की महिलाओं के लिए मां बनने का एकमात्र रास्ता आईवीएफ ही बच रहा है। लेट फैमिली प्लानिंग इसकी बड़ी वजह है। डॉ। शिवाली त्रिपाठी, आईवीएफ एक्सपर्ट महिलाए आगे आने वाले समय में मां बनने के लिए एग फ्रिजिंग भी करा रही हैं। अगर उन्हें नेचुरल प्रोसेस से मां बनना है तो उन्हें 30 के पहले ही फैमिली प्लानिंग कर लेनी चाहिए। डॉ। इंदू सिंह, आईवीएफ एक्सपर्ट