'सपने वो नहीं हैं जो आप नींद में देखें सपने वो हैं जो आपको नींद ही नहीं आने देंÓ 'देश का सबसे अच्छा दिमाग क्लासरूम के आखिरी बेंचों पर मिल सकता है.Ó यह प्रेरणापूर्ण विचार 'द पीपल्स प्रेसिडेंटÓ पूर्व राष्ट्रपति स्व. डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के हैं. आज डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की 93वीं जयंती मनाई जाएगी. आज का दिन स्टूडेंट्स को समर्पित है. वैसे भी शिक्षा के लिहाज से बनारस खास है. बीएचयू में अध्ययनरत स्टूडेंट्स को इनोवेशन के लिए उच्चस्तरीय सुविधाएं दी जाती हैं

वाराणसी (ब्यूरो)। 'सपने वो नहीं हैं, जो आप नींद में देखें, सपने वो हैं जो आपको नींद ही नहीं आने देंÓ 'देश का सबसे अच्छा दिमाग क्लासरूम के आखिरी बेंचों पर मिल सकता है.Ó यह प्रेरणापूर्ण विचार 'द पीपल्स प्रेसिडेंटÓ पूर्व राष्ट्रपति स्व। डॉ। एपीजे अब्दुल कलाम के हैं। आज डॉ। एपीजे अब्दुल कलाम की 93वीं जयंती मनाई जाएगी। आज का दिन स्टूडेंट्स को समर्पित है। वैसे भी शिक्षा के लिहाज से बनारस खास है। बीएचयू में अध्ययनरत स्टूडेंट्स को इनोवेशन के लिए उच्चस्तरीय सुविधाएं दी जाती हैं, जिसके तहत वे अपने सब्जेक्ट के अध्ययन के साथ-साथ नवाचार के क्षेत्र में भी नित नई खोज करते हैं। आईआईटी बीएचयू के भी ऐसे कई स्टूडेंट हैं, जिन्होंने पढ़ाई के दौरान ही ऐसे कई इनवेंशन किए, जोकि समाज के लिए महत्वपूर्ण हैं और लोगों के जीवन को आसान बनाते हंै। आज वल्र्ड स्टूडेंट डे पर आपको अपनी लाइफ में बुलंदियों को छूने वाले स्टूडेंट्स के बारे में बताएंगे।

पर्यावरण में केमिकल का पता लगाती है चिप फोटो

आईआईटी (बीएचयू) के जैव रासायनिक अभियांत्रिकी स्कूल की दो पीएचडी शोधार्थी रोहिणी कुमारी और डाफिका एस। डेखार को उनके उत्कृष्ट अनुसंधान उपलब्धियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन इलेक्ट्रोकेमिकल विज्ञान और प्रौद्योगिकी (आईकनेस्ट 2024) में सम्मानित किया गया। डॉ। प्रांजल चंद्रा, एसोसिएट प्रोफेसर ने बताया कि रोहिणी कुमारी का शोध पर्यावरण में केमिकल का पता लगाता है, जोकि लोगों के जीवन के लिए खतरनाक होते हैं। यह एक 2 एमएम की चिप है जिसका नाम नैनोइलेक्ट्रॉनिक इलेक्ट्रोकेमिकल सेंसिंग चिप है। इसे तैयार करने में दो साल लग गए। वहीं डाफिका एस। डेखार को सर्वश्रेष्ठ मौखिक प्रस्तुति पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उनका शोध पिकलोरम के पता लगाने के लिए रासायनिक रूप से संशोधित मल्टीवॉल्ड कार्बन नैनोट्यूब और रिड्यूस्ड ग्राफीन ऑक्साइड नैनोकंपोजिट का डिजाइन और निर्माण पर आधारित है। यह संवेदनशील नैनोकंपोजिट सेंसर पिकलोरम, जो एक व्यापक रूप से उपयोग किया जाने वाला हर्बीसाइड है। आसान भाषा में समझें तो यह बता देता है कि मिट्टïी में कितनी मात्रा में क्या मिलाना है, जिससे पेड़ सुरक्षित रह सके।

हिंग्लिश में नहीं कर सकेंगे अभद्र टिप्पणी । फोटो

आईआईटी बीएचयू के कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के शोधकर्ताओं ने एआई पद्धति से सोशल मीडिया प्लेटफार्म की अभद्र सामग्री से निपटने का प्रभावी समाधान ढूंढा। केवल एक भाषा में ही अभद्र सामग्री की पहचान करना चुनौतीपूर्ण है और जब यह मिश्रित-भाषा की होती है तो यह और भी जटिल हो जाती है। हालांकि अंग्रेजी जैसी उच्च संसाधन वाली भाषाओं में साइबर बुलिंग से निपटने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए गए हैं, लेकिन मिश्रित-भाषा संदर्भों पर बहुत कम ध्यान दिया गया है। डॉ आर। चौधरी के मार्गदर्शन में विभाग के शोध छात्र पारस तिवारी के शोध ने देवनागरी-रोमन मिश्रित टेक्स्ट की जटिलताओं का गहन विश्लेषण किया और 20.38 प्रतिशत प्रासंगिकता स्कोर के साथ कोड-मिश्रित अपमानजनक टेक्स्ट उदाहरणों को एकत्र और एनोटेट करने के लिए एक किफायती पद्धति तैयार की है। यह शोध बहुप्रतिष्ठित रिसर्च जर्नल स्प्रिंगर लिंक के लैंग्वेज रिसोर्स एंड इवाल्युवेशन में जनवरी 2024 में प्रकाशित हो चुका है।

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इसलिए मनाते हैैं वल्र्ड स्टूडेंट डे

भारत के पूर्व राष्ट्रपति और महान वैज्ञानिक डॉ। एपीजे अब्दुल कलाम के जन्मदिन के अवसर पर हर साल 15 अक्टूबर को वल्र्ड स्टूडेंट डे मनाया जाता है। हर साल कोई विशेष थीम होती है। साल 2024 में इस दिवस की थीम छात्रों को परिवर्तन के एजेंट बनने के लिए सशक्त बनाना है। इसका उद्देश्य जिम्मेदारी, दृढ़ता और सामाजिक परिवर्तन में शिक्षा की भूमिका में जोर देना है।

आज का यूथ अपने सपनों को लेकर काफी एक्टिव है। कम उम्र में ही कई ऐसे इनवेंशन कर रहा है जोकि समाज के लिए बहुत उपयोगी साबित हो रहे हैं।

-प्रो। अमित पात्रा, डॉयरेक्टर, आईआईटी बीएचयू

बीएचयू की प्रमुख रिसर्च

1. वैज्ञानिकों ने नील हरित शैवाल की नई प्रजाति सायनोबैक्टीरिया की खोज की है। इससे जैवविविधता के संरक्षण को नया आयाम मिलेगा। ये खोज भारत में जैवविविधता के लिहाज से अत्यंत महत्वपूर्ण है। खास ये कि पूर्वोत्तर क्षेत्र से इस तरह की यह पहली खोज है।

2. बीएचयू और आईआईटी सहित तमाम संस्थान शोध कर रहे हैं। 200 लोगों के ब्लड सैंपल की जांच से पता चला कि रामायणकालीन जनजातियों का डीएनए भारत की सभी जनजातियों में पाया जाता है। अभी यह शोध लंबा चलेगा।

3. बीएचयू में विश्व भर को दहलाने वाली कोरोना महामारी पर रिसर्च हुई है। रिसर्च का परिणाम चौंकाने वाला रहा। बीएचयू में कोविड-19 पर हुई रिसर्च में भारतीयों के इस रोग से मुकाबले में अधिक सक्षम होने की बात कही गई थी। रिसर्च में यह बात सामने आई थी कि भारत और दक्षिण एशियाई देशों के लोग कोविड-19 से मुकाबले में दुनिया के बाकी देशों से अधिक मजबूत हैं।

Posted By: Inextlive