Varanasi Crime News: पढ़े-लिखे 'अनपढ़' भर रहे लुटेरों के खजाने
Varanasi Crime News: पुलिस, सीबीआई, ड्रग्स अफसर, आरबीआई, ईडी और अन्य एजेंसियों के अफसरों की तरह धौंस, इंक्वायरी, इंवेस्टिंग और आवाज निकालकर डिजिटल अरेस्ट के जरिए साइबर अपराध का ग्राफ बढ़ गया है। पब्लिक तो इन्हें रियल समझकर डर जा रही है, लेकिन असल में यह फर्जी यानी नकली अफसर होते हैं,
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पुलिस, सीबीआई, ड्रग्स अफसर, आरबीआई, ईडी और अन्य एजेंसियों के अफसरों की तरह धौंस, इंक्वायरी, इंवेस्टिंग और आवाज निकालकर डिजिटल अरेस्ट के जरिए साइबर अपराध का ग्राफ बढ़ गया है। पब्लिक तो इन्हें रियल समझकर डर जा रही है, लेकिन असल में यह फर्जी यानी नकली अफसर होते हैं, लेकिन सवाल यह है कि आखिरकार वीडियो कॉल के दौरान यह बिल्कुल रीयल अधिकारी की तरह दिखते हैं। बैकग्राउंड में संबंधित विभाग का चिह्न और शानदार आफिस का सच क्या है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की टीम ने साइबर क्राइम के एक्सपर्ट से बातचीत की तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। टीवी पर प्रसारित क्राइम पेट्रोल, सावधान इंडिया और वेब सीरीज फिल्मों में अफसरों की दमदार एक्टिंग को देखकर साइबर क्रिमिनल टे्रंड हो रहे हैं। पढ़े-लिखे होने के कारण इनकी इंग्लिश बहुत अच्छी होती है। ये पढ़े-लिखे अनपढ़ शातिरों के झांसे में आकर जिले में रोजाना दस से अधिक साइबर ठगी की घटना को अंजाम दे रहे हैं और चंद मिनटों में लाखों का माल पार कर दे रहे हैं।
पढ़े-लिखे हो रहे शिकार पढ़े-लिखे अनपढ़ शातिरों के झांसे में आकर जिले में साइबर अपराध को बढ़ावा दे रहे हैं। साथ ही लुटेरों के खजाने भी भर रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि पढ़े-लिखे लोग ही अधिकतर ऐसे ठगों के शिकार बन रहे हैं और जीवनभर की जमा पूंजी एक ही झटके में खत्म कर दे रहे हैं। वाराणसी में इस साल जनवरी से जून तक साइबर अपराध के लगभग सात हजार मामले सामने आए हैं। विदेशों में बैठकर दे रहे ठगी को अंजामइन दिनों साइबर ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इंटरनेट के जरिए जालसाज ठगी के नए-नए तरीके अपना कर लोगों को अपना शिकार बना रहे हैं। ये ऐसे लोग हैं, जो आईटी कंपनी से किसी कारण निकाले गए हैं। तकनीकी रूप से बहुत सक्षम और एक्सपर्ट है, जिन्हें साइबर ठगी गिरोह हॉयर कर विदेश बुलाया जा रहा है। इसके अलावा बैंक कर्मियों की संलिप्तता भी सामने आई है। इन्हीं की मिलीभगत से ठगी के पैसे इधर से उधर होते हैं। 3.55 करोड़ की ठगी में लखनऊ स्थित बैंक के कई कर्मचारी पकड़े गए थे।
विदेशों में बैठकर घटनाओं को अंजामवैसे तो साइबर ठगी के केस पूरे देश में आ रहे हैं, लेकिन वाराणसी में ज्यादा शिकार हो रहे हैं। साइबर एक्सपर्ट बताते हैं कि साइबर अपराध मुख्य रूप से तीन दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों म्यांमार, लाओस और कंबोडिया में बैठे अपराधियों द्वारा किए जा रहे हैं। साइबर क्राइम के कुल मामलों में से 46 प्रतिशत इन्हीं तीन देशों से हुए। इन मामलों में करीब 86 करोड़ रुपये की ठगी हुई। राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) के आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल 1 जनवरी से 30 जून के बीच वाराणसी में 7 हजार शिकायतें दर्ज की गईं, जबकि साल 2023 में लगभग 15 हजार शिकायतें प्राप्त हुई थीं।
----------- पकड़े गए साइबर अपराधी हिमांशु वर्मा, बीसीए अनंत कुमार, बीकाम एलएलबी दीपक चंद्र, कम्प्यूटर एक्सपर्ट सरफराज, बैंक अधिकारी नुरुल हुदा बैंक अधिकारी आरिफ खां, आईटी नीरव आईटी ---------- 2021 से 2024 के बीच साइबर फ्र ॉड 2024 : (जून तक) 4 हजार 2023 : 7 हजार 2022 : 3 हजार वर्जन यह दौर डिजिटल का है। जागरूकता के बावजूद साइबर की घटनाएं बढ़ी हैं। साइबर ठगी के अधिकार शिकार लोग पढ़े-लिखे होते हैं, लेकिन ठगों के जाल में फंस जाते हैं। ठगी करने वाले तो एक्सपर्ट होते हैं। क्राइम पेट्रोल, सावधान इंडिया जैसे सीरियल देखकर फर्जी अफसर बनने और पूछताछ करने में ट्रेंड हो जाते हैं। -सरवणन टी, एडीसीपी, साइबर क्राइम