Varanasi news: बनारस में पब्लिक की बिजली से फर्राटा भर रहे ई-रिक्शा
वाराणसी (ब्यूरो)। शहर में बिजली की खपत अचानक बढ़ गई है। ऐसे में आम पब्लिक के टारगेट पर होटलों में लगे एसी हैं, लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि एसी से नहीं बल्कि ई-रिक्शा की वजह से बिजली की डिमांड में 30 से 40 फीसद का इजाफा हुआ है। वाराणसी में 80 प्रतिशत ई-रिक्शे आम लोगों के लिए सप्लाई होनी वाली बिजली से चार्ज हो रहे हैं। यानी ज्यादातर ई-रिक्शा घरेलू कनेक्शन से चार्ज किए जा रहे हैं। कुल मिलाकर गैराज मालिक घरेलू बिजली का व्यवसायिक उपयोग कर रहे हैं, जो नियमानुसार पूरी तरह से अवैध है। व्यवसायिक यूनिट दर की तुलना में घरेलू बिजली यूनिट का चार्ज लगभग 40 फीसदी तक कम होता है। इस खेल में बिजली विभाग को हर महीने करोड़ों रुपए की चपत लग रही है। निचले तबके के कर्मचारियों में अच्छी पकड़ होने के कारण ई-रिक्शा गैराज मालिक विभागीय अधिकारियों के रडार पर नहीं चढ़ पाते।
ऐसे समझें बिजली चोरी का गणितशहर में लगभग 22 हजार ई-रिक्शा हैं। एक ई-रिक्शा की बैट्री को चार्ज करने में अमूमन 6 से 7 घंटे लगते हैं। इस दौरान लगभग 9 यूनिट बिजली की खपत होती है। घरेलू बिजली की रेट 6.35 रुपए प्रति यूनिट है। वहीं कमर्शियल बिजली की बात करें तो इसकी रेट 8.50 रुपए प्रति यूनिट है। एक साल में 22 हजार ई-रिक्शा को चार्ज करने में लगभग 7 करोड़ 24 लाख यूनिट बिजली की खपत होती है। इतनी यूनिट खपत होने पर बिजली विभाग को कमर्शियल बिजली के हिसाब से कुल 54 करोड़ 37 लाख रुपए मिलते। जबकि शहर में ई-रिक्शा घरेलू बिजली से चार्ज किए जाते हैं। यदि सभी ई रिक्शा के मालिक बिजली बिल का भुगतान करें तो विभाग को कुल 30 करोड़ रुपये से ज्यादा मिलेंगे। हर साल ई-रिक्शा और चार्जिग गैराज के मालिक मिलकर 14 करोड़ 61 लाख की चोरी कर रहे हैं।
शहर में चार्जिंग सेंटर खोलने की तैयारी मौजूदा समय में बनारस में एक भी चार्जिंग स्टेशन नहीं है। लंबे समय से चार्जिंग स्टेशन खोलने की तैयारी चल रही है। इसी कड़ी में नगरीय सीमा में नगर निगम की ओर से ई-रिक्शा चार्जिंग पॉइंट बनाया जाएगा। इसको लेकर नगर निगम की टीम ने शहर के 34 स्थान का चयन किया है, जहां पर एक समय में एक साथ 3 से अधिक ई-वाहन चार्ज हो सकेंगे। निगम ने इस प्रोजेक्ट को फाइनल करने के लिए शासन को फाइल भेज दी है। कमाई खूब फिर भी बिजली चोरीई-रिक्शा के मालिक की कमाई खूब हो रही है। फिर भी घरेलू कनेक्शन से ही उसे चार्ज करते हैं। ई-रिक्शा चालक प्रतिदिन 400 रुपए मालिक को किराए के रूप में देते हैं। एक दिन में चालक को 800 से 1200 रुपए की कमाई होती है। इसके अलावा गैराज मालिक स्वतंत्र चालकों से यार्ड में ई-रिक्शा खड़ा करने का किराया 50 रुपये वसूलते हैं। वहीं, उनसे 100 रुपये बैटरी चार्ज का खर्च लिया जाता है।
अवैध चार्जिंग गैराज का संचालन शहर में अवैध गैराज तेजी से फलफूल रहा है। ऐसे में 50 से ज्यादा ऐसे चार्जिंग यार्ड और गैराज हैं, जहां विभागीय अधिकारियों की नजर नहीं पड़ती। गौर करें तो सिगरा के शिवाजी नगर क्षेत्र में तीन, शिवपुरवा में दो, लहरतारा में चार, मंडुआडीह क्षेत्र में तीन, लंका स्थित सामने घाट क्षेत्र में दो, अस्सी घाट पर तीन, भेलूपुर में दो, सारनाथ में 2 और पंचक्रोशी में 2 चार्जिंग यार्डहै। इसके अलावा बजरडीहा, गोलगड्डा, चौकाघाट, तेलियाबाग, सरैया व पांडेयपुर, शिवपुर समेत दर्जनों इलाके हैं। जहां यह धंधा चल रहा है। यह है नियमवाराणसी में ई-रिक्शा के लिए वाहन स्वामी को टाइप-11 में कनेक्शन के लिए आवेदन करना होगा। यह व्यवसायिक बिजली की श्रेणी में आता है। इस योजना में उपभोक्ता को आधा किलोवाट से लेकर 10 किलोवाट अथवा उससे भी ज्यादा क्षमता का कनेक्शन दिया जाता है। शेष अन्य कनेक्शन को अवैध माना जाएगा।
फैक्ट एंड फीगर 22 हजार के लगभग ई-रिक्शा इस समय शहर में चल रहे हैैं 06 से 7 घंटे लगते हैं एक ई-रिक्शा की बैट्री को चार्ज करने में 09 यूनिट के करीब बिजली की खपत होती है चार्ज करने में 30 से 40 फीसद बिजली की डिमांड में हो गया है इजाफा घरेलू कनेक्शन से ई-रिक्शा का बैटरी चार्ज करना पूरी तरह से अवैध है। शहर में जहां भी अवैध चार्जिंग प्वाइंट चल रहे हैं, उनके खिलाफ समय-समय पर अभियान चलाकर कार्रवाई की जाती है। -अरविंद सिंघल, चीफ इंजीनियर, बिजली विभाग