धार्मिक और पर्यटन नगरी काशी की यातायात व्यवस्था में 22 हजार से अधिक पंजीकृत ई-रिक्शा खलल डाल रहे हैं. प्रमुख 10 चौराहे और 10 क्षेत्रों में जाम का कारण बनने वाले रोजाना 15 से 20 ई-रिक्शा सीज और 20 से 30 का चालान की कार्रवाई के बाद भी कोई डर नहीं रह गया है.

वाराणसी (ब्यूरो)। धार्मिक और पर्यटन नगरी काशी की यातायात व्यवस्था में 22 हजार से अधिक पंजीकृत ई-रिक्शा खलल डाल रहे हैं। प्रमुख 10 चौराहे और 10 क्षेत्रों में जाम का कारण बनने वाले रोजाना 15 से 20 ई-रिक्शा सीज और 20 से 30 का चालान की कार्रवाई के बाद भी कोई डर नहीं रह गया है। ई-रिक्शा यूनियन के विरोध की वजह से ट्रैफिक विभाग ने अभी तक ई-रिक्शा के लिए कलर स्टीकर, क्यूआर कोड जारी नहीं किया। जोन वार रूट भी तय नहीं किया। नगर निगम ने भी अभी तक ई-रिक्शा के लिए स्टैंड भी घोषित नहीं किया। शहर में हर दिन 100 से अधिक ई-रिक्शा की खरीद-बिक्री हो रही है, जिससे सेल टैक्स विभाग भी अंजान है।

इन इलाकों में सबसे अधिक बाधा

अस्सी-जंगमबाड़ी मार्ग, गिरजाघर चौराहा-नई सड़क और लंका-सामनेघाट मार्ग, कैंट-इंग्लिशिया लाइन तिराहा और मैदागिन-विशेश्वरगंज, सिटी स्टेशन और नक्खीघाट मार्ग, भोजूबीर-अर्दली बाजार मार्ग और पांडेयपुर चौराहा पर सबसे अधिक यातायात व्यवस्था में बाधा ई-रिक्शा पहुंचा रहे हैं। इसके अलावा रोडवेज कैंट, परेडकोठी मार्ग, भेलूपुर, कमच्छा, कबीरचौरा, जगतगंज, रामकटोरा, सुंदरपुर-खोजवा, पांडेयपुर चौराहा, पहडिय़ा और नाटी इमली आदि क्षेत्रों में भी ई-रिक्शा के बेतरतीब खड़े होने और संचालन से सुबह से लेकर रात तक जाम की स्थिति बनी रहती है। महीने दर महीने ई-रिक्शा का रजिस्ट्रेशन भी बढ़ता जा रहा है।

सब्जी, फल की दुकान और मजदूरी छोड़कर चला रहे ई-रिक्शा

यातायात पुलिस के अनुसार ई-रिक्शा चलाने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। पहले जो फल, सब्जी, चाट की दुकान लगाते थे या मजदूरी करते थे, वह भी अब ई-रिक्शा चला रहे हैं। कोई खुद का तो अधिकतर किराये पर लेकर चला रहे हैं। लंका के भगवानपुर समेत अन्य क्षेत्रों में रहने वाले एक व्यक्ति पांच से छह ई-रिक्शा खरीदकर उसे 500 से 1000 रुपये प्रति दिन किराये पर चलवा रहा है। दिन और रात में ई-रिक्शा चलाकर चालक 1500 से 2000 रुपये रोजाना कमा ले रहा है।

रजिस्ट्रेशन नंबर पर बांधते हैं चुनरी, कमांड सेंटर भी नहीं पकड़ पाता

अवैध ई-रिक्शा की शहर में इंट्री रोकने के लिए यातायात पुलिस सिटी कमांड सेंटर का भी सहारा लेती है। बेतरतीब तरीके से चलने वाले ई-रिक्शा वाले या तो अपने रजिस्ट्रेशन नंबर उतार देते हैं या फिर नंबर प्लेट पर चुनरी व रूमाल जैसा कपड़ा बांध देते हैं, जिससे उसकी पहचान भी न हो सके। गिरजाघर, नई सड़क, सोनारपुरा, कैंट रेलवे स्टेशन, सिटी स्टेशन के आसपास इनकी संख्या ज्यादा होती है।

ई-रिक्शा के रूट निर्धारण और तीन जोन में कलरकोड व्यवस्था को लेकर प्रारूप बन रहा है। इसे लेकर ई-रिक्शा, ऑटो यूनियन पदाधिकारियों संग बैठक भी हो गई है। क्यूआर कोड, स्टीकर मैटेरियल्स आदि मंगाए जा रहे हैं।

-राजेश कुमार पांडेय, एडीसीपी, यातायात

ट्रैफिक पुलिस से बातचीत चल रही है। रूट निर्धारित होने के बाद नगरीय सीमा क्षेत्र में ई-रिक्शा के लिए स्टैंड की जगह तय होगी। इसके लिए यूनियन के लोगों से भी बातचीत की जाएगी।

-दुष्यंत मौर्या, अपर नगर आयुक्त

यूनियन की यही मांग है कि ई-रिक्शा के लिए चार्जिंग स्टेशन, स्टैंड और रूट तय होना चाहिए। हैदराबाद की तरह चालकों को ट्रेनिंग भी देने की जरूरत है। सरकारी तंत्र से हर कोई डरता है। इसलिए ई-रिक्शा के लिए भी सिस्टम बनना चाहिए।

-प्रवीण काशी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, अखिल भारतीय ई-रिक्शा चालक यूनियन

Posted By: Inextlive