कैंट थाना क्षेत्र के फुलवरिया स्थित कोइलहवा पुल के नीचे वरुणा नदी में युवक का शव मिलने से हड़कम्प मच गया. उसकी पहचान मो. इरफान उर्फ बाबू के रूप में हुई. वह 11 जुलाई की रात से गायब था. मिर्जामुराद थाना क्षेत्र में कछवां के ठठरा गांव में शनिवार सुबह सड़क किनारे नाले में एक व्यक्ति का शव मिलने से सनसनी मची गई

वाराणसी (ब्यूरो)। कैंट थाना क्षेत्र के फुलवरिया स्थित कोइलहवा पुल के नीचे वरुणा नदी में युवक का शव मिलने से हड़कम्प मच गया। उसकी पहचान मो। इरफान उर्फ बाबू के रूप में हुई। वह 11 जुलाई की रात से गायब था। मिर्जामुराद थाना क्षेत्र में कछवां के ठठरा गांव में शनिवार सुबह सड़क किनारे नाले में एक व्यक्ति का शव मिलने से सनसनी मची गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने जांच पड़ताल में शुरू कर दी। दोपहर में रविंद्रपुरी लेन नंबर-6 के मोड के पास भी शव मिला। पुलिस ने पड़ताल शुरू कर दी। एक दिन में तीन शव मिलने से कमिश्नरेट पुलिस में हड़कम्प मच गया। स्थानीय थाना पुलिस तफ्तीश में जुटी है, लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि ये तीनों घटनाएं हत्या या सुसाइड है। लेकिन इन तीन घटनाओं से यह साफ है कि लापता व्यक्ति या युवक सही सलामत घर नहीं लौट रहे हैं। परिजनों की ओर से खोजने की कोशिश भी बेकार साबित हो रही है।

तत्काल एक्शन नहीं लेती पुलिस

वाराणसी कमिश्नरेट में क्राइम के साथ-साथ बच्चे, किशोरी, महिलाएं व वृद्धों के गुम होने की सूचनाएं आए दिन मिल रही हैं। गुम होने पर परिवार खुद तलाश करता है, साथ ही पुलिस को गुमशुदगी की सूचना देता है, लेकिन ऐसे मामलों में पुलिस की ओर से तत्काल गंभीरता से नहीं लिया जाता है। नतीजा एक, दो या तीन दिन के बाद उसके शव मिलने की सूचना मिलती है। अभी एक हफ्ते कैंट थाना क्षेत्र के राजा बाजार से एक किशोरी गायब हो गई थी। परिजनों ने पुलिस को सूचना दी, लेकिन पुलिस ने तत्परता नहीं दिखाई। दो दिन बाद काशीराज अपार्टमेंट की टंकी में किशोरी का शव मिला। सीसीटीवी के फुटेज से पता चला कि चचेरे भाई ने उसे अगवा किया था। पूछताछ में उसने बताया कि पहले उसने किशोरी से रेप किया। फिर उसकी हत्या कर दी। परिजनों का आरोप था कि अगर पुलिस ने त्वरित एक्शन लिया होता है तो उसकी बेटी आज जिंदा होती है।

छह महीने में दो सौ गुमशुदगी

जनवरी से जून तक वाराणसी कमिश्नरेट के सभी थानों में 200 से अधिक गुमशुदगी दर्ज हुई है। बच्चों या आदि के लापता होने या अपहरण के मामले की जांच पुलिस गंभीरता नहीं दिखा पा रही है। बच्चों के लापता होने या अपहरण के मामले की जांच पुलिस गंभीरता से करे तो उन्हें कुछ ही घंटों में खोजा जा सकता है। पुलिस की लचर कार्य प्रणाली के चलते शुरुआती 20 से 30 घंटे तक इस तरह के मामले को गंभीरता से नहीं लिया जाता।

गुमशुदगी दर्ज ड्यूटी पूरा मान लेती है पुलिस

थाना के रजिस्टर में संबंधित बच्चे की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस अपनी ड्यूटी पूरा होना मान लेती है। गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज होने के करीब 10 से 15 घंटे के बाद बच्चे की रिपोर्ट और फोटो को डीसीआरबी (डिस्ट्रिक्ट क्राइम रिपोर्ट ब्यूरो) में भेज कर इसे संबंधित साइट पर अपलोड किया जाता है। इस दौरान पुलिस या थाने से आसपास की चौकी या जनपद के अन्य थानों को वायरलेस पर कोई सूचना नहीं दी जाती है। जानकारों की मानें तो पुलिस को किसी भी बच्चे के लापता या अपहरण होने की स्थिति में तुरंत वायरलेस सेट पर उसकी सूचना जनपद की पुलिस के साथ आसपास के जिले, बस स्टैड और रेलवे स्टेशन पर करनी चाहिए। इतना ही नहीं लापता होने के कुछ घंटों के भीतर सार्वजनिक स्थानों पर पुलिस को लापता बच्चे के पोस्टर या फोटो चस्पा भी कराने चाहिए, लेकिन कागजों में तो पुलिस यह सभी कार्रवाई पूरी कर लेती है। लेकिन कुछ ही परिजन इतने जागरूक होते है जो अपने स्तर से सार्वजनिक स्थान पर लापता बच्चे का पोस्टर या फोटो चस्पा करते हैं।

कई बार मौके पर नहीं पहुंचती पुलिस

किसी भी थाना क्षेत्र से बच्चे के लापता या किडनैप होने की स्थिति में पीडि़त स्थानीय पुलिस या डायल-112 पर फोन कर घटना की जानकारी देता है। अधिकतर मामलों में पुलिस मौके पर नहीं पहुंचती। पीडि़त खुद स्वयं ही थाना या चौकी पहुंचते हैं और शिकायत देते हंै।

Posted By: Inextlive