मान्यता है कि पिशाच मोचन कुंड पर पितरों का श्राद्ध करने से उन्हें निम्न योनियों से मुक्ति मिलती है और उद्धार होता है. इससे पितर प्रसन्न होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं. इस मान्यता के चलते देश-दुनिया के तमाम हिस्सों से सनातनी श्रद्धालु पहुंच रहे हैं.

वाराणसी (ब्यूरो)। पितरों को प्रसन्न कर उनक आशीर्वाद पाने के लिए पितृपक्ष में गुरुवार को श्रद्धालुओं ने द्वितीया का श्राद्ध किया। जिन लोगों के पूर्वजों का निधन किसी भी मास की द्वितीया तिथि को हुआ था, वे गंगा तट के घाटों के पास पहुंचे, तो बहुत से लोग पिशाच मोचन कुंड पर। वहां उन्होंने चौल कर्म करा, अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति व मोक्ष की कामना लेकर तर्पण-अर्पण करते हुए ङ्क्षपडदान किया।

मान्यता है कि पिशाच मोचन कुंड पर पितरों का श्राद्ध करने से उन्हें निम्न योनियों से मुक्ति मिलती है और उद्धार होता है। इससे पितर प्रसन्न होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। इस मान्यता के चलते देश-दुनिया के तमाम हिस्सों से सनातनी श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। उधर गंगा घाटों के डूब जाने से श्रद्धालु घाटों के पास की गलियों में व सड़कों के किनारे ही ङ्क्षपडदान व तर्पण-अर्पण कर मां गंगा से पुरखों के उद्धार की कामना कर रहे हैं।

Posted By: Inextlive