Varanasi news: विश्व प्रसिद्ध नाटी इमली भरत मिलाप में उमड़ा जनसैलाब, चारों भाइयों का मिलन देख हर आंख भर आयी
वाराणसी (ब्यूरो)। काशी का नाटी इमली का मैदान एक बार फिर चारों भाईयों के मिलन का साक्षी बन गया। शाम 4:40 बजे जैसे ही भगवान श्रीराम ने भरत को अपने गले से लगाया तो असंख्य भक्तों की आंखें डबडबा गयी। इस अद्भुत, अविस्मरणी, अनुपम पलों को आंखों में समेटने के लिए भक्तों का हुजूम दोपहर एक बजे से ही इंतजार में रहा।
481 साल की परंपराकाशी के लक्खा मेले में शुमार नाटी इमली के भरत मिलाप में आस्था और श्रद्धा का कोई ओर-छोर नहीं था। हर तरफ बस राम का नाम और उनका जयघोष। आसपास के मकानों की छतों पर श्रद्धालु टकटकी लगाए प्रभु श्रीराम की लीला का वंदन करने में मगन रहे। काशी की 481 साल से भी ज्यादा पुरानी विश्व प्रसिद्ध नाटी इमली के भरत मिलाप का मंचन रविवार को गोधूलि बेला में निभाई गयी। इस अद्भुत क्षण को देखने के लिए आस्था का सागर उमड़ पड़ा। चारों भाइयों का मिलन देख पूरी जनता भगवान राम और बाबा भोलेनाथ के जयकारे लगाने लगी।
हर मकान, घर भक्तों से पटा रहाप्रभु श्रीराम और भरत का मिलन देखने के लिए नाटी इमली का मैदान अयोध्या में तब्दील हो गया था। क्या छत, गली, सड़क हर ओर भक्त अलौकिक छठा को नयनों में बसाने के लिए आतुर रहे। कोई कंधे पर अपने बच्चे को बैठाए तो कोई गोद में लिए बच्चों को नाटी इमली के मैदान में पहुंच गया। आस्था तो इतनी रही की रति भर जगह कम पड़ गयी। भक्तों की खचाखच भीड़ से पूरा मैदान भरा रहा।
चारों भाइयों का पूजन गोधुली बेला में विधि-विधान के साथ भगवान राम, भरत, लक्ष्मन, शत्रुघ्न का पूजन किया गया और फिर भरत मिलाप की पारंपरिक लीला संपन्न हुई। चबूतरे पर राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का मिलन होता है, वहां पर एक तय समय पर सूरज की किरणें पड़ती हैं। इस खास समय पर चारों भाई एक-दूसरे की तरफ दौड़ते हैं और उनको गले लगा लेते है। ये बहुत ही भव्य दृश्य होता, जिसको देखकर वहां पर मौजूद लोगों की आंखें नम हो जाती हैं। कुंवर अनंत नारायण सिंह भी बने साक्षी चारों भाइयों के मिलन साक्षी काशी राज परिवार के कुवंर अनंत नारायण सिंह भी साक्षी बने। उन्होंने हाथी पर सवार होकर इलाके का भ्रमण किया। जैसे ही वह नाटी इमली के मैदान पहुंचे उनके जय-जयकार से पूरा मैदान गूंज उठा। पालकी उठाने की होड़प्रभु श्रीराम की पालकी उठाने के लिए यादव बंधुओं में होड़ मची रही। सिर पर गुलाबी साफा बांधे और सफेद धोती पहने यादव बंधुओं का दल लगातार चक्रमण करते रहे। वहीं मैदान में एक हाथ में गुलाब की पंखुडिय़ा तो दूसरे हाथ में तुलसी दल लिए भक्तों का हुजूम प्रभु श्रीराम के मिलन का इंतजार करते रहे। जैसे ही प्रभु श्रीराम दौड़कर भरत को गले लगाते है पुष्पवर्षा से पूरा मैदान महक उठता है।