यह तीन सीन बताने के लिए काफी हैं कि वाराणसी का भी हाल दिल्ली के राजेंद्र नगर एरिया जैसा है. दिल्ली के राजेंद्र नगर एरिया में कोचिंग सेंटर की बिल्डिंग के बेसमेंट में हुए दर्दनाक हादसे जैसी तस्वीर वाराणसी में कभी भी सामने आ सकती है

सीन 1

वाराणसी (ब्यूरो)। दालमंडी में एक दो नहीं बल्कि कई दुकानें ऐसी हैं, जो बेसमेंट में चल रही हैं। इनमें शूज, साज-सज्जा, प्लास्टिक के खिलौनों से लेकर मेहंदी आर्टिफिशियल ज्वेलरी की दुकानें हैं। इन दुकानदारों की सेफ्टी के लिए कहीं भी फायर सेफ्टी का इंतजाम नहीं है। बेसमेंट में जाने के लिए एक सीढ़ी बनाई गई है। इसी सीढ़ी से एंट्री और निकासी दोनोंं है। अगर कोई घटना हो जाए तो कई लोग हादसे का शिकार हो सकते हैं।

सीन 2

पूर्वांचल की थोक दवा मंडी सप्तसागर में तारों का जंजाल फैला है। यहां एक महीने में एक दो नहीं बल्कि चार घटनाएं आगजनी की हो चुकी हैं। तारों के आपस में टकराने से चिंगारी से कई बार आग लगा चुकी है। इसके बाद भी आज तक तारों के जंजाल को हटाया नहीं गया। यहां भी आधे मंडी में अधिक दुकानें बेसमेंट में चल रही हैं। फायर सेफ्टी के इंतजाम गायब हैं। निकासी के लिए भी एक एंट्री प्वाइंट है।

सीन 3

गौदोलिया से सोनारपुरा की ओर आगे बढ़ेंगे तो जितने भी होटल और लॉज बने हैं। सभी के बेसमेंट में रेस्टोरेंट और कैफे हाउस चल रहे हैं। इन रेस्टोरेंट और भोजनालय में प्रतिदिन हजारों की संख्या में यात्री आते हैं, लेकिन इनकी बेसमेंट में जाने के लिए एक ही सीढ़ी है। इसी सीढ़ी से यात्री जाते हैं। निकासी के लिए कोई द्वार नहीं है। सबसे बड़ी बात यह है कि बेसमेंट में कहीं भी फायर सेफ्टी के इंतजाम नहीं दिखे।

यह तीन सीन बताने के लिए काफी हैं कि वाराणसी का भी हाल दिल्ली के राजेंद्र नगर एरिया जैसा है। दिल्ली के राजेंद्र नगर एरिया में कोचिंग सेंटर की बिल्डिंग के बेसमेंट में हुए दर्दनाक हादसे जैसी तस्वीर वाराणसी में कभी भी सामने आ सकती है। वाराणसी में 40 परसेंट कॉमर्शियल बिल्डिंग ऐसी हैं, जिसके बेसमेंट में हर तरह का कारोबार होता है। दवा मंडी, दालमंडी कोचिंग संस्थाएं, रेस्टोरेंट, पैथोलॉजी, मोबाइल की शॉप, इलेक्ट्रानिक गुडस की शॉप्स, कैफे हाउस, बीयर शॉप, होटल आदि शामिल हैं। दालमंडी, हड़हा सराय, पीलीकोठी, मदनपुरा, दुर्गाकुड, अर्दली बाजर, शिवपुर, विशेश्वरगंज समेत शहर के कई मॉल्स और होटल्स में जाकर देखेंगे तो हाल और बुरे मिलेंगे। 20 फीट नीचे बने बेसमेंट में केबिल और इलेक्ट्रानिक तारों का जंजाल फैला हुआ है। अगर कोई हादसा हो जाए तो बचकर निकलना मुश्किल है। हैरान करने वाली बात है कि दिल्ली में घटना होने के बाद भी यहां के विभागीय अधिकारी सीरियस नहीं हैं।

दालमंडी में रातों रात बन गया था बेसमेंट

वाराणसी विकास प्राधिकरण ने पिछले दिनों अभियान चलाकर शहर में बने कॉमर्शियल प्रतिष्ठान, मॉल, होटल्स, लॉज, कोचिंग संस्थाएं और हास्पिटलों की जांच की थी तो 10 हजार संस्थाओं में छोटे बड़े बेसमेंट मिले थे। इनमें दालमंडी शामिल नहीं था। वहीं, अग्निशमन विभाग के सीएफओ आनंद सिंह राजपूत का कहना है कि किसी भी कोचिंग संचालक के पास एनओसी नहीं है। बेसमेंट में चल रही दुकानों के पास फायर सेफ्टी के इंतजाम नहीं हैं। न ही दुकानदारों ने एनओसी के लिए डिमांड की।

इस तरह की लापरवाही

- कोचिंग संचालकों के पास एनओसी नहीं।

- बेसमेंट में चल रहे पैथालॉजी के पास एनओसी नहीं।

- दालमंडी के बेसमेंट में चल रहे दुकानों में से आवाजाही के लिए एक ही निकास।

- लंका और दुर्गाकुंड के बेसमेंट में चल रहे कमरों में भी एक ही निकास द्वार।

- जगह-जगह लटके है बिजली और केबल के तार।

- आग से बचाव के लिए फायर फाइटिंग के इक्विपमेंट नहीं।

सिटी में नालों का जाल

बड़े नाले - 60

मझोले नाले - 301

नालियां- 800

टोटल नाले- 800

कोचिंग संस्थाओं के अलावा जो भी संस्थाएं अपनी दुकानें बेसमेंट में चला रही हैं। उनके खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। डिपार्टमेंट के अधिकारी जाकर उनको सुझाव दे रहे हैं।

आनंद सिंह राजपूत, सीएफओ

शहर में 10 हजार से अधिक बेसमेंट हंै। आगे अभियान चलाकर कितने के पास नक्शा हैं। कितने के पास नही है। इसकी जांच की जाएगी।

पुलकित गर्ग, उपाध्यक्ष, वीडीए

1. दालमंडी पूर्वांचल की सबसे बड़ी मंडी है। यहां आर्टिफिशियल ज्वेलरी से लेकर सभी तरह के आइटम मिलते हैं।

2. सप्तसागर दवा मंडी पूर्वांचल के एकामात्र दवा मंडी है। यहां बेसमेंट में कारोबार होता है। थोक में दवाओं की सप्लाई होती है।

3. सोनारपुरा एरिया होटला और लॉज का हब बन गया है। सोनारपुरा से लेकर अस्सी घाट तक कई होटल और लॉज है।

दुर्गाकुंड कबीर नगर एरिया में कई कोचिंग संस्थान हैं, जहां बच्चों की पढ़ाई बेसमेंट में होती है।

2018 में दालमंडी में रातोंरात 20 फीट में बेसमेंट बना गया था। मिनी बाजार बसाने की नीयत से बेसमेंट बनाया गया था। अधिकारियों को जब इसकी भनक लगी तो होश ही उड़ गए। बाद में बेसमेंट को वीडीए के अफसरों ने सील कर दिया। पूरे इलाके में बेसमेंट के नाम पर पूरा बाजार बसा दिया गया था। आज भी दालमंडी में एक दूसरे से बेसमेंट ऐसे जुड़े हैं, मानो कोई सुरंग हो। आज भी दालमंडी और हड़हा सराय में अरबों का कारोबार बेसमेंट में ही चलता है।

नामचीन कोचिंग सेंटर बेसमेंट में

ताज्जुब करने वाली बात नहीं है। दिल्ली की तर्ज पर वाराणसी में कई कोचिंग संस्थाएं ऐसी हैं, जो बेसमेंट में ही संचालित हो रही है। एक दो स्टूडेंटस नहीं बल्कि 20 से 30 स्टूडेंटस एक साथ बैठकर पढ़ाई करते हैं। इनमें दुर्गाकुंड, सामनेघाट, लंका, सुंदरपुर, अर्दली बाजार और शिवपुर शामिल है। दुर्गाकुंड तो कोचिंग संस्थाओं का हब है।

सेफ्टी के इंतजाम नहीं

सोनारपुरा में जितने भी होटल और लॉज हैं। कहीं भी सेफ्टी के इंतजाम नहीं हैं। बेसमेंट रेस्टोरेंट, साड़ी की दुकान के अलावा आर्टिफिशियल ज्वेलरी और बर्तन की दुकान धड़ल्ले से चल रही हैं। दुर्गाकुंड क्षेत्र में जितने भी नामी कोचिंग संचालक हैं। किसी के यहां भी सेफ्टी के इंतजाम नहीं हैं। न तो फायर एस्टिंग्विशर हैं और न ही पार्किंग की व्यवस्था। स्टूडेंटस जहां-जहां साइकिल और स्कूटी की पार्किंग कर क्लास में चले जाते हैं। गुरुधाम स्थित मॉल में रेस्टोरेंट भी संचालित होता है।

आज तक नहीं जांच

सबसे बड़ी बात है कि शहर में मॉल, रेस्तरा हो या फिर होटल या फिर कटरा बनाते समय वीडीए यह जांच नहीं करता है कि बेसमेंट बना रहे हैं तो सेफ्टी का इंतजाम किया गया है या नहीं। अगर वीडीए सख्ती से अभियान चलाकर जांच कर दें तो कई कोचिंग सेंटरों के अलावा मॉल संचालकों की पोल खुल जाए।

इमरजेंसी निकासी के द्वार नहीं

90 परसेंट कोचिंग संस्थाओं के यहां इमरजेंसी निकासी के द्वार नहीं हैं। कई मॉल और होटल्स में बेसमेंट हैं। वहां पर भी एक ही एंट्री प्वाइंट है। अगर कोई हादसा हो जाए तो निकासी के लिए कोई दूसरा द्वार नहीं है।

10 हजार बेसमेंट

Posted By: Inextlive