varanasi news : टारगेट पर बड़े अकाउंट, एफबी से बनाते निशाना, साइबर पुलिस सतर्क
वाराणसी (ब्यूरो)। सोशल मीडिया और साइबर टेक्नोलॉजी में एक छोटी-सी चूक आपकी जेब को चपत लगा सकती है। लाइक और कमेंट आने के चक्कर में अक्सर लोग फेसबुक पर लोकेशन, स्टेटस, प्रोफाइल, रिलेशन, पर्सनल डिटेल शेयर करते हैं, जो किसी भी समय मुसीबत में डाल सकता है। साइबर क्रिमिनल सोशल मीडिया पर लगातार मॉनिटरिंग कर रहे हैं और डिजिटल अरेस्ट के लिए ऐसे अफसरों और प्रोफेशनल को निशाना बना रहे हैं, जिनके खाते में अच्छी रकम रहती है। हालांकि, कमिश्नरेट पुलिस साइबर ठगी को लेकर लोगों को सतर्क करती रहती है।
फेसबुक से लोकेशन कर देते हैं लाइवडिजिटल युग में सोशल मीडिया पर लोगों की रिच ज्यादा हो गई है। अब कुछ कहना और बताना होता है तो लोग फेसबुक का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। फैमिली के कितने मेंबर, किससे क्या रिश्ता, क्या नाम, ट्रेवेल लोकेशन, बर्थ-डे पार्टी, मैरेज एनवर्सी समेत हर मूवमेंट की फोटो फेसबुक पर अपलोड किया जाता है, लेकिन जानकारी के अभाव व जल्दीबाजी में फेसबुक के प्राइवेसी फीचर्स को नजरअंदाज कर देते हैं। लाइक और कमेंट आने के चक्कर में लोग जानबूझ कर पब्लिक पोस्ट डाल देते हैं। लोगों की हर पोस्ट पर साइबर क्रिमिनल की नजर है। साइबर क्रिमिनल ऐसी प्रोफाइल को मॉनिटर करते रहते हैं, जो हाई प्रोफाइल और पैसे वाले होते हैं। साइबर क्रिमिनल्स वहां से उनकी डिटेल निकाल लेते हैं।
लोकल लड़के उपलब्ध कराते हैं नंबर फेसबुक पर पैसे वाले व्यक्ति का चयन करने के बाद साइबर क्रिमिनल मोबाइल नंबर के लिए आधार कार्ड या साइबर ठग गैंग में शामिल लोकल लड़कों से मोबाइल नंबर कलेक्ट कराया जाता है। मोबाइल नंबर मिलते ही डिजिटल अरेस्ट का खेल शुरू होता है। नंबर लेने के लिए फेक प्रोफाइल क्रिएट कर दोस्ती करते हैं और नंबर मांग लिया जाता है। पब्लिक सिटी के चक्कर में लोग दे भी देते हैं। ये हैं बचाव 1- अपने सोशल मीडिया अकाउंट का प्रोफाइल लॉक रखें. 2- अपनी व्यक्तिगत जानकारी, पारिवारिक पिक्चर्स, हॉली-डे ट्रिप सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट ना करें। यदि पोस्ट करते भी हैं तो प्राइवेसी का ध्यान रखें, ऑनली फ्रेंड्स की ही प्राइवेसी पर पोस्ट डालें, जिससे कि आपकी पोस्ट केवल आपके दोस्त ही देख पाएं. 3- अपने प्रोफाइल में टू स्टेप वेरीफिकेशन एक्टिवेट करके रखें.4- अगर कोई अनजान व्यक्ति आपको को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज रहा है तो एक बार उसके बारे में फेसबुक पर भी सर्च कर लें। फ्रेंड लिस्ट में कितने लोग हैं, कोई आपका परिचित हो तो ही उससे दोस्ती करें। नहीं हो उसे रिजेक्ट कर दें।
एप को परमिशन न दें एप इंस्टाल करते वक्त हम सभी सेटिंग्स को अलाऊ कर देते हैं। ऐसा करने से हमारा सभी डेटा कंपनी के पास चला जाता है। ऐसे में सिर्फ उन्हीं को परमिशन दें, जिनको आप जरूरी समझते हैं और काम पूरा होने के बाद उसे डिनाय कर दें. शेयर ना करें अपनी डिवाइस लैपटॉप, फोन और टैबलेट जैसे मोबाइल उपकरणों ने पर्सनल कंप्यूटर की सोच में नया अर्थ जोड़ दिया है। बच्चे अक्सर तस्वीरें दिखाते समय, मोबाइल वीडियो गेम खेलते समय या फिर रील्स पर कुछ चेक करते समय अपने डिवाइस को दोस्तों के साथ शेयर कर देते हैं। अगर ऐसा होता भी है तो यह हमेशा उनकी देखरेख में ही किया जाना चाहिए। नहीं तो हो सकता है कि कोई आपकी पर्सनल तस्वीरें किसी और के साथ शेयर कर दें डरने की कोई जरूरत नहींसाइबर थाना में तैनात एक्सपर्ट श्यामलाल गुप्ता बताते हैं कि अगर कोई आपको पुलिस या सीबीआई अधिकारी बनकर झूठे केस में फंसाने या डिजिटल तौर पर गिरफ्तार करने की धमकी देता है, तो बिल्कुल भी घबराने की जरूरत नहीं है। आपने ऐसा कुछ नहीं किया है, जिसके लिए आपको गिरफ्तार किया जाए। ऐसी स्थिति में सबसे पहले आपको अपने परिवार के सदस्यों या दोस्तों को सूचना दें। इसके बाद तत्काल नजदीक के पुलिस स्टेशन जाकर इसकी शिकायत करें। इस बात से नहीं डरने की कोई जरूरत नहीं है कि पुलिस आपके खिलाफ कोई एक्शन लेगी। क्योंकि आपने ऐसा कुछ नहीं किया हे, तो डरने की जरूरत नहीं हैं, क्योंकि डर को ही ठग अपना हथियार बनाते हैं। कोई भी एजेंसी या तो नोटिस जारी करती है, आपके घर या कार्यालय आती है या फिर आपको पूछताछ के लिए बुलाती है। डिजिटल अरेस्ट करने का कोई प्रविधान नहीं है।
सोशल मीडिया पर साइबर क्रिमिनल सक्रिय है। वे लगातार मानिटरिंग कर रहते हैं। ऐसे में फेसबुक या अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर व्यक्तिगत जानकारी, पारिवारिक पिक्चर्स, हॉली-डे ट्रिप सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट ना करें यदि पोस्ट करते भी हैं तो प्राइवेसी का ध्यान रखें। यह साइबर ठगी से बचने का सबसे सही और आसान तरीका है। - सरवनन टी, एडीसीपी, साइबर क्राइम इन्हें बनाया निशाना1. सिगरा एरिया का रिटायर्ड शिक्षिका शम्पा रक्षित से 3 करोड़ 55 लाख की साइबर ठगी की गई। पुलिस ने इस मामले में गैंग के अन्तर्राष्ट्रीय सरगना टाइगर व उसके साथियों को गिरफ्तार किया।
2. पूर्वांचल के बाहुबली पूर्व एमएलसी बृजेश सिंह के पुत्र सिद्धार्थ सिंह के साथ एक नामचीन पेंट कम्पनी के डीलरशिप के नाम पर 11 लाख से अधिक की ठगी हुई थी। पीडि़त सिद्धार्थ ने साइबर क्राइम थाने में लिखित शिकायत दी थी। 3. चितईपुर के सुसुवाही निवासी बिजनेसमैन राम नरेश सिंह को साइबर क्राइम मुंबई के नाम पर धमकाकर 10.47 लाख रुपए की धोखाधड़ी की गई। 4. बीएचयू के सांख्यिकी विभाग में सीनियर टेक्निकल असिस्टेंट डॉ। राम सागर यादव ने शिकायत की कि वाट्सएप नंबर के माध्यम से खुद को एक कंपनी का एचआर विभाग का बताकर कंपनी का प्रचार-प्रसार करने पर भुगतान करने, टास्क व अन्य टैक्स के नाम पर करीब 11 लाख की धोखाधड़ी की गई. फैक्ट फीगर 12 साइबर क्राइम की घटनाएं डेली आती हैं 355 ठगी के मामले इस साल आए हैैं 3 करोड़ रुपए से अधिक का हुआ फ्र ॉड