Varanasi news: बनारसः हर 32 घंटे में सुसाइड, डेथ सर्किल बना भेलूपुर
वाराणसी (ब्यूरो)। सारनाथ में युवती ने शादी से इनकार किया तो सोमवार सुबह युवक ने ट्रेन के आगे कूदकर जान दे दी। युवक की पहचान चौबेपुर थाना क्षेत्र के मुस्काबाद निवासी चुनमुन राजभर के रूप में हुई। वह मुंबई में काम करता था। चार दिन पहले ही नाना के घर आया था। मामा ने बताया कि चुनमुन की शादी अकथा की रहने वाली लड़की से दीपावली के समय शादी तय थी। लड़की ने शादी करने से मना कर दिया। इसकी वजह से वह अवसाद में आ गया। बार-बार वह उसी लड़की से शादी करने के लिए कहता था। वाराणसी में हर 32 घंटे में सुसाइड की एक घटना सामने आ रही है। खास यह कि सुसाइड की घटनाओं को रोकने या फिर लोगों को इसके बारे में बताने, जागरूक करने के लिए न कोई संगठन सामने आता है, न ही कोई मंच है। सुसाइड की वजह का अध्ययन करने पर चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। प्रेम या किसी अपने लोगों से धोखा खाने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है। इसमें लड़कियों की अपेक्षा युवक ज्यादा हैं, जो प्यार में धोखा खाने के बाद सुसाइड कर ले रहे हैं।
भेलूपुर सर्किल में सर्वाधिक 89 घटनाएंवाराणसी में जनवरी से अक्तूबर तक 224 लोगों ने सुसाइड किया है। सर्किलवार देखें तो सुसाइड की सबसे अधिक 89 घटनाएं भेलूपुर में हुई हैं। इसके अलावा राजातालाब में 27, चेतगंज और सारनाथ सर्किल में 22-23, कैंट में 21, रोहनिया में 13, पिंडरा और दशाश्वमेध सर्किल में 7-7 घटनाएं हुई हैं। सुसाइड के अलावा क्राइम भी भेलूपुर सर्किल में होती है। 15 दिन पहले भदैनी में दिल दहला देने वाली घटना हुई थी। यंगस्टर्स भतीजे ने एक साथ ही परिवार के पांच लोगों की हत्या कर दी। घटना के बाद वह फरार है। उसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस की टीम लगातार दबिश दे रही है, लेकिन अभी तक वह हाथ में नहीं आया।
काशी जोन में सर्वाधिक सुसाइडवाराणसी कमिश्नरेट के विभिन्न थाना एरिया में वर्ष 2022 में 157 सुसाइड की घटनाएं हुई हैं। वर्ष 2023 में करीब 183 लोगों ने मौत को गले लगाया। इसी तरह जनवरी से अक्टूबर 2024 तक 224 लोगों ने सुसाइड किया है। इसमें भी सर्वाधिक संख्या यंगस्टर्स की है। इसमें 44 फीसद सुसाइड काशी जोन, 38 फीसद वरुणा जोन और गोमती जोन में 18 फीसद घटनाएं शामिल हैं। सुसाइड करने वालों में सबसे अधिक पुरुष हैं। दस महीनों में 148 पुरुषों ने, जबकि 76 महिलाओं ने सुसाइड किया है। इसमें 203 लोगों ने फंासी लगाकर जान दी है।
तनाव में एलीट क्लास मनोचिकित्सक डॉ। रवींद्र कुशवाह ने बताया, एलीट क्लास और एजुकेटेड लोगों को भी आम लोगों की तरह ही निराशा घेरती है। वो अवसाद में आते हैैं और उन्हें भी तनाव परेशान करता है। जब वो ये सब झेल नहीं पाते तो जिंदगी खत्म करने का रास्ता चुनते हैं। आज के समय में देखा जाए तो पढ़े-लिखे लोग भी अपनों से धोखा खाने के चलते सुसाइड कर रहे हैं। कई मामलों में अनचाहा अकस्मात परिवर्तन, किसी अपने का चले जाना भी वजह सामने आई है। हालांकि, उन्हें ये समझने की जरूरत है कि सुसाइड ही हल नहीं है। उनके पास रहने के अनेकों रास्ते हैं, पर डिप्रेशन में वो कुछ भी सोचने समझने की क्षमता को खो देते हैं। काउंसलिंग के लिए 90 परसेंट केस 18 से लेकर 35 साल तक की उम्र के युवाओं के आते हैं। ----- डिप्रेशन के लक्षण - छोटी-छोटी बातों पर अधिक गुस्सा आना। - नींद न आना। - अधिक नकारात्मक विचार आना। - अकेले रहने का मन करना। - थकान और कमजोरी महसूस करना। - चिड़चिड़ापन रहना। - आत्मविश्वास की कमी। -------- ऐसे बचें डिप्रेशन से- रात को समय से सोएं।
आज के दौर में युवाओं में डिप्रेशन की समस्या सबसे ज्यादा है, जिसके चलते वह गलत कदम भी उठा रहे हैं। लगातार काउंसलिंग करके लोगों की समस्या को हल किया जा रहा है। हर वर्ग के लोग सुसाइड का रास्ता अपना रहे हैं। जो संपन्न लोग हैं वह अकेलेपन का शिकार हैं। जो युवा हैं वह अपने करियर को लेकर चिंता में हैं। जो चिंता उन्हें अंदर ही अंदर खोखला कर रही है। इसी के चलते लोग लगातार सुसाइड कर रहे हैं। - ममता रानी, एडीसीपी- लोगों के साथ वक्त बिताएं।
- अपने पसंदीदा कामों को करें। - खुद को शारीरिक रूप से सक्रिय रखें। - मेडिटेशन करें। - डिप्रेशन के लक्षण दिखने पर डॉक्टर से मिलें। -------- एक नजर में सुसाइड 2022 ---- 157 2023 ----- 183 2024 --- 224 (नोट: 2024 में सुसाइड के आंकड़े एक जनवरी से 31 अक्टूबर 2024 तक के हैं.) इस तरह के लोग मानसिक तौर से काफी अस्वस्थ होते हैं। निजी जीवन में असफलता, प्यार में धोखा या अन्य पारिवारिक वजह से अक्सर टेंशन में रहते हैं। सोशल मीडिया और डिजिटल युग के चलते लाइफ में बहुत बड़ा चेंज आ गया है। इससे यंगस्टर्स ज्यादा तनाव में हैं। हालांकि जब भी कोई अवसाद में जाता है, उसके लक्षण स्वाभाविक रूप से दिखने लगते हैं। इसमें हुलिया बदलना, खाना कम खाना, दिनचर्या में बदलाव, देर तक सोना, देर से सोना, अपना काम भी समय से नहीं करना, स्नान नहीं करना, अंधेरे में रहना, बात बात में भावुक हो जाना। - डॉ। रवींद्र कुशवाहा, मनोचिकित्सक