एफआईआर दर्ज के लिए अब थाने में जाने की जरूरत नहीं है. वाराणसी में आप वाट्सएप टेलीग्राम या अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भी घर बैठे एफआईआर दर्ज करा सकेंगे. इसी तरह अब थाने से यह कहकर भी आपको कोई टरका नहीं सकेगा कि संबंधित थाने में जाकर एफआईआर दर्ज कराएं

वाराणसी (ब्यूरो)। एफआईआर दर्ज के लिए अब थाने में जाने की जरूरत नहीं है। वाराणसी में आप वाट्सएप, टेलीग्राम या अन्य इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से भी घर बैठे एफआईआर दर्ज करा सकेंगे। इसी तरह अब थाने से यह कहकर भी आपको कोई टरका नहीं सकेगा कि संबंधित थाने में जाकर एफआईआर दर्ज कराएं। नए कानून में जीरो एफआईआर का प्रावधान जोड़कर क्षेत्राधिकार की चिंता किए बिना किसी भी थाने में रिपोर्ट दर्ज करवा सकेंगे। एक जुलाई को शिकायत करने का नंबर जारी किया जाएगा, जिसमें लोग वाट्सएप और टेलीग्राम से अपनी एफआईआर दर्ज करा सकते हैं।

कई स्पष्ट प्रावधान

1 जुलाई से भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (आईईए) की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) ले लेंगे। अब एफआईआर को लेकर कई स्पष्ट प्रावधान किए गए हैं तो कुछ पुराने प्रावधानों को भी मजबूत बनाया गया है।

जेल में भीड़ होगी कम

पहली बार 'कम्युनिटी सर्विसÓ को दंड के रूप में बीएनएस की धारा 4 में शामिल किया गया है, ताकि जेलों की भीड़ कम हो। इसमें 6 छोटे अपराधों के लिए प्रावधान किया गया है, जैसे 5 हजार रुपए तक की चोरी में वस्तु लौटा देने पर, शराबी व्यक्ति द्वारा सार्वजनिक स्थानों में उत्पात करना शामिल है।

ये हैं प्रमुख प्रावधान

जीरो नंबरी एफआईआर : अपराध के लिए देश में कहीं भी एफआईआर दर्ज हो सकेगी। वह एफआईआर संबंधित थाने में ट्रांसफर हो जाएगी और वहां उस एफआईआर को नंबर मिल जाएगा।

मौखिक भी दे सकते सूचना : संज्ञेय अपराध में थाने में मौखिक रूप से या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से दी गई सूचना के आधार पर एफआईआर दर्ज हो सकेगी।

ई-एफआईआर : वाट्सएप-टेलीग्राम सहित किसी भीे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से एफआईआर दर्ज हो सकेगी, जिसको लेकर ऑनलाइन दर्ज कराने के बाद तीन दिन के भीतर प्रार्थी को संबंधित थाने में उपस्थित होकर हस्ताक्षर करने होंगे।

एसपी कार्यालय में भी एफआईआर : थाने में एफआईआर दर्ज नहीं होने पर पहले की तरह ही पुलिस अधीक्षक कार्यालय में एफआईआर दी जा सकेगी।

कोर्ट के जरिए एफआईआर : पुलिस के एफआईआर दर्ज नहीं करने पर कोर्ट के माध्यम से एफआईआर का प्रावधान पहले की तरह ही रखा गया है।

एफआईआर से पहले पीई : 3 से 7 साल तक की सजा वाले अपराधों में पुलिस डीवाईएसपी की मंजूरी के बाद उसे जांच के लिए भी रख सकती है, लेकिन पुलिस के स्तर पर एफआईआर के बारे में 14 दिन में निर्णय करना होगा।

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पीडि़त को 90 दिन के भीतर मुकदमे की प्रगति जानने का अधिकार

एडीसीपी महिला अपराध ममता रानी ने बताया कि नए कानूनों में महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराधों की जांच को प्राथमिकता दी गई है। दुष्कर्म व पाक्सो एक्ट के मामलों में जांच दो माह के भीतर पूरी करने की व्यवस्था की गई है। नए कानून के तहत पीडि़त को 90 दिन के भीतर अपने मामले की प्रगति पर नियमित रूप से जानकारी पाने का अधिकार होगा। इसके अलावा तलाशी अथवा जब्ती की प्रक्रिया के दौरान वीडियोग्राफी कराना अनिवार्य होगा। सात वर्ष अथवा उससे अधिक की सजा वाले अपराधों में वैज्ञानिक साक्ष्य जुटाने के लिए फारेंसिक विशेषज्ञ को घटनास्थल पर जाना अनिवार्य होगा। हालांकि इस व्यवस्था को लागू करने के लिए पांच वर्ष की सीमा निर्धारित की गई है।

एक जुलाई को ऑनलाइन शिकायत करने का नंबर जारी किया जाएगा, जिसमें लोग वाट्सएप और टेलीग्राम से अपनी एफआईआर दर्ज करा सकते हैं।

-ममता रानी, एडीसीपी, महिला अपराध

Posted By: Inextlive