गुफानुमा प्रवेश द्वार दोनों तरफ सांप बिच्छू पशु-पक्षियों की आकृतियां जहां भयावहता का आभास करा रही थीं वहीं अंदर प्रवेश करते ही कामिनी व अशोक की पत्तियों महमह करते गेंदा गुलाब बेला के पुष्पों व उनकी मालाओं तथा फलों से अद्भुत सजा परिसर अपूर्व आनंद व उल्लास से भर दे रहा था

वाराणसी (ब्यूरो)। गुफानुमा प्रवेश द्वार, दोनों तरफ सांप, बिच्छू, पशु-पक्षियों की आकृतियां, जहां भयावहता का आभास करा रही थीं, वहीं अंदर प्रवेश करते ही कामिनी व अशोक की पत्तियों, महमह करते गेंदा, गुलाब, बेला के पुष्पों व उनकी मालाओं तथा फलों से अद्भुत सजा परिसर अपूर्व आनंद व उल्लास से भर दे रहा था। सामने सजी थी महादेव के बालरूप बाबा बटुक भैरव की फूलों व हरी पत्तियों से सजी मनमोहक दिव्य छवि। मयूर ङ्क्षसहासन पर सजे झील बने मंदिर में बाबा ने हरियाली शृंगार कर जलविहार करते हुए रविवार को भक्तों को दर्शन दिया तो सभी निहाल हो उठे। कमच्छा स्थित बाबा का वार्षिक हरियाली शृंगार देखने प्रात:काल से ही मंदिर में भक्तों की भीड़ उमडऩे लगी। लंबी कतारें देर शाम तक लगी रहीं। प्रात:काल पांच बजे बाबा को पंचामृत स्नान कराने के बाद मंगला आरती हुई। उनका दिव्य हरियाली शृंगार किया गया। इसके साथ श्रद्धालुओं द्वारा अनवरत दर्शन पूजन का क्रम आरंभ हो गया। रात नौ बजे 51 किलो कपूर व 1008 बत्तियों से महंत राकेश पुरी ने महाआरती की। महंत भास्कर पुरी ने पूजन किया।

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