Varanasi news: अन्नपूर्णा सेवा: कोई भी खाली पेट नहीं रहता यहां,मंदिर में दिनभर चलती है खानपान की सेवा
वाराणसी (ब्यूरो)। काशी में जब अकाल पड़ा तो अपने भक्तों को भूख से तड़पता देख भगवान शंकर ने खुद अन्न की देवी मां अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी। तभी मां अन्नपूर्णा ने भगवान शंकर को ये आशीर्वाद दिया कि काशी में आज से कोई भी भूखा नहीं सोएगा। तब से ऐसी मान्यता है कि काशी में कोई भूखा उठता तो है पर भूखा सोता नहीं है। मां अन्नपूर्णा से मिले इस आशीर्वाद का अहसास अन्नपूर्णा मंदिर के अन्नक्षेत्र में जरूर होगा। सुबह से रात तक मंदिर के सेवादार भक्त, जरूरतमंद और गरीबों को भोजन कराते नजर आएंगे। बिना किसी भेदभाव के देवी के इस अनोखे किचन में श्रद्धा और प्रेमभाव से पेटभर भोजन कराया जाता है। वो भी पूरी तरह फ्री। स्वाद भी ऐसा कि प्रसाद चखने वाला हर कोई दोबारा यहां प्रसाद ग्रहण करने के लिए आने से भी नहीं रोक पाता। वाराणसी में मां अन्नपूर्णा के अन्न क्षेत्र में रोजाना 20 हजार लोगों का पेट भरता है।
भोजन में मिलता है ये प्रसादमां अन्नपूर्णा के अन्न क्षेत्र में भक्तों के लिए हर रोज चावल, दाल, सब्जी, दही, मिठाई और पापड़ की रेसिपी परोसी जाती है। भक्तों की सेवा के लिए मंदिर ट्रस्ट के 50 से अधिक सेवादार सुबह से इस काम मे जुटे होते हैं। भक्तों के आने के क्रम को देखते हुए भोजन की व्यवस्था की जाती है।
प्रसाद के साथ पढ़ाई भी फ्री मंदिर के महंत शंकर पुरी ने बताया कि माता दरबार में आम श्रद्धालुओं को जहां नि:शुल्क भोजन मिलता है। वहीं, छात्रों को नि:शुल्क शिक्षा भी। इसके साथ ही रजत जयंती वर्ष में माता अन्नपूर्णा अन्नक्षेत्र की ओर से गरीबों और असहायों के लिए नि:शुल्क भोजन व्यवस्था की शुरुआत हो रही है। यह भोजन देर रात गरीबों व असहायों तक पहुंचाया जाएगा। काशी अन्नपूर्णा अन्नक्षेत्र गरीबों और असहायों तक मां अन्नपूर्णा का प्रसाद पहुंचाएगा। रात्रि 11 से दो बजे तक शहर के विभिन्न जगहों पर अन्नक्षेत्र की ओर से भोजन का इंतजाम किया जाएगा। बांसफाटक में संन्यासियों को प्रसादकाशी आने वाले साधु-सन्यासियों की सेवा के लिए बांसफाटक में नया भवन लिया गया है। इसमें संन्यासियों के लिए भोजन का इंतजाम रहेगा। इसकी शुरुआत भी जल्द की जाएगी। बालाजी बाजीराव पेशवा ने 1725 में मंदिर की स्थापना की थी। मंदिर के महंत की अध्यक्षता में दो अक्तूबर 1997 को श्री अन्नपूर्णा फ्रूड चैरिटेबल सोसायटी का गठन किया गया। इसमें गरीब, वेदपाठशाला विद्यार्थी, साधु-संत और दर्शनार्थियों के लिए मां अन्नपूर्णा देवी का प्रसाद निशुल्क भोजन के रूप में वितरण करने का शुभारंभ किया गया।
रोजाना 20 हजार लोग करते हैं भोजन अन्नदान योजना के विस्तार के लिए काशी अन्नपूर्णा अन्नक्षेत्र ट्रस्ट की स्थापना एक जुलाई 1999 को हुई। इसके तहत रोजाना सुबह 7.30 बजे से रात 10.30 बजे तक निशुल्क जलपान एवं भोजन की व्यवस्था की गई। वर्तमान में रोजाना 20 हजार लोग यहां भोजन करते हैं। 350 बच्चों को मिल रही शिक्षा नि:शुल्क वेद विद्या एवं संस्कृत शिक्षा की शुरुआत 25 छात्रों से 1999 में हुई थी। वर्तमान में देश के विभिन्न हिस्सों से लगभग 450 गरीब ब्राह्मण छात्रों को नियमित रूप से मुफ्त सुविधाओं के साथ आधुनिक कंप्यूटर की शिक्षा और वेद की शिक्षा दी जा रही है। सेवा के हैं ढेर सारे नि:शुल्क प्रकल्प काशी अन्नपूर्णा अन्नक्षेत्र ट्रस्ट की ओर से वृद्धाश्रम के साथ ही नि:शुल्क चिकित्सालय का संचालन भी किया जाता है। नि:शुल्क चिकित्सालय में रोजाना दो सौ से ढाई सौ मरीजों का नि:शुल्क इलाज किया जाता है। ट्रस्ट की ओर से सालाना दो सौ गरीब कन्याओं को नि:शुल्क सिलाई प्रशिक्षण दिया जाता है और पाठ्यक्रम पूर्ण होने पर सिलाई मशीन उपहार में दी जाती है। इसके अलावा नि:शुल्क कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र में हर साल 160 युवक-युवतियों को प्रशिक्षित किया जाता है।मिलता है सात्विक भोजन
भक्त मनोज शर्मा ने बताया कि अन्नपूर्णा अन्नक्षेत्र में जैसा शुद्ध और सात्विक भोजन भक्तों को मिलता है। वैसा स्वाद हमने पहले कभी नहीं चखा। बिहार से आए भक्त शाश्वत कुमार ने बताया, उन्होंने भी मां अन्नपूर्णा के इस अन्नक्षेत्र में कोई भी वीआईपी नहीं है। सब वर्ग के लोग माता के इस अन्नक्षेत्र में बैठकर प्रसाद ग्रहण करते हैं।