हाइवे पर दौड़ते ट्रैक्टर से लगी मिक्सर मशीन के ऊपरी हिस्से पर बैठे दिन भर के काम से थके आकाश को ठंडी हवा राहत दे रही थी. अचानक से तेज रफ्तार से पीछे से आ रहे ट्रक ने बाइक सवार भानू को ट्रक्कर मारते हुए मिक्सर मशीन और ट्रैक्टर को रौंद दिया.

वाराणसी (ब्यूरो)। हाइवे पर दौड़ते ट्रैक्टर से लगी मिक्सर मशीन के ऊपरी हिस्से पर बैठे दिन भर के काम से थके आकाश को ठंडी हवा राहत दे रही थी। अचानक से तेज रफ्तार से पीछे से आ रहे ट्रक ने बाइक सवार भानू को ट्रक्कर मारते हुए मिक्सर मशीन और ट्रैक्टर को रौंद दिया। उनके नीचे दबे लोगों की जान चली गई। आकाश के साथ मशीन पर पीछे बैठे सभाजीत व अजय को मौत छूकर निकल गई। इलाज के बाद बीएचयू ट्रामा सेंटर से छुट्टी पाकर घर पहुंचा आकाश घटना का जिक्र करते हुए सिहर उठता है।

उसने बताया कि वह बीते 11 सितंबर को मुंबई से अपने घर बीरबलपुर आया था। ढलाई के लिए मजदूर नहीं मिलने की वजह से भानू से उसे फोन करके काम पर चलने के लिए कहा। माता-पिता के मना करने के बावजूद आकाश उसके साथ चला गया। ढलाई का काम तीन बजे शुरू हुआ। रात नौ बजे तक खत्म होने के बाद सभी दस बजे से वहां से चल दिए। 12 मजदूरों में पांच ट्रैक्टर पर बैठ गए। अन्य मिक्सर मशीन पर ही इधर-उधर बैठ गए। आकाश मिक्सर मशीन पर ऊपर बैठा, उसके गांव के ही सभाजीत व अजय पीछे के हिस्से में बैठे थे। सभी थके हुए थे लेकिन फिर भी आपस में बातचीत करते घर लौट रहे थे। मीरजापुर के कछवां थाना क्षेत्र के कटका-पड़ाव हाईवे पर रात 11.30 बजे तेज रफ्तार ट्रक पीछे से आया। ट्रैक्टर के पीछे बाइक से चल रहे भानु को टक्कर मारते हुए मिक्सर मशीन ट्रैक्टर को साइड से धक्का मार दिया। तेज धक्का लगने से आकाश उछलकर दूर जा गिरा। पीछे बैठे अजय व सभाजीत भी छिटक गया लेकिन सभाजीत का दाहिना पैर मिक्सर मशीन की चपेट में आकर घुटने के नीचे से कट गया। ट्रैक्टर पर बैठे पांच व मिक्सर मशीन पर बैठे अन्य लोग उनके नीचे दबकर दूर तक घसीटते चले गए। पथरीला सड़क पर मशीन के भारी बोझ से उनका सिर कुचल गया।

आकाश बताता है कि हर तरफ मौजूद लाशों को देखकर उसका शरीर कांप उठा। उसने तुंरत अपने पिता को फोन किया और सिर्फ इतना बोला जल्दी आकर मुझे बचा लीजिए। ट्रामा सेंटर में भर्ती सभाजीत की हालत गंभीर है। उसका कहना है कि उसे बस इतना याद है कि अचानक से तेज धक्का लगा और वह जमीन पर गिर गया। मशीन से उसका पैर कट गया, वह मदद के लिए चीखा फिर अचेत हो गया। सभाजीत की गंभीर हालत को देखते हुए स्वजन अन्यत्र ले जाने की तैयारी में लगे रहे। यहीं भर्ती अजय साथियों की मौत से सदमे में हैं। घर पर अकेला कमाने वाला है। दो बहनों की शादी की जिम्मेदारी उस पर है। एक महीने पहले बेटा हुआ था। जिससे घर ने खुशी का माहौल था, लेकिन अब उसकी देखभाल और परवरिश की ङ्क्षचता सता रही है। वह किसी से भी ज्यादा बातचीत नहीं कर रहा है। बस इतना कहता है कि मौत उसे छूकर निकल गई। वह खुद नहीं समझ पा रहा कि इस भीषण दुर्घटना में वह कैसे बच गया।

Posted By: Inextlive