Varanasi news: 1 माह में रोडवेज की 20 बसें खराब, सेल्फ लाइफ खत्म होने के बाद भी सड़क पर दौड़ रहीं 14 बसें
वाराणसी (ब्यूरो)। इन दिनों यूपी रोडवेज भी बेबस है। वजह बसों का खराब होना है या फिर बसों के लिए ड्राइविंग स्टाफ का न मिलना। चूंकि, ट्रेन में जगह न मिलने पर यात्रियों के लिए आखिरी सहारा रोडवेज बस ही होती है। यात्रियों को ये आसानी से उपलब्ध भी हो जाती है, पर जब ये बस भी आधी दूरी पर साथ छोड़ दे तो यात्रियों का हाल बुरा हो जाता है। दरअसल, कैंट रोडवेज से चलने वाली लगभग 20 से ज्यादा बसें आधे रास्ते में एक महीने के अंदर खराब हो चुकी हैं। कैंट रोडवेज से 530 बस चलती हैं। इसमें लगभग 14 बसें अपनी सेल्फ लाइफ को पार कर चुकी हैं।
बसों में टेक्निकल प्रॉब्लमकुल 530 बसें रोडवेज से विभिन्न रूटों के लिए चल रही हैं। इसमें 435 बसों का यहां से संचालन हो रहा है, जिसमें 95 बसें खराब बताई गई हैं और डिपो में खड़ी हैं। उधर, पिछले एक माह में 20 से ज्यादा बसें खराब हो चुकी हैं। जानकारी के मुताबिक इन बसों में टेक्निकल प्रॉब्लम आई थी और ये आधे रास्ते में खड़ी हो गईं। वहीं, बीते समय पड़ रही भीषण गर्मी के कारण भी बसों में एसी की प्रॉब्लम देखने को मिली थी। रोज लगभग पांच से ज्यादा बसें गर्मी के चलते खराब हो रही थीं।
14 बसों की सेल्फ लाइफ खत्म एक बस की सेल्फ लाइफ 11 लाख किलोमीटर होती है, लेकिन रोडवेज में 14 बसें ऐसी हैं जो 15 लाख किलोमीटर का सफर तय कर चुकी हैं। ऐसे में इन बसों से सफर करना यात्रियों के लिए खतरे से खाली नहीं है। आए दिन बसें आधे रास्ते में बंद पड़ जा रही हैं। इन्हें ठीक कराने के लिए वाराणसी कैंट डिपो लाया जाता है। जो रूट ज्यादा लंबे हैं उनमें बसें ज्यादा खराब होती हैं। 2 दिन में 8 बसों में प्रॉब्लम - यूपी 65 टी 4151 - यूपी 78 एफटी 7882 - यूपी 65 टी 4150 - यूपी 65 सीटी 8648 - यूपी 65 बीटी 0451 - यूपी 65 एफटी 1353 - यूपी 65 एफटी 1280 - यूपी 33 एटी 5391 ------------------ रोडवेज को रोज 7 लाख रुपए का घाटाकभी राजस्व अर्जित करने में पूरे सूबे में अव्वल परिवहन निगम वाराणसी परिक्षेत्र को इन दिनों घाटे का सामना करना पड़ रहा है। बारिश और यात्रियों की आमद कम होने से परिक्षेत्र के सभी डिपो के लोड फैक्टर में कमी आई है। औसतन हर दिन सात लाख रुपये का घाटा हो रहा है। उन्नाव में बस हादसा और पिछले दिनों सड़क दुर्घटनाओं के बाद लखनऊ स्थित परिवहन निगम मुख्यालय ने पूरी तरह फिट बसों को ही मार्ग में चलाने का निर्देश दिया है। जिसके अनुपालन में वाराणसी परिक्षेत्र की 20 प्रतिशत बसें मरम्मत के लिए खड़ी हैं। छतों से पानी टपकने की समस्या और खराब इंडिकेटर को दुरुस्त करने पर पूरा फोकस है। बसों की कमी से रोडवेज प्रशासन को रोजाना सात लाख रुपये का घाटा हो रहा है। पूरे वाराणसी परिक्षेत्र में औसतन 65 से 67 लाख रुपये की आमदनी हो रही है।
गर्मी की वजह से पिछले दिनों बसों में ज्यादा टेक्निकल प्रॉब्लम आ रही थी। रोज बसों की जांच की जा रही है। ताकि यात्रियों को समस्या का सामना न करना पड़े। गौतम कुमार, एआरएम, कैंट रोडवेज